हैदराबाद: तेलंगाना कांग्रेस के नए अध्यक्ष रेवंत रेड्डी, जिनकी नियुक्ति ने राज्य इकाई में कई सवालों को जन्म दिया था, ने दिप्रिंट को बताया कि उनकी पदोन्नति मुख्य रूप से युवाओं के बीच उनके आकर्षण, राजनीति की उनकी आक्रामक शैली और उनके राजनीतिक ट्रैक रिकॉर्ड के कारण हुई है.
एक विशेष साक्षात्कार में, रेड्डी ने यह भी स्वीकार किया कि उन्हें पार्टी आलाकमान का समर्थन प्राप्त है. उन्होंने कहा, ‘राहुल गांधी को मुझ पर भरोसा है. राहुल गांधी के साथ मेरे अच्छे संबंध हैं. मैं केवल एक बार प्रियंका गांधी से मिला, लेकिन उनके साथ किसी विस्तृत राजनीति पर चर्चा नहीं की.’
मलकाजगिरी निर्वाचन क्षेत्र के 53 वर्षीय कांग्रेस सांसद को पिछले महीने राज्य इकाई का प्रमुख नियुक्त किया गया था, उन्होंने इस पद को पाने के लिए कम से कम चार दिग्गजों को पीछे छोड़ा. उनकी नियुक्ति ने सबकी भौंहें चढ़ा दी थी, क्योंकि रेड्डी हर उस राजनीतिक दल (भाजपा, तेलंगाना राष्ट्र समिति और तेलुगु देशम पार्टी) के सदस्य रहे हैं जो आज तेलंगाना में मायने रखती हैं.
लेकिन, यह राज्य में भाजपा के उदय के बीच हुआ है, जब कांग्रेस राज्य में कमजोर हो रही है.
रेड्डी ने दिप्रिंट को बताया कि पार्टी में दिग्गजों के बीच कांग्रेस को अब उनकी आक्रामक राजनीति की जरूरत है और उन्होंने अपना पक्ष रखने के लिए क्रिकेट एनालाजी का हवाला दिया.
उन्होंने कहा, ‘क्रिकेट पर विचार करें– टेस्ट मैचों से, हम T20 मैचों की तरफ चले गए हैं. इसलिए, यह हिट आउट या गेट आउट जैसा है और यह अब तेलंगाना का राजनीतिक परिदृश्य है. चूंकि अधिकांश आबादी 18-35 आयु वर्ग के बीच है, उनके बीच लोकप्रियता हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करने और विपक्ष के रूप में हिट करने का समय है. इसलिए मेरा मानना है कि मुझे चुना गया था.
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रेड्डी के अनुसार, कांग्रेस चार मंत्रों पर निर्भर करेगी- बेहतर नीतियां, कैलकुलेशन, कम्युनिकेशन और क्रियान्वयन. शुरुआत के लिए नए पीसीसी प्रमुख जल्द ही मंडल स्तर के कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करेंगे और जमीनी स्तर के कैडर को मजबूत करने के लिए एक रूपरेखा तैयार करेंगे.
हालांकि, रेड्डी ने कहा कि पार्टी के पास मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव या केसीआर के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए धन या संसाधन नहीं है. उन्होंने आरोप लगाया कि टीआरएस ‘पैसे और बाहुबल’ पर भरोसा करती है.
‘केसीआर तानाशाह हैं, मोदी से है समानता’
रेड्डी ने मुख्यमंत्री राव पर अपने मंत्रियों के साथ तानाशाही करने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह एक विशेषता केसीआर में है जो कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी में भी है.
रेड्डी ने कहा, ‘मोदी के मंत्रिमंडल में मंत्री एक अटेंडर होता है और इससे ज्यादा कुछ नहीं. एक अटेंडर जो फाइलों को सुलझाने में मदद करेगा. राज्य में, यह और भी बुरा है. केसीआर के कैबिनेट में मंत्री सिर्फ नौकर हैं, जो यहां-वहां चाय की प्याली इधर उधर करते हैं. मैं यह नहीं कह रहा हूं- केसीआर के पूर्व सहयोगी और पूर्व मंत्री एटाला (राजेंद्र) ने पार्टी छोड़ने पर भी यही कहा था.
रेड्डी ने यह भी कहा कि जब प्रशासन की बात आती है तो पीएम और सीएम खासकर महामारी से निपटने में असमर्थ हैं.
