श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर के लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा का कहना है कि यह एक ‘बदलता कश्मीर’ है जहां हर शुक्रवार को पत्थरबाजी इतिहास की बात हो गई है, निवेशक 20,000 करोड़ रुपये से अधिक के प्रस्तावों के साथ कतार में खड़े हैं, बेरोजगारी दर एक साल में आधी रह गई है, और हजारों युवा आकांक्षी उद्यमी सरकार की वित्तीय सहायता योजनाओं का लाभ उठा रहे हैं.
5 अगस्त 2019 को नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा जम्मू और कश्मीर राज्य का विशेष दर्जे खत्म किए जाने और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट देने के बाद से चिनाब में बहुत पानी बह चुका है. इस कदम के खिलाफ घाटी में बहुत आक्रोश था लेकिन राजनीतिक नेताओं और मुश्किलें बढ़ा सकने वाले लोगों की हिरासत और गिरफ्तारी जैसे सुरक्षा उपायों ने हालात को नियंत्रण में रखा. अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद एक लंबे समय तक यहां आने वालों को कर्फ्यू, बैरिकेडिंग लगी सड़कें, जगह-जगह लगी बाड़ और गुस्से से उबलते आम लोग ही नजर आते थे.
लेकिन इस बदलाव की दूसरी वर्षगांठ से कुछ दिन पहले घाटी में जनजीवन सामान्य नजर आ रहा है. श्रीनगर में डल झील के आसपास घूमते-फिरते उत्साही युवाओं के अलावा शिकारा की सवारी करने वाले पर्यटक नजर आ रहे हैं, और सड़कों पर अपेक्षाकृत कम सुरक्षाकर्मी दिखाई दे हैं और बैरिकेड्स और बाड़बंदी भी कम है.
एलजी मनोज सिन्हा ने श्रीनगर स्थित राजभवन में दिप्रिंट को दिए खास इंटरव्यू में कहा, ‘मुझे लगता है कि दो साल में जो बदलाव आए हैं, उन्हें सार्थक कहा जा सकता है. कुछ लोगों (घाटी के राजनेताओं) को बदलाव नहीं दिखाई पड़ेगा, क्योंकि ये बदलाव इसलिए नहीं हुआ था कि उन्हें सूट करे, बल्कि इसलिए हुआ था कि आवाम को सूट करे. दो साल पहले यहां लोगों में गुस्सा था और आज भी कुछ लोगों (राजनेताओं) में तो है लेकिन आवाम में नहीं है. मैं कहना चाहता हूं कि ये नई तरह का जम्मू-कश्मीर है.’
उन्होंने कह, ‘मुझे लगता है कि आम लोगों की तकलीफों को सुना जा रहा है और पूरी संवेदनशीलता से सुना जा रहा है. भ्रष्टाचार मुक्त शासन की दिशा में हमने सार्थक कार्रवाई की है. वो जमाना लद गया जब बिना प्रशासनिक मंजूरी और बिना टेंडरिंग के काम हो जाया करते थे. अब कोई भी काम स्वीकृत होगा तो उसकी प्रशासनिक मंजूरी होगी, वित्तीय अनुमोदन होगा, टेंडरिंग होगी, जियो टैगिंग होगी, फिजिकल वैरीफिकेशन होगा, तभी पैसा मिलेगा.
उन्होंने कहा, ‘एक लंबे समय के बाद जम्मू-कश्मीर ने सरपंचों, ब्लॉक और जिला विकास परिषदों का ऐसा चुनाव देखा है जो स्वतंत्र और निष्पक्ष था, और हिंसा मुक्त था. जम्मू-कश्मीर की धरती पर एक बूंद भी खून नहीं बहा. हम जल्द ही इन पंचायती राज प्रतिनिधियों को देश के अन्य हिस्सों में सर्वश्रेष्ठ पंचायती राज मॉडल दिखाने के लिए ले जाएंगे.’
