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Thursday, 21 November, 2024
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तालिबान हिंसा पर ट्वीट के लिए अफ़गान दूत ने पत्रकार पर साधा निशाना कहा, ‘ठेठ BBC रिपोर्टर’

रविवार को एक ट्वीट में, श्रीलंका में अफगानिस्तान के राजदूत एम. अशरफ हैदरी ने तालिबान की आत्मघाती कार बम रणनीति में कथित गिरावट की उसकी टिप्पणियों के लिए बीबीसी पत्रकार सिकंदर करमानी की आलोचना की.

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नई दिल्ली: श्रीलंका में अफगानिस्तान के राजदूत एम. अशरफ हैदरी ने रविवार को बीबीसी के एक संवाददाता पर सोशल मीडिया पर खूब बरसे. हैदरी अफगानिस्तान में हुई हिंसा के बारे मे पत्रकार की टिप्पणियों को लेकर BBC के संवाददाता पर निशाना साधा.

‘तालिबान कई अफगान शहरो को बंद कर रहे है और उन पर सैन्य हमले शुरू करवा रहे है. लेकिन कम से कम, जो मैने देखा है, ऐसा लगता है कि वे हमलावर आत्मघाती कार का उपयोग नहीं कर रहे हैं – पहले उनकी यह एक पसंदीदा रणनीति थी …क्या उन्होंने इसपर सितंबर तक के लिए रोक लगा दी है? या बस उसे पूरी तरह से बंद कर दिया है? ‘पिछले चार वर्षों से BBC के पाकिस्तान और अफगानिस्तान के संवाददाता सिकंदर करमानी ने एक ट्वीट में पोस्ट किया.’

हैदरी ने इसका जवाब देते हुए कहा, ‘एक टिपिकल (ठेठ) BBC रिपोर्टर, संतुलित पत्रकारिता के प्रिंसिपल का पालन करने की शायद ही हिम्मत हो..’ उन्होंने कहा की पत्रकार को तालिबानों के हाथों हर दिन 100 से अधिक हताहत हो रहे  लोगों की संख्या का भी उल्लेख करना चाहिए था, बी, ‘विदेशी मदरसे जो युवाओं का ब्रेनवॉश करते हैं और उन्हें मरने के लिए छोड़ देते हैं.’

पिछले महीनों में जब से अमेरिका और उसके सहयोगियों ने अफगानिस्तान से सैनिकों को वापस बुलाना शुरू किया है तभी से तालिबान और अफगानिस्तान के सुरक्षा बलों के बीच लड़ाई तेज हो गई है और इस क्षेत्र में हिंसा बढ़ी है. 14 अप्रैल से अब तक 2,000 नागरिक मारे जा चुके है, और 2,200 घायल हुए हैं.

तालिबान ने उत्तरपूर्वी क्षेत्र तखर सहित कई जिलों पर भी कब्जा कर लिया है और प्रमुख सीमा क्रॉसिंग को भी कब्जे में लेकर पूरी तरह से बंद कर दिया है.


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BBC प्रजेंटर और मुख्य अंतरराष्ट्रीय संवाददाता लिसे डौसेट ने सोशल मीडिया को पत्रकारिता से हट कर राजदूत को जवाब दिया.

उन्होंने कहा, BBC कवरेज को फॉलो करने के लिए धन्यवाद. कृपया हमें बहुत छोटे ट्वीट्स से जज न करें, केवल इतना ही कह सकते हैं. हम सभी अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त करने का प्रयास कर रहे हैं. आपके इनपुट के लिए आभारी.

इस पर, हैदरी ने जवाब दिया – ‘इंस्टेंट इंफॉर्मेशन शेयरिंग की आज की दुनिया में, ट्वीट में लिंक के बारे में बहुत कम लोग परवाह करते हैं कि ट्वीट में क्या लिखा गया है.’

हाल की हिंसा के बीच, अफगान सरकार के साथ शांति वार्ता कर रहे तालिबान वार्ताकारों ने अपनी छवि ‘सॉफ्ट’ पेश करने की कोशिश की है. समूह ने कहा है कि लड़कियां स्कूल जा सकती हैं और पावर में आने के बाद महिलाओं को भी काम करने की अनुमति दी जाएगी.

जुलाई की शुरुआत में, तालिबान ने सोशल मीडिया पर साझा करते हुए एक बयान जारी किया था जिसमें सैनिकों को गांव की बेटियों और विधवाओं से शादी करने का आदेश दिया था.

समूह के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने इस तरह के किसी भी बयान को जारी करने से इनकार किया. उन्होंने कहा, ‘ये बेबुनियाद दावे हैं.. ये मनगढ़ंत कागजों का उपयोग करके फैलाई गई अफवाहें हैं’.


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