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Friday, 1 November, 2024
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संपत्ति, कर्ज, फिरौती- आगरा में लैमिनेशन पेपर से दम घोंटकर हत्या कर क्यों कोविड मृतक की तरह किया अंतिम संस्कार

पुलिस का दावा है कि दोस्तों ने 10 करोड़ की संपत्ति, 40 लाख रुपए आईपीएल सट्टेबाजी की रकम और 2 करोड़ रुपए फिरौती की उम्मीद में 25 वर्षीय सचिन चौहान की हत्या की साजिश रची.

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आगरा: 10 करोड़ रुपए मूल्य का कोल्ड स्टोरेज व्यवसाय, 2 करोड़ रुपए की फिरौती की रकम और 40 लाख रुपए का कथित कर्ज, जो आईपीएल सट्टेबाजी के लिए लिया गया- मुख्य कारण थे जिनकी वजह से पिछले हफ्ते उत्तर प्रदेश में एक 25 वर्षीय युवक के कथित अपहरण और हत्या की वारदात को अंजाम दिया गया.

जांच टीम के अनुसार, जिसमें आगरा पुलिस और आगरा एसटीएफ शामिल हैं, कथित रूप से पांच अभियुक्तों ने 21 जून को दोपहर 4 बजे के करीब कोल्ड स्टोरेज मालिक सुरेश चौहान और उनकी पत्नी अनिता के इकलौते बेटे सचिन चौहान को आगरा जिले में उसके घर के पास से एक सफेद क्रेटा में उठा लिया.

पुलिस का दावा है कि एक अभियुक्त ने सचिन को एक ड्रिंक पेश किया और जब उसे नशा चढ़ गया तो उसे एक खाली पड़े वॉटर पैकेजिंग प्लांट में ले जाया गया, जो उसके घर से करीब तीन किलोमीटर दूर था. फिर उन्होंने कथित रूप से सचिन के मुंह पर लैमिनेशन पेपर लपेट दिया जिससे उसकी दम घुटने से मौत हो गई. पुलिस का कहना है कि मरने से पहले सचिन करीब 30 मिनट तक छटपटाया था.

The two cars used by the accused during the crime | Praveen Jain | ThePrint
सचिन चौहान के घरवाले सुरेश और अनिता, उसकी तस्वीर के साथ | प्रवीन जैन/दिप्रिंट

अभियुक्त फिर उसकी लाश को एक दूसरी कार मारुती ओमनी में रखकर ज़िले के बालकेश्वर श्मशान घर ले गए. पुलिस का कहना है कि वहां पहुंचकर उन्होंने लाश को एक पीपीई सूट में लपेट दिया और एक अलग पहचान- रवि वर्मा के नाम से उसका दाह संस्कार करा दिया. इसके बाद हत्या के तमाम सबूत मिटाने के लिए अभियुक्तों ने उसकी राख को यमुना में बहा दिया.

सभी पांचों अभियुक्त- सुमित असवानी, हैप्पी खन्ना, मनोज बंसल, रिंकू और हर्ष चौहान- जो आगरा के ही निवासी हैं, गिरफ्तार कर लिए गए हैं और उनपर आईपीसी की धारा 302 (हत्या), 364-ए (फिरौती के लिए अपहरण) के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया है.

पुलिस का दावा है कि हालांकि पांचों ने चौहान के परिवार से 2 करोड़ रुपए फिरौती की कॉल करने की योजना बनाई थी लेकिन उसके पिता के कारोबार पर कब्जा और तथाकथित 40 लाख रुपए का कर्ज- जो चौहान ने कथित रूप से एक अभियुक्त से आईपीएल सट्टेबाज़ी में लगाने के लिए लिया और फिर लौटाने से मना कर दिया- अपराध के पीछे दूसरे कारण थे.

पीड़ित की- जो एक बीबीए ग्रेजुएट था, इस साल नवंबर में शादी होने वाली थी.


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एक हत्या, कई उद्देश्य

आगरा पुलिस और एसटीएफ के अनुसार, सचिन को मारने की साजिश करीब एक महीना पहले उसके दो दोस्तों- हर्ष चौहान और सुमित असवानी ने रची थी. एसटीएफ के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि मुख्य साजिशकर्ता हर्ष चौहान था जिसके पिता लेखराज सिंह चौहान, सचिन के पिता के पुराने दोस्त और व्यापारिक साझीदार थे.

