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Thursday, 21 November, 2024
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डिसइंफेक्शन, ‘शुद्धिकरण’, सिर मुंड़ाना—टीएमसी कैसे भाजपा से लौटने वाले कार्यकर्ताओं का ‘स्वागत’ कर रही है

बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की सत्ता में वापसी के बाद से ही भाजपा में चले गए सैकड़ों कार्यकर्ता फिर से पार्टी के साथ जुड़ने की कोशिशों में लगे हैं और इनकी वापसी पर गांवों में ‘स्वागत’ समारोह चल रहे हैं.

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कोलकाता: तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव से ऐन पहले बड़ी संख्या में अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं को पलायन करते देखा था.

अब राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में इसके तमाम पूर्व जमीनी कार्यकर्ता पार्टी में वापसी कर रहे हैं—लेकिन यह ‘शुद्धिकरण’ समारोह के बिना मुमकिन नहीं है और कुछ मामलों में सचमुच डिसइंफेक्टेड करने की प्रक्रिया अपनाई जा रही है और उन्हें सार्वजनिक तौर पर माफी भी मांगनी पड़ रही है जिसे गांव में मुछलेखा के नाम से जाना जाता है.

यद्यपि तृणमूल कांग्रेस आलाकमान का कहना है कि उसका इस सबसे कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन पार्टी में लौटने के इच्छुक भाजपा कार्यकर्ताओं का गंगाजल से शुद्धिकरण कराया जा रहा है, उनके सिर मुंड़वाए जा रहे हैं और बंगाल के गांवों में सार्वजनिक परिवहन के एक देसी साधन बैटरी से चलने वाले रिक्शे यानी टोटो पर बैठाकर ‘माफी-अभियान’ तक चलवाया जा रहा है.

यह सारे कार्यक्रम स्थानीय तृणमूल इकाइयों की तरफ से आयोजित किए जा रहे हैं, खासकर बीरभूम जिले के गांवों में.

2019 के लोकसभा चुनाव में जिले में हवा का रुख जबर्दस्त तरीके से भाजपा के पक्ष में दिखा था. भाजपा ने जिले की दो संसदीय सीटों में से एक पर भी जीत तो हासिल नहीं की, लेकिन 11 विधानसभा क्षेत्रों में से पांच पर बढ़त बना ली थी.

हालांकि, 2021 के विधानसभा चुनाव में तृणमूल ने 11 में से 10 विधानसभा क्षेत्रों में जीत हासिल की है.

तृणमूल के वरिष्ठ नेता और पार्टी के बीरभूम जिला अध्यक्ष अनुब्रत मंडल ने दिप्रिंट को बताया कि कम से कम 25,000 कार्यकर्ताओं ने महसूस किया है कि उन्होंने ‘भाजपा में शामिल होकर और वोट देकर एक बड़ी गलती की है’, और ये पहले ही बीरभूम और बर्धमान में फिर से टीएमसी में लौट चुके हैं.

बर्धमान में तीन महत्वपूर्ण क्षेत्रों—मंगलकोट, केतुग्राम और आयुष ग्राम का प्रभार संभालने वाले मंडल ने कहा कि वो तो ग्रामीण ही हैं जो चाहते थे कि ‘उन पर अत्याचार करने वाली पार्टी से लौटने वालों को कुछ चीजें करनी पड़ें.’

उन्होंने कहा, ‘तृणमूल कांग्रेस का इससे कोई लेना-देना नहीं है, स्थानीय ग्रामीण उन्हें प्रायश्चित करा रहे हैं और ये सब खुद ब खुद चल रहा है.’

तृणमूल के शीर्ष नेतृत्व ने इस तरह के आयोजनों से खुद को पूरी तरह से अलग कर लिया है और कहा है कि उसने अपने जिला या ब्लॉक नेतृत्व को इस तरह के कार्यक्रम आयोजित करने के लिए कोई निर्देश जारी नहीं किया है.

तृणमूल सांसद सुखेंदु शेखर रॉय ने कहा, ‘पार्टी की ओर से ऐसा कोई निर्देश जारी नहीं किया गया है. स्थानीय इकाइयां ऐसे काम जरूर कर रही है लेकिन पार्टी ने सभी से जीत हासिल करने के बाद उदार रवैया अपनाने को कहा है. हम ऐसी पार्टी नहीं हैं जो बदला लेना चाहती हो.’


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‘स्वत: स्फूर्त प्रायश्चित’ का एक महीना

तृणमूल के पूर्व कार्यकर्ताओं की वापसी पर इस तरह के कार्यक्रम पिछले एक महीने से चल रहे हैं.

इस तरह की पहली घटना 8 जून को हुई थी, जब बीरभूम में भाजपा कार्यकर्ताओं के एक समूह ने टोटो में अपने-अपने पंचायत क्षेत्रों का चक्कर लगाना शुरू किया.

