नई दिल्ली: एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इज़राइली कंपनी एनएसओ ग्रुप ने, अपनी स्पाईवेयर तकनीक पेगासस के संभावित दुरुपयोग को रोकने के लिए, दुनिया भर में अपने कुछ सरकारी क्लायंट्स को इसके इस्तेमाल से ब्लॉक कर दिया है.
ये क़दम एक जासूसी स्कैण्डल विवाद के बाद उठाया गया है, जिसका पर्दाफाश पेगासस प्रोजेक्ट में हुआ है, जिसे एक अंतर्राष्ट्रीय प्रकाशन संघ ने अंजाम किया है, जिसमें भारत का दि वायर भी शामिल है. इसमें ख़ुलासा किया गया कि कथित तौर पर, राष्ट्र प्रमुखों, राजनेताओं, पत्रकारों और कार्यकर्त्ताओं आदि के, फोन हैक करने की कोशिश की गई.
बृहस्पतिवार को एक एनएसओ कर्मचारी ने एनपीआर को बताया, कि कंपनी अपने पेगासस स्पाईवेयर के संभावित दुरुपयोग की जांच कर रही है.
एनएसओ कर्मचारी ने एनपीआर को बताया, ‘कुछ ग्राहकों की जांच की जा रही है. उनमें से कुछ ग्राहकों को अस्थायी तौर पर निलंबित कर दिया गया है’. लेकिन, कर्मचारी ने उन सरकारी एजेंसियों या देशों का नाम नहीं बताया, जहां पेगासस को निलंबित किया गया है.
फिलहाल, एनएसओ के 40 देशों में ग्राहक हैं, और वो सभी क़ानून प्रवर्त्तन इकाइयां तथा खुफिया एजेंसियां हैं.
एनएसओ तब से सार्वजनिक जांच के घेरे में है, जब से मीडिया संघ ने उन लोगों की सूची छापनी शुरू की, जो कथित तौर पर निशाने पर थे. कंपनी के अलावा ख़ुद इज़राइली सरकार भी दबाव का सामना कर रही है, कि दूसरे देशों को पेगासस की बिक्री को विनियमित करे.
यह भी पढ़ें : भारतीयों के परोपकारी होने का जश्न तो मनाएं लेकिन पारंपरिक दान को भी कम न आंकें
जिन एनएसओ ग्राहकों को अतीत में निलंबित किया जा चुका है. उनमें सऊदी अरब, मेक्सिको, और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं.
बताया गया है कि ग्राहकों को एनएसओ के साथ एक समझौते पर दस्तख़त करने पड़ते हैं, जिसमें लिखा होता है कि पेगासस का इस्तेमाल केवल आतंकवाद-विरोधी, या क़ानून-प्रवर्त्तन उद्देश्यों के लिए किया जाएगा.
पेगासस प्रोजेक्ट के सामने आने के बाद, एनएसओ एक आंतरिक जांच-पड़ताल कर रही है. कर्मचारी ने एनपीआर को बताया, ‘हमने लगभग हर चीज़ की जांच की, लेकिन हमें पेगासस से कोई संबंध नहीं मिला’.
क्या है पेगासस प्रोजेक्ट?
18 जुलाई के बाद से 17 मीडिया संगठनों के एक संघ ने, जिनमें वॉशिंगटन पोस्ट, दि गार्जियन, एम्नेस्टी, और दि वायर शामिल हैं, ख़बरें छापी हैं कि पेगासस का इस्तेमाल संभावित रूप से, दुनिया भर में राज्याध्यक्षों, मंत्रियों, पत्रकारों, और कार्यकर्त्ताओं के फोन हैक करने के लिए किया गया.
पेगासस का इस्तेमाल संभवत: उनके डेटा तक पहुंचने, और उनपर नज़र रखने के लिए किया गया. इस तकनीक के ज़रिए संभावित रूप से, लक्षित व्यक्ति के फोन में डेटा भी स्थापित किया जा सकता है.
भारत में, कैबिनेट मंत्री अश्विनी वैष्णव, विपक्षी नेता राहुल गांधी, पूर्व चुनाव आयुक्त अशोक लवासा, और अन्य के अलावा 40 वरिष्ठ पत्रकार तथा कार्यकर्त्ता, कथित रूप से निशाने पर थे.
पेगासस प्रोजेक्ट के अनुसार, फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा, और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान संभावित रूप से निशाने पर थे.
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)