एक एसटीएफ सूत्र ने बताया, ‘कोल्ड स्टोरेज की कीमत, जिसके मालिक सचिन और हर्ष के पिता हैं, करीब 10 करोड़ रुपए है. दोनों बिजनेस पार्टनर एक ही गांव के हैं और करीब 35 साल से दोस्त हैं’.

‘दोनों परिवारों के बहुत करीबी रिश्ते रहे हैं और सचिन और हर्ष एक साथ ही पलकर बड़े हुए. हर्ष सचिन के पिता को चाचा कहकर बुलाता था. लेकिन वो सचिन से छुटकारा पाना चाहता था ताकि वो कारोबार और संपत्ति का इकलौता वारिस बन सके’.

सचिन और हर्ष दोनों 2017 में पारिवारिक व्यवसाय में शामिल हो गए थे.

The abandoned water packaging plant where the murder took place | Praveen Jain | ThePrint
वॉटर पैकेजिंग प्लांट में हत्या को अंजाम दिया गया | प्रवीन जैन/दिप्रिंट

पुलिस ने बताया कि दूसरा साजिशकर्ता सुमित, सचिन और हर्ष दोनों का जानकार था.

सुमित ने कथित रूप से सचिन को 40 लाख रुपए उधार दिए थे, जिनसे सचिन आईपीएल मैचों में सट्टा लगाया करता था. लेकिन कहा जाता है कि फिर उसने पैसा लौटाने से इनकार कर दिया जिससे सुमित गुस्सा हो गया.

इसकी वजह से पिछले महीने दोनों के बीच लड़ाई हुई थी, जिसके दौरान सचिन ने कथित रूप से सुमित को धमकाया था कि ‘इतनी गोलियां ठोकूंगा कि सब भूल जाएगा ’. पुलिस का कहना है कि इसके बाद दोनों ने एक दूसरे से बात नहीं की. फिर 21 जून को सुमित ने सचिन को व्हाट्सएप कॉल किया और उसे ड्रिंक पर आने के लिए कहा.

पुलिस का कहना है कि आपसी मनमुटाव से पहले हर्ष और सचिन दोनों आगरा के दयालबाग इलाके में एक स्पोर्ट्स क्लब में जाया करते थे जिसका मालिक सुमित था. अन्य अभियुक्तों में हैप्पी सुमित का कज़िन है और रिंकू और मनोज सुमित के दोस्त हैं.

मामले की जांच टीम में शामिल एक एसटीएफ इंस्पेक्टर उदय प्रताप सिंह ने बताया, ‘हैप्पी छोटे मोटे काम करता था और सुमित का 50,000 रुपए का कर्ज़दार था. मनोज जो शादीशुदा है और जिसके दो बच्चे हैं, उसपर भी 3 लाख रुपए का उधार है- सब सट्टेबाजी की वजह से. सुमित ने दोनों से वादा किया था कि अगर उन्होंने हत्या में उसकी सहायता की, तो वो उनके कर्ज माफ कर देगा’.

पुलिस का कहना है कि हालांकि अभियुक्तों की नीयत हमेशा से सचिन को मारने की थी लेकिन उनका इरादा था कि उसके माता-पिता से कुछ फिरौती की रकम भी वसूली जाए, इस झूठे वादे के साथ कि पैसा अदा होने पर सचिन को लौटा दिया जाएगा.

लेकिन पुलिस का कहना है कि मनोज, जिसे फिरौती के लिए सचिन की मां को कॉल करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, हत्या के फौरन बाद कॉल करने की हिम्मत नहीं जुटा पाया. रविवार को,हैप्पी के इस कॉल को करने की योजना पुलिस ने नाकाम कर दी, जिसने उसे उस समय गिरफ्तार कर लिया जब वो कॉल करने के लिए एक सिम कार्ड खरीद रहा था. बाकी चार सोमवार को गिरफ्तार कर लिए गए.