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युवाओं और आतंकवाद पर
सिन्हा ने उन खबरों को निराधार बताया कि अनुच्छेद 370 अमान्य होने के बाद कश्मीरी युवाओं का एक वर्ग आतंकवाद के रास्ते पर चला गया है.
सिन्हा ने कहा, ‘यह आकलन गलत है. एक समय था जब हर शुक्रवार को केवल पथराव करने वाले लोग दिखते थे. यह अब इतिहास हो गया है. (आतंकी समूहों की तरफ से स्थानीय स्तर पर) भर्ती में कमी आई है. लोगों में डर की भावना खत्म हुई है. देशभर से सबसे ज्यादा संख्या में पर्यटक कश्मीर ही आ रहे हैं. आपको यहां होटलों में कमरे नहीं मिलेंगे. यह बेहतर स्थिति का संकेत है. आज यहां सुरक्षा बलों का पलड़ा भारी है (पिछले एक पखवाड़े में 70 आतंकी मारे गए).’
युवा, आकांक्षी उद्यमियों को लाभ पहुंचाने वाली योजनाओं की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा, ‘जब मैं यहां आया था तो बेरोजगारी की दर करीब 20 प्रतिशत थी (सीएमआईई के अनुमान के मुताबिक). मार्च में यह घटकर 9.3 प्रतिशत हो गई थी, हालांकि जून में यह फिर बढ़कर 10.3 प्रतिशत हो गई.’
दिप्रिंट ने मंगलवार को शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर (एसकेआईसीसी) में केंद्रशासित प्रदेश की मुमकिन योजना के तहत 250 युवाओं को 7 लाख रुपये से अधिक मूल्य के वाणिज्यिक वाहन वितरित करने के लिए आयोजित एलजी सिन्हा के कार्यक्रम में जुटी भीड़ देखी.
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डोमिसाइल कानूनों, कश्मीरी भूमि और उद्योगों पर क्या बोले
सिन्हा ने चुनाव से पहले राज्य का दर्जा बहाल करने की राजनीतिक दलों की मांग या परिसीमन आयोग द्वारा जम्मू को और अधिक सीटें देने को लेकर उनकी आशंकाओं जैसे विवादास्पद मुद्दों से खुद को दूर रखना. उन्होंने कहा कि इसकी क्रोनोलॉजी वह तय नहीं कर सकते. राज्य के गठन का समय तय करना भारत की संसद का काम है और इसका वादा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लाल किले की प्राचीर से अपने भाषण में कर चुके हैं और चुनाव के बारे में कोई भी फैसला चुनाव आयोग को परिसीमन आयोग की रिपोर्ट के बाद करना है.
एलजी ने अब अनुच्छेद 35ए के तहत स्थानीय निवासियों के पास खास और विशेषाधिकार नहीं रहने के बाद बाहरी लोगों द्वारा कश्मीरी भूमि को कब्जा लेने को लेकर जताई जा रही चिंताओं और आशंकाओं को खास तवज्जो नहीं दी. जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने बुधवार को नियमों में बदलाव किया है जिससे जम्मू-कश्मीर की महिलाओं के वो जीवनसाथी भी डोमिसाइल सर्टिफिकेट पा सकेंगे जो यहां के मूल निवासी नहीं हैं.
उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि आवाम इसके बारे में (डोमिसाइल कानून) चिंतित हैं. कुछ लोगों को ही इसकी चिंता हैं, वे लोगों को भड़काकर स्थिति खराब करना चाहते हैं. मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ लोगों से पूछना चाहता हूं: क्या जम्मू-कश्मीर के बाहर का कोई भी व्यक्ति है यहां एक इंच जमीन ले पाया है? एक भी सबूत नहीं मिलेगा. ये सब बातें निराधार हैं.’
सिन्हा ने आगे जोड़, ‘जैसा मैंने कहा है, अगर कोई उद्योग स्थापित करना चाहता है, तो हम जमीन देंगे. अगर कोई शिक्षण संस्थान खोलना चाहता है, तो हम जमीन देंगे. अगर कोई अच्छा अस्पताल खोलना चाहता है, तो उसे जमीन मिलेगी.’
