नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंत्रीपरिषद में बुधवार को विस्तार और फेरबदल किया गया. इसमें 36 नए चेहरों को शामिल किया गया है जबकि सात वर्तमान राज्यमंत्रियों को पदोन्नत कर मंत्रिमंडल में शामिल किया गया. आठ नए चेहरों को भी कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया.
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल में आयोजित एक समारोह में मंत्रिपरिषद में शामिल किए गए सभी 43 सदस्यों को पद व गोपनीयता की शपथ दिलाई.
प्रधानमंत्री मोदी के अलावा उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल विपिन रावत सहित कई अन्य गणमान्य व्यक्ति इस अवसर पर मौजूद थे.
प्रधानमंत्री के रूप में मई 2019 में 57 मंत्रियों के साथ अपना दूसरा कार्यकाल आरंभ करने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने पहली बार केंद्रीय मंत्रिपरिषद में फेरबदल व विस्तार किया है.
कैबिनेट मंत्री के रूप में महाराष्ट्र से राज्यसभा के सदस्य नारायण राणे, असम के पूर्व मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल, पूर्व केंद्रीय मंत्री व मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ से सांसद वीरेंद्र कुमार, मध्य प्रदेश से राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया, जनता दल यूनाईटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष व राज्यसभा सदस्य राम चंद्र प्रसाद सिंह, ओड़िशा से भाजपा के राज्यसभा सदस्य अश्विनी वैष्णव और लोक जनशक्ति पार्टी के पारस गुट के अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस ने शपथ ली.
इनके अलावा किरेन रिजिजू, राजकुमार सिंह, हरदीप सिंह पुरी और मनसुख भाई मांडविया ने भी कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की. इन चारों नेताओं को राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) से पदोन्नत कर कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया है.
रिजिजू इससे पहले युवक कार्यक्रम और खेल मंत्रालय में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) थे और सिंह पहले विद्युत मंत्रालय में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) थे जबकि पुरी आवासन तथा शहरी विकास और नागर विमानन मंत्रालय में राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) थे. मांडविया के पास बंदरगाह, पोत और जलमार्ग परिवहन मंत्रालय के राज्य मंत्री का (स्वतंत्र प्रभार) था.
भाजपा महासचिव व राजस्थान से राज्यसभा के सदस्य भूपेंद्र यादव ने भी कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली.
जिन राज्यमंत्रियों को पदोन्नत कर सीधे कैबिनेट मंत्री बनाया गया उनमें पुरुषोत्तम रूपाला, जी किशन रेड्डी और अनुराग सिंह ठाकुर शामिल हैं. रूपाला इससे पहले कृषि राज्यमंत्री थे जबकि रेड्डी गृह राज्यमंत्री और ठाकुर वित्त राज्यमंत्री थे.
राज्यमंत्री के रूप में शपथ लेने वालों में उत्तर प्रदेश के मोहनलालगंज से भाजपा के सांसद पंकज चौधरी, अपना दल (एस) की अनुप्रिया पटेल, आगरा के सांसद एस पी सिंह बघेल, कर्नाटक से भाजपा के राज्यसभा सदस्य राजीव चंद्रशेखर, कर्नाटक के ही उडुपी चिकमंगलूर से सांसद शोभा करंदलाजे, उत्तर प्रदेश के जालौन से पांचवीं बार के सांसद भानु प्रताप सिंह वर्मा, गुजरात के सूरत की सांसद दर्शना जरदोश, नई दिल्ली की सांसद मीनाक्षी लेखी, झारखंड के कोडरमा की सांसद अन्नपूर्णा देवी, कर्नाटक के चित्रदुर्ग के सांसद ए नारायणस्वामी, उत्तर प्रदेश के मोहनलाल गंज से सांसद कौशल किशोर, उत्तराखंड के नैनीताल-ऊधमसिंह नगर से सांसद अजय भट्ट, उत्तर प्रदेश के ही खीरी से सांसद अजय मिश्रा, उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के सदस्य बी एल वर्मा, गुजरात के खेड़ा से सांसद चौहान देबू सिंह, कर्नाटक के बीदर से सांसद भगवंत खूबा, महाराष्ट्र के भिवंडी से सांसद कपिल पाटिल, पश्चिम त्रिपुरा की सांसद प्रतिमा भौमिक, पश्चिम बंगाल के बांकुड़ा से सांसद सुभाष सरकार, महाराष्ट्र से राज्यसभा के सदस्य भागवत कराड, मणिपुर के सांसद राजकुमार रंजन सिंह, महाराष्ट्र के ही दिन्डोरी से सांसद भारती पवार, ओडिशा के मयूरभंज से सांसद विश्वेश्वर टुडु, पश्चिम बंगाल के बनगांव के सांसद शांतनु ठाकुर, गुजरात के सुरेंद्रनगर से सांसद मुंजापरा महेंद्र भाई, पश्चिम बंगाल के अलीद्वारपुर से सांसद जॉन बरला, तमिलनाडु भाजपा के अध्यक्ष एल मुरुगन और पश्चिम बंगाल के कूचविहार से सांसद निषिथ प्रमाणिक शामिल हैं.
इनमें से मुरुगन और सोनोवाल ऐसे नेता है जो संसद के किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं.
इससे पहले रमेश पोखरियाल निशंक, डॉ. हर्षवर्द्धन, सदानंद गौड़ा, रविशंकर प्रसाद, प्रकाश जावड़ेकर, संतोष कुमार गंगवार सहित 12 मंत्रियों ने केंद्रीय मंत्रिपरिषद से इस्तीफा दे दिया.
इनके अलावा थावरचंद गहलोत, बाबुल सुप्रियो, संजय धोत्रे, रतनलाल कटारिया, प्रतापचंद सारंगी और देवश्री चौधरी ने भी अपने-अपने पदों से इस्तीफा दे दिया. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इन सभी का इस्तीफा स्वीकार कर लिया.