भाजपा का झंडा लगाकर चल रहे इन कार्यकर्ताओं ने घोषणा करनी शुरू की कि उन्हें पंचायतों के काम नहीं करने और कट मनी के बारे में ‘भ्रामक सूचना दी गई और गुमराह’ किया गया था. ‘ये सब झूठ था. हमने भाजपा के लिए काम करके पाप किया है. हमें क्षमा कर दीजिए.’

तब से लेकर अब तक जिले के कई गांवों में ऐसी कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं.

पार्टी में पुनर्वापसी पर इस तरह की नवीनतम घटना 24 जून को हुई, जब लगभग 150 भाजपा कार्यकर्ता बीरभूम के इलामबाजार में फिर से तृणमूल में शामिल हुए. उन पर कीटाणुनाशक का छिड़काव किया गया.

इससे कुछ दिन पहले 19 जून को स्थानीय तृणमूल कांग्रेस इकाई ने बीरभूम के सैंथिया में लगभग 300 ऐसे कार्यकर्ताओं की वापसी के लिए ‘शुद्धिकरण प्रक्रिया’ का आयोजन किया था.

पार्टी दफ्तर के बाहर खड़े भाजपा कार्यकर्ताओं के हाथ में जो पोस्टर थे इन पर इस तरह की लाइनें लिखी थी, ‘भाजपा में शामिल होना एक बड़ी भूल थी’, ‘भाजपा अत्याचारियों की पार्टी है, कृपया हमें माफ कर दो और हमें वापस ले लो.’ अच्छे-खासे ड्रामे के बाद स्थानीय तृणमूल नेता मौके पर पहुंचे, गंगा जल छिड़का और उन्हें पार्टी में शामिल किया.

मंडल ने कहा, ‘हमने उनसे ऐसा कुछ करने को नहीं कहा. उन्होंने (भाजपा कैडर ने) यह सब खुद किया है. वे प्रायश्चित कर रहे हैं. कई जगहों पर, वे सार्वजनिक तौर पर माफी मांग रहे हैं और हमसे जुड़ रहे हैं. हमने उन्हें अपने साथ जुड़ने को नहीं कहा. मुझे अब भी कई नेताओं और कार्यकर्ताओं के फोन आ रहे हैं, जो हमारी पार्टी में लौटना चाहते हैं.’

हुगली के खानकुल में 22 जून को करीब 200 भाजपा कार्यकर्ता तृणमूल में शामिल हुए. उनमें से कम से कम आधा दर्जन ने भाजपा में शामिल होने के लिए प्रायश्चित के तौर पर अपना सिर मुंडवा लिया.

इस दौरान मौके पर मौजूद रहीं स्थानीय सांसद (आरामबाग) अपरूपा पोद्दार ने दिप्रिंट को बताया कि वह इस घटना पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगी. उन्होंने कहा, ‘मैं इसके बारे में राजनीतिक मंच पर बात करूंगी न कि मीडिया में. कई कार्यकर्ता फिर हमारे साथ जुड़ना चाहते हैं. यह उनका निर्णय है.’

हुगली में तृणमूल जिलाध्यक्ष दिलीप जाधव ने कहा, ‘ये पार्टी में शामिल होने की आधिकारिक प्रक्रिया नहीं हैं. गांवों में बहुत से लोग बहुत कुछ कर रहे हैं. इस सब के लिए हम कैसे जिम्मेदार हो सकते हैं?’

उन्होंने कहा, ‘हम अन्य पार्टी के लोगों को तृणमूल में शामिल करने के लिए एक सख्त प्रक्रिया अपनाते हैं. हमें एक सूची तैयार करने की जरूरत पड़ती है, जिसे राज्य समिति को भेजा जाता है और सूची की समीक्षा और हमारे नेताओं की तरफ से इसे मंजूरी दिए जाने के बाद ही कार्यकर्ताओं को पार्टी में शामिल किया जा सकता है.

उन्होंने कहा, ‘लेकिन यह सच है कि जमीनी स्तर पर लोग हमेशा सत्ताधारी दल का साथ देना चाहते हैं और अब वे यही कर रहे हैं. वे खुद को शामिल करने के लिए अपना पक्ष साबित करना चाहते हैं. ये सब जो आप देख रहे हैं ये पार्टी की नीतियां नहीं हैं. ये छिटपुट घटनाएं हैं.’

हालांकि, राज्य भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने इन घटनाओं के ‘स्वत: स्फूर्त’ होने के दावों को खारिज कर दिया.

उन्होंने सवाल उठाया, ‘कार्यकर्ताओं को तृणमूल में शामिल होने को बाध्य किया जा रहा है और वह इस तरह की अपमानजनक प्रक्रिया से गुजरने के लिए मजबूर हैं. तृणमूल के कुछ नेताओं का दावे के मुताबिक अगर ये घटनाएं छिटपुट ही होतीं, तो क्या आप कई जिलों में ऐसा होते देख रहे होते?’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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