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Wednesday, 20 November, 2024
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‘पदयात्रा, साइकिल मैन, उत्साही मगर शांत वर्कर’- मोदी सरकार में बने नए स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया

प्रधानमंत्री मोदी द्वारा इस सप्ताह किये गए कैबिनेट फेरबदल में मनसुख मांडविया को स्वास्थ्य विभाग सौंपा गया है. साथ ही उन्हें रसायन और उर्वरक मंत्री भी बनाया गया है.

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नई दिल्ली:वो बोलते कम हैं, और काम ज्यादा करते हैं ‘. भारतीय जनता पार्टी के गुजरात ईकाई के सदस्य नवनियुक्त केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया का वर्णन कुछ इस तरह करते हैं.

मांडविया, जो इससे पहले स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्री के रूप में शिपिंग (जहाजरानी) मंत्रालय संभाल रहे थे और रसायन एवं उर्वरक विभाग के कनिष्ठ मंत्री थे, को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इस सप्ताह वृहत पैमाने पर किये गए कैबिनेट फेरबदल में स्वास्थ्य विभाग जैसा महत्वपूर्ण पदभार सौंपा गया. साथ हीं उन्हें रसायन एवं उर्वरक मंत्री भी बनाया गया है.

कम शोर-शराबे (लो प्रोफाइल) और शांत आचरण के लिए जाने जाने वाले, गुजरात के 49 वर्षीय इस भाजपा नेता का अक्सर एक ऐसे व्यक्ति के रूप में वर्णन किया जाता है जिस पर एक साथ कई लोग निर्भर कर सकते हैं. यह एक ऐसा गुण है जो स्वास्थ्य मंत्री के रूप में उनके लिए बहुत काम आने की उम्मीद है, खासकर ऐसे समय में जब पूरा देश कोविड महामारी के प्रकोप को झेल रहा है और इसके तीसरी लहर की तैयारी कर रहा है.

उद्योग जगत के सूत्रों का कहना है कि उनकी विश्वसनीयता इस साल अप्रैल के अंत में आई कोरोना महामारी की विनाशकारी दूसरी लहर के दौरान विशेष रूप से उभर कर सामने आई थी. वे कहते हैं कि यह मांडविया की त्वरित कार्रवाई और रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय- जो फार्मास्यूटिकल्स विभाग की भी देखरेख करता है- के राज्य मंत्री के रूप में उनकी अच्छी योजना के कारण ही संभव हो सका कि इस दौरान समूचे भारत में दवाओं का उत्पादन मांग के अनुरूप बना रहा.

यह भी पता चला है कि मांडविया पूरे भारत में दवाओं की कमी न होने देने के लिए नियमित रूप से नेशनल फार्मसूटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण)- दवाओं की उपलब्धता के लिए प्रभारी नियामक एजेंसी के साथ संपर्क में रहे.

उन्होंने दवा निर्माताओं के साथ नियमित बैठकें भी की और उनसे रेमेडिसिविर और फेविपिरवीर जैसी प्रमुख कोविड संबंधित दवाओं के उत्पादन को बढ़ावा देने का अनुरोध किया.

एक शीर्ष फार्मास्युटिकल फर्म उद्योग के एक अधिकारी ने बताया, ‘उन्होंने (औषधि) उत्पादन के साथ जुड़े मुद्दों को समझने की कोशिश की. उन्होंने हमें स्पष्ट रूप से बताया कि हो सकता है कि वह वैज्ञानिक विवरणों को ठीक से न समझ सकें, इसलिए उन्होंने हमसे बार-बार पूछा. उन्होंने हमारी बात सुनी और उद्योग जगत ने भी उनके निर्देशों का पालन किया.’


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‘वे भारत के सर्वश्रेष्ठ स्वास्थ्य मंत्रियों में से एक होंगे’

मनसुख मांडविया ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से की थी. वह पहली बार 2002 में गुजरात विधानसभा के लिए चुने गए और 30 साल की उम्र में उस विधानसभा में सबसे कम उम्र के विधायक बने.

उनके करीबी लोगों के अनुसार, मांडविया का कैबिनेट मंत्री के पद तक का उत्थान काफी सतत रहा है, फिर भी उन्हें हमेशा कम करके आंका गया है. अपने जीवन के चौथे दशक के अंत में, वह 2010 में पहली बार राज्य सभा के सदस्य बने. चार साल बाद उन्हें गुजरात में भाजपा का महासचिव बनाया गया.

उनके बारे में बात करते गए गुजरात भाजपा के उपाध्यक्ष भरतभाई बोघरा ने कहा, ‘वह युवा और डायनिमिक व्यक्ति हैं और उन्होंने हमेशा अच्छा प्रदर्शन किया है. वह भारत के सर्वश्रेष्ठ स्वास्थ्य मंत्रियों में से एक होंगे.’

