नयी दिल्ली : ब्रिटेन की केयर्न एनर्जी ने मध्यस्थता आदेश के तहत 1.7 अरब अमेरिकी डॉलर का हर्जाना वसूलने के लिए एक फ्रांसीसी अदालत से फ्रांस में स्थित 20 भारतीय सरकारी संपत्तियों को जब्त करने का आदेश हासिल किया है.
फ्रांसीसी अदालत ने 11 जून को केयर्न एनर्जी को भारत सरकार की संपत्तियों के अधिग्रहण का आदेश दिया था, जिनमें ज्यादातर फ्लैट शामिल हैं, और इस बारे में कानूनी प्रक्रिया बुधवार शाम को पूरी हो गई.
इस मामले से सीधे तौर पर जुड़े तीन लोगों ने कहा कि इन संपत्तियों में ज्यादातर फ्लैट हैं, जिनकी कीमत दो करोड़ यूरो से अधिक है, और इनका इस्तेमाल फ्रांस में भारत सरकार द्वारा किया जाता है.
फ्रांसीसी अदालत ट्रिब्यूनल ज्यूडिशियर डी पेरिस ने 11 जून को केयर्न के आवेदन पर (न्यायिक बंधक के माध्यम से) मध्य पेरिस में स्थित भारत सरकार के स्वामित्व वाली आवासीय अचल संपत्ति को जब्त करने का फैसला दिया था.
सूत्रों ने कहा कि इसके लिए कानूनी औपचारिकताओं को बुधवार शाम को पूरा कर लिया गया. हालांकि, केयर्न द्वारा इन संपत्तियों में रहने वाले भारतीय अधिकारियों को बेदखल करने की संभावना नहीं है, लेकिन अदालत के आदेश के बाद सरकार उन्हें बेच नहीं सकती है.
एक मध्यस्थता अदालत ने दिसंबर में भारत सरकार को आदेश दिया था कि वह केयर्न एनर्जी को 1.2 अरब डॉलर से अधिक का ब्याज और जुर्माना चुकाए.
भारत सरकार ने इस आदेश को स्वीकार नहीं किया, जिसके बाद केयर्न एनर्जी ने भारत सरकार की संपत्ति को जब्त करके देय राशि की वसूली के लिए विदेशों में कई न्यायालयों में अपील की.
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तीन सदस्यीय अंतरराष्ट्रीय पंचाट ने पिछले साल दिसंबर में एकमत से केयर्न पर भारत सरकार की पिछली तारीख से कर मांग को खारिज कर दिया था. न्यायाधिकरण में भारत की ओर से नियुक्त एक जज भी शामिल थे. न्यायाधिकरण ने सरकार को उसके द्वारा बेचे गए शेयरों, जब्त लाभांश और कर रिफंड को वापस करने का निर्देश दिया था.
चार साल के दौरान पंचनिर्णय प्रक्रिया में शामिल रहने के बावजूद भारत सरकार ने इस फैसले को स्वीकार नहीं किया और न्यायाधिकरण की सीट- नीदरलैंड की अदालत में इसे चुनौती दी थी.
इससे पहले केयर्न एनर्जी ने न्यूयॉर्क के दक्षिणी जिले की अमेरिकी जिला अदालत में दायर मामले में कहा था कि एयर इंडिया पर भारत सरकार का नियंत्रण है. ऐसे में अदालत को पंचाट के फैसले को पूरा करने का दायित्व एयरलाइन कंपनी पर डालना चाहिए.
कंपनी का प्रतिनिधित्व कर रही विधि कंपनी क्विन इमैनुअल उर्कहार्ट एंड सुलिवन के सॉवरेन लिटिगेशन प्रैक्टिस प्रमुख डेनिस हर्निटजकी ने कहा था, ‘कई ऐसे सार्वजनिक उपक्रम हैं जिनपर हम प्रवर्तक कार्रवाई का विचार रहे है. प्रवर्तन कार्रवाई जल्द होगी और शायद यह अमेरिका में नहीं हो.’
अपने शेयरधारकों के दबाव के बाद केयर्न विदेशों में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों ओर बैंक खातों को जब्त कर इस राशि की वसूली का प्रयास कर रही है.
वित्त मंत्रालय ने इस मामले पर तुरंत टिप्पणी नहीं की, लेकिन केयर्न के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘हमारी प्राथमिकता इस मामले को खत्म करने के लिए भारत सरकार के साथ सहमति से सौहार्दपूर्ण समझौता करना है, और उसके लिए हमने इस साल फरवरी से प्रस्तावों की विस्तृत श्रृंखला पेश की है.’
प्रवक्ता ने आगे कहा, ‘किसी समझौते के अभाव में केयर्न को अपने अंतरराष्ट्रीय शेयरधारकों के हितों की रक्षा के लिए सभी जरूरी कानूनी कार्रवाई करनी होगी.’
सूत्रों ने कहा कि फ्रांसीसी अदालत का आदेश केयर्न पर बकाया कर्ज की वसूली के लिए भारत सरकार से संबंधित करीब 20 संपत्तियों को प्रभावित करता है. पूरे मामले से जुड़े एक व्यक्ति ने कहा, ‘संपत्तियों का मालिकाना हक पाने के लिए यह एक जरूरी प्रारंभिक कदम है और यह सुनिश्चित करता है कि इन्हें केयर्न ही बेच सकेगी.’
केयर्न एनर्जी ने इससे पहले कहा था कि उसने भारत सरकार से 1.72 अरब डालर की वसूली के लिये विदेशों में करीब 70 अरब डालर की भारतीय संपत्तियों की पहचान की है.
इससे पहले पाकिस्तान और वेनेजुएला जैसे देशों को मध्यस्थता अदालत के फैसले का पालन नहीं करने पर इस प्रकार की कार्रवाई का सामना करना पड़ा है.
एक सूत्र ने कहा, ‘भारत सरकार स्वाभाविक तौर पर इस प्रकार की जब्ती को चुनौती देगी लेकिन उसे अपनी संपत्ति को बचाने के लिये संपत्ति के बराबर की राशि बैंक गारंटी के तौर पर पर रखनी होगी. यदि अदालत में केयर्न के मामले को तवज्जो नहीं मिली तो भारत सरकार को यह गारंटी वापस मिल जायेगी और यदि अदालत यह कहती है कि भारत सरकार अपना दायित्व नहीं निभा पाई है तो गारंटी राशि केयर्न के सुपुर्द कर दी जायेगी.’