उन्होंने कहा, ‘जब प्रशासन की बात आती है तो वे दोनों फेल हैं क्योंकि वे पूरी तरह विफल हो जाते हैं. आवश्यकता के अनुसार वैक्सीन के आदेश नहीं दिए गए थे. उन्होंने (मोदी) कोविड प्रबंधन (वैक्सीन) के लिए 35,000 करोड़ रुपये के फंड की घोषणा की, लेकिन दिल्ली में 5,000 रुपये भी खर्च नहीं किए. मोदी सचमुच प्रदर्शन करने में विफल रहे और उन्होंने अपनी गलतियों के लिए हर्षवर्धन (पूर्व केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री) पर दोष मढ़ दिया और फिर उन्हें हटा दिया.
कांग्रेस प्रमुख ने यह भी आरोप लगाया कि केसीआर के नेतृत्व में, राज्य में असंतोष की कोई गुंजाइश नहीं है. उन्होंने कहा कि राजनीतिक दल हों या कोई भी नागरिक अधिकार संगठन, केसीआर के कठोर शासन के तहत एक साधारण विरोध करने की भी स्वतंत्रता नहीं है.
उन्होंने आगे कहा कि विशेष रूप से तेलंगाना आंदोलन के समय अधूरे वादे- चाहे वह एक दलित मुख्यमंत्री हो, मुफ्त शिक्षा, दलितों के लिए भूमि हो – यही कारण होंगे कि केसीआर को तीसरे कार्यकाल के लिए नहीं चुना जाएगा.
उन्होंने कहा, ‘केसीआर अब तेलंगाना भावना से नहीं खेल सकते. लोग इससे ऊपर उठ चुके हैं और तेलंगाना के लिए हम सभी ने जिन कारणों से संघर्ष किया, उनमें से एक एक ऐसे जीवन के लिए है जहां हमें स्वतंत्रता है (तेलुगु में स्वेचा) – लेकिन उनके शासन में, लोग असंतोष भी व्यक्त नहीं कर सकते.’
‘बीजेपी एक अजूबा, शर्मिला की पार्टी एक एनजीओ’
तेलंगाना के राजनीतिक परिदृश्य ने पिछले कुछ महीनों में नया रूप देखने को मिला है, भाजपा ने हैदराबाद नगरपालिका चुनावों में जमीन बनाई है और टीआरएस की दुब्बाका सीट पर विधानसभा उपचुनाव में जीत हासिल की है.
रेड्डी की पीसीसी प्रमुख के रूप में पदोन्नति के अलावा, वाई.एस. शर्मिला आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई.एस. जगन रेड्डी की बहन ने 8 जुलाई को अपना खुद का राजनीतिक संगठन – वाईएसआर तेलंगाना पार्टी लॉन्च किया.
भाजपा आक्रामक रूप से खुद को प्रमुख विपक्ष के रूप में स्थापित करने और कांग्रेस को तीसरे स्थान पर धकेलने की कोशिश कर रही है.
लेकिन रेड्डी का मानना है कि भाजपा का प्रदर्शन ‘एक बार के आश्चर्य’ के अलावा और कुछ नहीं है और कहा कि शर्मिला की राजनीतिक पार्टी एक एनजीओ के अलावा कुछ नहीं है.
कांग्रेस प्रमुख का यह भी मानना है कि केसीआर जल्द चुनाव का आह्वान करेंगे लेकिन 15 अगस्त 2022 के कुछ समय बाद जैसे उन्होंने 2018 में किया था.
रेड्डी ने यह भी भविष्यवाणी की कि एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, जो केसीआर के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध साझा करते हैं, मुख्यमंत्री के खिलाफ जाएंगे.
रेड्डी ने कहा, ‘ओवैसी मेरे अच्छे दोस्त हैं. मुझे उम्मीद है कि वह मेरे साथ रहेंगे. वह एक ऐसे व्यक्ति हैं जो समझते हैं कि लोग क्या चाहते हैं. उन्होंने (ओवैसी) सोचा कि केसीआर उन मुद्दों को सुलझाएंगे जो मुसलमानों के हैं. लेकिन न तो मुस्लिम आरक्षण को 4 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी किया गया और न ही अल्पसंख्यक आयोग की स्थापना की गई.
उन्होंने कहा, ‘वक्फ संपत्तियों की रक्षा नहीं की गई है, अल्पसंख्यक ऋण नहीं दिए गए हैं. इसलिए जब समुदाय को कुछ भी नहीं दिया गया है, तो मेरा मानना है कि ओवैसी केसीआर के खिलाफ जाएंगे. मुझे कोई जानकारी नहीं है; यह सिर्फ मेरा अवलोकन है.
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