जम्मू-कश्मीर की नई औद्योगिक नीति—जिसमें उत्पादन शुरू होने के बाद जीएसटी पर 300 प्रतिशत की सब्सिडी शामिल है—पर निवेशकों की प्रतिक्रिया ‘बेहद उत्साहजनक’ रही है.
उन्होंने बताया, ‘शुरू में हम 20 से 25 हजार करोड़ रुपये के निवेश और 5 लाख रोजगार के सृजन की उम्मीद कर रहे थे. लेकिन जिस तरह से निवेशक उत्साह दिखा रहे हैं, यह 50,000 करोड़ रुपये तक जा सकता है. हमारे पास लैंड बैंक है और हम इसे और बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं.’
केद्रशासित प्रदेश प्रशासन के पास मौजूदा समय में 20,000 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव हैं और इनमें से कुछ परियोजनाओं को पहले ही जमीन आवंटित की जा चुकी है.
सिन्हा ने कहा, ‘ये बदलता कश्मीर है.’
और इस बदलते केंद्रशासित प्रदेश में कई सार्वजनिक और निजी परियोजनाएं चल रही हैं या आने वाली हैं, इसमें दो एम्स (जम्मू और अवंतीपुरा में एक-एक), सात मेडिकल कॉलेज, दो कैंसर संस्थान, सात पैरा-मेडिकल और नर्सिंग कॉलेज, एक बोन एंड कैंसर इंस्टीट्यूट, आआईटी और आईआईएम परिसर, और दो केंद्रीय विश्वविद्यालय आदि शामिल हैं. सिन्हा ने बताया कि चिनाब नदी पर दुनिया का सबसे ऊंचा पुल लगभग पूरा हो गया है. एक साल बाद कश्मीर के लोग सीधे कन्याकुमारी जा सकेंगे.
उन्होंने कहा, ‘यह केवल कुछ लोगों का ही अधिकार नहीं है कि उनके बच्चे विदेश में पढ़ें और उनके परिवार के सदस्य विदेश में इलाज कराएं. यहां अच्छे कॉर्पोरेट अस्पताल, शैक्षणिक संस्थान, निजी विश्वविद्यालय भी होने चाहिए. हमारे दिमाग में कल्पना है कि श्रीनगर और जम्मू में मेडिसिटी बनाई जाए. एक ही जगह चार-पांच कॉरपोरेट अस्पताल हों, वहीं डायग्नोस्टिक सेंटर, वहीं रेडियोलॉजी के सेंटर और वहीं मेडिसिन की दुकानें हों और अन्य सुविधाएं हों.’
कश्मीरी पंडितों पर
सिन्हा ने बताया कि भारत सरकार ने कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास के लिए 6,000 नौकरियों और 6,000 घरों का पैकेज दिया था.
साथ ही जोड़ा, ‘लेकिन एक समीक्षा के दौरान मुझे पता चला कि उन्हें किसी न किसी बहाने नौकरी नहीं दी गई थी. मैं आज आपको बताना चाहता हूं कि उनमें से लगभग 4,000 को नौकरी मिल गई है और 80-84 को छोड़कर बाकी लोगों को भी अगले तीन-चार महीने में मिल जाएगी.’
उन्होंने बताया कि जहां तक आवास की बात है 1,800 घर निर्माणाधीन हैं और अगले छह से आठ महीनों में बनकर तैयार हो जाएंगे. बाकी मकानों के लिए भूमि चिह्नित कर ली गई है और निविदा/डीपीआर की प्रक्रिया चल रही है. एलजी ने बताया, ‘अगले दो साल में सभी घर बन जाएंगे. इसके अलावा, हमने एक पुनर्वास नीति भी बनाई है, लेकिन इस पर चर्चा इसके धरातल पर उतरने के बाद ही करूंगा.’
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