मुंबई: बंबई उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि वह मुंबई में वकीलों के समक्ष आने वाली कठिनाइयों से अवगत है, लेकिन वह चिकित्सकीय सलाह से परे उन्हें काम पर जाने के लिए लोकल ट्रेन सेवाओं का उपयोग करने की अनुमति नहीं दे सकता.
मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जीएस कुलकमर्णी की एक पीठ ने हालांकि महाराष्ट्र सरकार को 16 जुलाई तक यह बताने का निर्देश दिया कि क्या उच्च न्यायालय के 60 पंजीकृत न्यायिक क्लर्क को लोकल ट्रेन का उपयोग करने की अनुमति दी जा सकती है या नहीं, क्योंकि उच्च न्यायालय वर्तमान में केवल परिसर में आकर मामले दायर करने की अनुमति दे रहा है.
उच्च न्यायालय वकीलों को अदालतों और उनके कार्यालयों तक जाने के लिए लोकल ट्रेन सेवाओं का इस्तेमाल करने की अनुमति देने के लिये दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था.
पीठ ने कहा कि एक जुलाई को प्रशासनिक समिति की बैठक के बाद उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को न्यायिक क्लर्क को अनुमति देने के सबंध में फैसला करने का निर्देश दिया था. उसने राज्य में कोविड-19 की स्थिति में सुधार होने तक वकीलों को ट्रेनों का उपयोग करने की अनुमति ना देने का फैसला किया था.
पीठ ने मंगलवार को राज्य की स्थायी वकील पूर्णिमा कंथारिया को राज्य का निर्णय बताने का निर्देश दिया. याचिकाकर्ताओं में से एक के वकील श्याम देवाणी ने एक बार फिर इस बात को दोहराया कि वकीलों को भी कार्यालय आने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
इस पर पीठ ने कहा, ‘यह ना सोचें कि हमें वकीलों की परेशनियों की चिंता नहीं है. लेकिन हम चिकित्सा सलाह से परे नहीं जा सकते। हमने राज्य के शीर्ष स्वास्थ्य संगठन ‘महाराष्ट्र कोविड-19 कार्यबल’ से वकीलों की परेशानी को लेकर सलाह ली है.’
अदातल ने इस मामले में अब 16 जुलाई को आगे सुनवाई करेगा.
गौरतलब है कि मुंबई में लोकल ट्रेन सेवाएं केवल आपात सेवाओं में लिप्त लोगों के लिए चलाई जा रही है.