श्रीनगर : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सर्वदलीय बैठक से पहले पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने मंगलवार को कहा कि पूर्ववर्ती जम्मू कश्मीर राज्य का विशेष दर्जा रद्द करने के ‘अवैध’ और ‘असंवैधानिक’ कदम को वापस लिए बगैर क्षेत्र में शांति बहाल नहीं हो सकती.
गुपकर गठबंधन (पीएजीडी) की एक बैठक के बाद उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि बृहस्पतिवार को प्रधानमंत्री के साथ बैठक के दौरान वह जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा बहाल करने के लिए जोर देंगी, जिसे ‘ ‘हमसे छीन लिया गया है.’
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी प्रमुख ने कहा, ‘गठबंधन का एजेंडा यह है कि जो कुछ हमसे छीन लिया गया है, हम उस पर यह बातचीत करेंगे। यह एक गलती थी, यह अवैध तथा असंवैधानिक था. जम्मू कश्मीर के मुद्दे का हल किये बगैर जम्मू कश्मीर और पूरे क्षेत्र में शांति बहाल नहीं हो सकती.’
महबूबा के साथ गठबंधन के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला सहित इसके अन्य नेता भी थे.
पूर्ववर्ती राज्य जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र को कश्मीर मुद्दे का हल करने के लिए पाकिस्तान सहित हर किसी से बात करनी चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘वे (भारत) दोहा में तालिबान के साथ वार्ता कर रहे हैं. उन्हें समाधान (कश्मीर मुद्दा) के लिए जम्मू कश्मीर में सभी के साथ और पाकिस्तान के साथ वार्ता करनी चाहिए.’
पीडीपी प्रमुख ने कहा कि उनकी पार्टी कभी भी केंद्र के साथ वार्ता के खिलाफ नहीं थी, बल्कि कोविड-19 के चलते देश के अन्य हिस्सों में कैदियों की रिहाई की तरह ही जम्मू कश्मीर के लोगों के लिए कुछ विश्वास बहाली उपाय चाहती थी.
उन्होंने कहा कि यदि केंद्र ने सचमुच में चाहा होता तो जम्मू कश्मीर के राजनीतिक कैदियों और हिरासत में रखे गये अन्य लोगों को रिहा कर दिया गया होता.
महबूबा ने कहा, ‘मुझे लगता है कि उन्हें ऐसा करना चाहिए था, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि हम वार्ता के खिलाफ हैं.’
महबूबा गठबंधन की उपाध्यक्ष भी हैं. उन्होंने कहा कि वह चाहती थीं कि गुपकर गठबंधन के अध्यक्ष के तौर पर अब्दुल्ला प्रधानमंत्री के साथ होने वाली बैठक में गठबंधन का प्रतिनिधित्व करें, लेकिन उन्होंने (अब्दुल्ला ने) कहा कि नेताओं को व्यक्तिगत रूप से बुलाया गया है इसलिए ‘‘हम सभी को व्यक्तिगत रूप से जाना चाहिए.’
पीडीपी प्रमुख ने कहा, ‘चाहे उनका एजेंडा कुछ भी हो, हम उनके समक्ष अपना एजेंडा रखेंगे. हमें उम्मीद है कि जम्मू कश्मीर के अंदर एवं बाहर रखे गये हमारे लोग रिहा कर दिये जाएंगे और जिन्हें रिहा नहीं भी किया गया तो उन्हें कम से कम जम्मू कश्मीर ले आया जाएगा. गरीबों को जम्मू कश्मीर के अंदर और बाहर रखे गये उनके परिजन से मिलने जाने के लिए रकम जुटानी पड़ती है.’