मांडविया को बोघरा उनके विधायकी के दिनों से जानते हैं. उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘उस समय, मैं पार्टी का एक आम कार्यकर्ता था. उन्हें देखकर ही मैंने बहुत कुछ सीखा है. शुरुआत से ही उन्होंने अपने आप को खुद तक ही सीमित रखा है और वे केवल अपने काम से ही मतलब रखते हैं.’

2009 में, जब बोघरा उपचुनाव लड़ रहे थे तब मांडविया पार्टी के चुनाव प्रभारी थे और वह एक महीने तक हर दिन बोघरा के साथ बैठकर चुनावी रणनीति बनाते थे. बोघरा बताते हैं. ‘उन्होंने मुझसे कहा- कोई भी इशू आएगा तो धीरज से काम लीजियेगा, जल्दबाजी नहीं करना.’

लक्षद्वीप के प्रशासक प्रफुल खोड़ा पटेल, जो पार्टी की राज्य ईकाई में मांडविया के कार्यकाल के दौरान गुजरात के गृह मंत्री थे, के भी नए स्वास्थ्य मंत्री के बारे में कुछ इसी तरह के विचार हैं.

पटेल ने दिप्रिंट को बताया, ‘मैं मनसुख मांडविया को पिछले 14-15 सालों से जानता हूं. वह बहुत लो प्रोफाइल हैं तथा ज़मीन से जुड़े हुए और अत्यंत मेहनती हैं. जब मैं गुजरात का गृह मंत्री था तब वह राज्य भाजपा के कामकाज की देखरेख कर रहे थे. वह एक अच्छे इंसान हैं जिन्होंने बहुत सारा काम किया हुआ है.’

इतने समय के बाद भी, मांडविया के लिए उनका अपना गृह राज्य गुजरात महत्वपूर्ण बना हुआ है- यह एक ऐसा तथ्य है जो उनके सोशल मीडिया के माध्यम से स्पष्ट होता है. वह अक्सर गुजरात के बारे में और गुजराती भाषा में पोस्ट करते हैं.

गुजरात के लिए उनके प्यार के अलावा पीएम मोदी के लिए उनकी प्रशंसा भी उनके सोशल मीडिया के माध्यम से देखी जा सकती है. मांडविया ने प्रधानमंत्री को धन्यवाद देने से लेकर उन्हें ‘नए भारत का निर्माता’ तक कहा है. उन्होंने पीएम मोदी के बारे में खूब सारे ट्वीट भी किए हैं.

2017 में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान गुजरात का मुख्यमंत्री बनने की दौड़ में मांडविया भी सबसे आगे रहने वाले नामों में से एक थे लेकिन अंततः यह पद विजय रूपानी के पाले में चला गया.


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गौरवान्वित पिता, ‘पदयात्रा’ और ‘साइकिल मैन’ की उपाधि

मांडविया गुजरात के पलिताना क्षेत्र के रहने वाले हैं और उनका जन्म 1972 में हनोल गांव के एक किसान परिवार में हुआ था.

पशु चिकित्सा विज्ञान में स्नातक और राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर करने वाले मांडविया ने 2010 में गुजरात एग्रो इंडस्ट्रीज कॉर्पोरेशन लिमिटेड के अध्यक्ष के रूप में भी काम किया.

दो बच्चों के पिता, मांडविया ने इस साल अप्रैल में सोशल मीडिया पर अपनी बेटी दिशा की एक तस्वीर साझा की, जब वह एक मेडिकल इंटर्न के रूप में अहमदाबाद के एक अस्पताल में काम पर गई थी.

पदयात्रा मैन ‘ के रूप में लोकप्रिय मांडविया ने कई लंबी-लंबी पैदल यात्राओं में भाग लिया है.

राज्य में सबसे कम उम्र के विधायक बनने के दो साल बाद 2004 में मांडविया ने ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ अभियान के लिए 123 किलोमीटर लंबी पदयात्रा का आयोजन किया, जिसके तहत उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र पलिताना के 45 शैक्षिक रूप से पिछड़े गांवों का भ्रमण किया.

2006 में भी उन्होंने ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, व्यसन हटाओ’ अभियान को बढ़ावा देने के लिए 127 किलोमीटर की पदयात्रा का आयोजन किया.

2019 में उन्होंने एक 150 किलोमीटर के मार्च का आयोजन किया, जिसमें ‘गांधीवादी सिद्धांतों और मूल्यों की ओर’ विषय पर 150 गांवों को शामिल किया गया था. उन्होंने ग्रामीणों को सस्ती दवाएं और 10 करोड़ से अधिक सैनिटरी नैपकिन भी वितरित किए.

2019 में केंद्रीय मंत्री के रूप में अपने शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए साइकिल चला कर आने के बाद से मांडविया को ‘साइकिल मैन’ के रूप में भी जाना जाने लगा. इस बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा था, ‘मेरे लिए साइकिल चलाना एक फैशन नहीं है. यह मेरा पैशन (जुनून) है.‘

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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