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तकनीकी साक्ष्य, फॉरेंसिक्स

पुलिस के मुताबिक उन्हें गुमराह करने के लिए अभियुक्तों ने दाह-संस्कार से पहले खुद को छिपाने के लिए तीन पीपीई सूट्स खरीदे थे. लेकिन उनमें से एक सूट खराब था और दाह-संस्कार करने की जल्दी में वो केवल सचिन के शव को पीपीई सूट में लपेट पाए ताकि उसे कोविड पीड़ित के तौर पर पेश किया जा सके.

पुलिस को गुमराह करने के लिए अंत्येष्टि के बाद मनोज, सचिन के फोन को लेकर इटावा चला गया और हैप्पी तथा रिंकू ने उसकी अस्थियां यमुना में बहा दीं.

कथित रूप से केस का मुख्य साजिशकर्ता हर्ष, मौका-ए-वारदात या श्मशान घर कहीं पर मौजूद नहीं था. पुलिस ने कहा कि उसकी भूमिका का पता सुमित के साथ पूछताछ में चला.

हालांकि अभियुक्तों ने सचिन के शव और अवशेषों को ठिकाने लगा दिया लेकिन पुलिस के पास तकनीकी साक्ष्य हैं- अभियुक्तों और पीड़ित की फोन लोकेशंस और मेडिकल स्टोर की सीसीटीवी फुटेज जहां से पीपीई किट्स खरीदी गईं थीं.

एक अभियुक्त ने श्मशान घाट पर संपर्क के तौर पर अपने एक रिश्तेदार का फोन नंबर भी दिया था, जो उसे अपराध से जोड़ता है.

इसके अलावा, पुलिस ने बताया कि मौका-ए-वारदात से सचिन का एटीएम कार्ड और बाल भी बरामद हुए थे, जिन्हें फॉरेंसिक जांच के लिए भेज दिया गया है. पुलिस का कहना है कि सभी पांच अभियुक्तों ने अपहरण और हत्या में अपनी भूमिका स्वीकार कर ली है.


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मां की कॉल्स का जवाब नहीं

21 जून की रात को जब सचिन घर नहीं आया, तो उसके माता-पिता को शक हुआ और 22 जून को उन्होंने गुमशुदगी की शिकायत दायर कर दी. सुमित का फोन आने के बाद घर से निकलते समय सचिन ने अपनी मां से कहा था कि वो रात के खाने के समय तक लौट आएगा. लेकिन उसके फोन पर की गई कई कॉल्स का कोई जवाब नहीं मिला.

सचिन की मां अनिता ने कहा, ‘उसने कहा कि वो टहलने जा रहा है और उसे कुछ दोस्तों से मिलना भी है. उस शाम मैंने उसे कई बार कॉल किया. एक को छोड़कर मेरी किसी कॉल का जवाब नहीं मिला’.

‘रात 11 बजे के करीब सचिन का फोन मनोज ने उठाया और मुझे बताया कि सचिन नोएडा में है और बात करने की हालत में नहीं है क्योंकि वो नशे में है. मैं समझ गई कि कुछ गड़बड़ है लेकिन मैंने कभी नहीं सोचा कि वो मेरे बेटे को मार देंगे. अगर उन्हें पैसा चाहिए था तो वो हमसे मांग सकते थे’.

सुरेश चौहान ने इससे इनकार किया कि उनके बेटे ने सुमित से कोई पैसा लिया था.

‘सबूत कहां है? मेरा बेटा बहुत समझदार और ईमानदार है. अगर उन्हें पैसा भी चाहिए था तो हरीश हमारे बेटे की तरह है वो हमसे कह सकता था. उन्हें पैसा देने के लिए मैं सब कुछ बेच देता. उसकी बजाय उन्होंने हमसे हमारा इकलौता बेटा छीन लिया है, अब जीने का क्या मतलब है?’

आगरा में अपने दो मंजिला मकान में बैठे हुए अनिता सचिन की एक कमीज हाथ में लिए हैं और कहती हैं, ‘जल्दी से जल्दी मुकदमा चले और मुजरिमों को सख्त से सख्त सजा मिले, तभी मेरे बेटे को इंसाफ मिलेगा’.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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