मुंबई: महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार से जुड़ी एक कंपनी को चीनी मिल का पट्टा दिए जाने के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की कार्रवाई के बीच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने ऐसी 30 और चीनी मिलों की सूची केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को भेजी है जिसमें लेनदेन संबंधी अनियमितताओं की संभावना हो सकती है.
हालांकि, 3 जुलाई के इस पत्र, जिसकी एक प्रति दिप्रिंट के पास है, ने भाजपा के लिए असहजता की स्थिति उत्पन्न कर दी है, क्योंकि पाटिल की सूची में शामिल दो फैक्टरियां पार्टी के वरिष्ठ नेता नितिन गडकरी के परिवार से जुड़ी हैं.
पाटिल ने आरोप लगाया है कि महाराष्ट्र राज्य सहकारी (एमएससी) बैंक ने 30 चीनी मिलों, जिसकी उन्होंने सूची दी है, की नीलामी की और उन्हें बैंक के निदेशकों के रिश्तेदारों को औने-पौने दाम पर दे दिया.
इनमें से दो फैक्टरियां- महात्मा सरकारी साखर कारखाना और वैनगंगा सरकार साखर कारखाना- क्रमशः महात्मा शुगर एंड पावर लिमिटेड और वैनगंगा शुगर एंड पावर लिमिटेड ने खरीदी थीं.
केंद्रीय मंत्री गडकरी के बेटे सारंग गडकरी महात्मा शुगर और वैनगंगा शुगर दोनों कंपनियों में डायरेक्टर हैं. गडकरी के दूसरे बेटे निखिल भी वैनगंगा शुगर में डायरेक्टर हैं.
पाटिल ने शुक्रवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा, ‘उन्होंने यह पत्र कुछ साल पहले बांबे हाईकोर्ट को दी गई एक सूची के आधार पर लिखा है, जब एमएससी बैंक द्वारा कुछ चीनी मिलों की बिक्री में कथित अनियमितताओं को लेकर एक रिट याचिका दायर की गई थी.
पाटिल ने कहा, ‘मैंने केवल उस सूची का हवाला दिया है और अमित भाई से कहा है कि इन सभी की जांच होनी चाहिए. उस सूची में शामिल दो फैक्टरियां नितिनजी गडकरी साहब ने खरीदी हैं. करीब सात-आठ साल पहले जब यह रिट अदालत में दाखिल की गई थी तभी नितिनजी ने खुद यह बात साफ कर दी थी कि उन्होंने फैक्ट्रियों के लिए बैंक की तरफ से तय कीमत से कहीं ज्यादा रकम चुकाई है. साथ ही वह खुद भी कह चुके हैं कि वह किसी भी जांच के लिए तैयार हैं.
उन्होंने कहा, ‘सिर्फ अपने अपराधों को छिपाने के लिए सूची में शामिल गडकरीजी की इन दो फैक्टरियों को रेखांकित करना (अन्य पार्टियों की तरफ से) सही नहीं है.’
एमएससी बैंक मामला
ईडी 2019 से एमएससी बैंक के कामकाज में अनियमितताओं की जांच कर रहा है और उसने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष शरद पवार, उनके भतीजे अजीत पवार और शिवसेना के आनंदराव अडसुल, पीजेंट्स एंड वर्कर्स पार्टी के जयंत पाटिल, कांग्रेस के दिलीपराव देशमुख और मदन पाटिल और एनसीपी के ईश्वरलाल जैन और राजेंद्र शिंगाने जैसे कई अन्य नेताओं के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था.
ईडी ने एमएससी बैंक की तरफ से सहकारी चीनी फैक्टरियों को ऋण देने में अनियमितताएं बरतने का आरोप लगाते हुए कहा है कि इनकी वित्तीय स्थिति कमजोर होने के बावजूद उधार दिया गया और कई मामलों में तो किसी कोलैटरल के बिना ही ऋण स्वीकृत कर दिए गए. तब कारखानों को बीमार दिखाया गया और इन्हें कथित तौर पर कुछ राजनेताओं के करीबी रिश्तेदारों को बेच दिया गया.
पिछले हफ्ते ईडी ने मामले की जांच करते हुए सतारा स्थित जरांदेश्वर सहकारी साखर कारखाना की 65.75 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त कर ली थी. एजेंसी ने आरोप लगाया है कि चीनी मिल को खरीदने के लिए इस्तेमाल किया गया धन एक अन्य कंपनी के माध्यम से भेजा गया था. इस कंपनी को पैसा स्पार्कलिंग सॉयल प्राइवेट लिमिटेड से मिला था, जिसमें अजीत पवार और उनकी पत्नी सुनेत्रा पवार बहुसंख्यक शेयरधारक हैं.
अजीत पवार से जुड़ी एक फर्म के खिलाफ ईडी की कार्रवाई के बाद भाजपा नेता पाटिल ने अमित शाह को एक पत्र लिखकर अन्य चीनी मिलों की बिक्री की भी इसी तरह की जांच कराने को कहा है.
पत्र में कहा गया है, ‘महाराष्ट्र की मौजूदा राज्य सरकार मंत्री के बचाव की कोशिश में जुटी है जो उस समय एमएससी बैंक के निदेशकों में शामिल थे…मैं इसके साथ ही अन्य सहकारी चीनी कारखानों की सूची संलग्न कर रहा हूं जिसमें आगे ईडी की उपयुक्त कार्रवाई के लिए माननीय हाई कोर्ट की तरफ से भी जांचा गया है.’
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