अयोध्या: आगामी 2022 विधान सभा चुनावों से पहले उत्तर प्रदेश की ब्राह्मण आबादी के प्रति प्रेम जताने के लिए बहुजन समाज पार्टी ने शुक्रवार को अयोध्या में एक ‘ब्राह्मण संगोष्ठी’ का आयोजन किया.
ये बीएसपी के उस बहु-प्रचारित ‘ब्राह्मण आउटरीच’ अभियान का हिस्सा है जिसका मायावती ने पिछले सप्ताह ऐलान किया था.
फैजाबाद जिले के बाहरी क्षेत्र में आयोजित इस कार्यक्रम में एक हजार से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया जिनमें बीएसपी कार्यकर्त्ता, ब्राह्मण बुद्धिजीवी और ‘ब्राह्मण समाज’ के प्रतिनिधि शामिल थे, हालांकि जिला प्रशासन ने कोविड प्रोटोकोल्स के चलते आयोजन के लिए केवल 50 लोगों की अनुमति दी थी.
संगोष्ठी में बीएसपी महासचिव और पार्टी के ब्राह्मण चेहरे सतीश मिश्रा ने ऐलान किया कि चुने जाने के बाद पार्टी पहला काम ये करेगी कि अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण को गति देगी.
निर्माण में देरी पर बीजेपी पर हमला बोलते हुए मिश्रा ने कहा: ‘एक साल से मंदिर नहीं बना पाए हैं. कब बनेगा मंदिर? कितने साल लगेंगे?’
उन्होंने आगे कहा: ‘अगर हम चुने जाते हैं तो हम उनपर (केंद्र) दबाव बनाएंगे कि मंदिर का निर्माण करें और करोड़ों की उस राशि का इस्तेमाल करें जो उन्होंने चंदे के नाम पर जमा की है’.
लगभग डेढ़ घंटे तक चले अपने भाषण में बीएसपी नेता ने कम से कम एक दर्जन बार ‘श्री राम’ का नारा लगाया, और ये भी कहा कि बीजेपी ‘भगवान राम की एक मात्र संरक्षक’ नहीं है.
मिश्रा ने कहा, ‘क्या अयोध्या पर आपकी ठेकेदारी है? क्या श्री राम पर पर आपकी ठेकेदारी है? श्री राम सबके हैं’.
‘जय श्रीराम’ और राम मंदिर की प्रतिध्वनियों के बीच आयोजन ने आगामी चुनावों में पार्टी के ब्राह्मण आउटरीच एजेंडा की दिशा निर्धारित कर दी. ब्राह्मण समुदाय यूपी की कुल आबादी का लगभग 13 प्रतिशत है.
पार्टी राज्य के चार अन्य जिलों में इसी तरह के कार्यक्रम आयोजित करेगी. ये ज़िले हैं मथुरा वृंदावन बनारस-काशी विश्वनाथ चित्रकूट और श्रावस्ती.
मिश्रा ने कहा, ‘सभी स्थानों पर हम अपने भगवान की पूजा करते हुए लोगों के बीच जाएंगे’.
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‘हम परशुराम के वंशज हैं’
हालांकि मायावती ने ऐलान किया था कि आउटरीच अभियान को ‘ब्राह्मण सम्मेलन’ कहा जाएगा, लेकिन कार्यक्रम ‘प्रबुद्ध वर्ग विचार गोष्ठी’ के झंडे तले आयोजित किया गया. नाम में बदलाव के पीछे का कारण स्पष्ट नहीं है.
आयोजन में आने से पहले मिश्रा ने हनुमान गढ़ी मंदिर राम मंदिर स्थल और सर्यू नदी किनारे का दौरा किया था.
उनके साथ कुछ अन्य बीएसपी नेता भी थे जैसे यूपी के पूर्व शहरी विकास मंत्री नकुल दूबे अकबरपुर के पूर्व विधायक पवन पाण्डेय और वरिष्ठ नेता करुणाकर दूबे.
आयोजन में भगवा वस्त्र धारी साधुओं ने शंखनाद और वेदिक मंत्रोच्चार के साथ उनकी आगवानी की.
अपने भाषण में मिश्रा ने ब्राह्मण समुदाय को हाशिए पर ढकेले जाने का जिक्र किया और सुदामा और परशुराम जैसी पौराणिक हस्तियों का हवाला दिया.
उन्होंने कहा, ‘वो हमारे साथ सुदामा की तरह बर्ताव करना चाहते हैं लेकिन हमें साबित करना है कि हम सुदामा नहीं हैं बल्कि परशुराम के वंशज हैं’.
हिंदू ग्रंथों में सुदामा और परशुराम दोनों ब्राह्मण समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं. माना जाता है कि सुदामा एक दरिद्र ग्रामीण था जबकि परशुराम को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता था जो अपनी आक्रामकता के लिए जाने जाते थे.
‘ब्राह्मणों के उत्थान का समय’
मिश्रा ने ‘मुठभेड़ों में ब्राह्मणों की हत्या’ के लिए योगा आदित्यनाथ की सरकार को भी निशाने पर लिया, हालांकि उन्होंने किसr का नाम नहीं लिया.
मिश्रा ने कहा, ‘उन्होंने ब्राह्मणों और दलितों को चिन्हित किया हुआ है. हम आबादी का 13 प्रतिशत हैं लेकिन हम एक जुट नहीं हैं और हम बंट कर वोट देते हैं इसलिए हमें हाशिए पर कर दिया गया है. समय आ गया है कि ब्राह्मणों का उत्थान किया जाए’.
उन्होंने बीएसपी प्रमुख मायावती के ब्राह्मणों के प्रति समामान का हवाला दिया और कहा: ‘बहनजी ने हमेशा ब्राह्मणों को सम्मान दिया है. ब्राह्मण समुदाय से करीब 15-16 एमएलसी छह सांसद और पहला ब्राह्मण डीजीपी पहला प्रमुख सचिव विधि विधान परिषद सदस्य और साथ ही 22 ब्राह्मण वकील नियुक्त किए गए और उन्होंने मुझे पिछले 17 साल से राज्यसभा सांसद बनाकर रखा हुआ है’.
मिश्रा ने मुठभेड़ में मारे गए बदमाश विकास दूबे के भतीजे की पत्नी खुशी दूबे का भी उल्लेख किया जो बाराबंकी जेल में बंद है. उसपर पिछले साल बिकरू में कथित रूप से गैंग्सटर के हाथों मारे गए आठ पुलिसकर्मियों की हत्या की अपराधिक साज़िश में शरीक होने का आरोप है.
उन्होंने कहा, ‘बीएसपी ने मन बना लिया था कि वो अमर दूबे की विधवा की जमानत के लिए कानूनी लड़ाई लड़ेगी जो विकास दूबे का भतीजा था’.
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