नई दिल्ली: दिप्रिंट को मिली जानकारी के मुताबिक कसौली स्थित सेंट्रल ड्रग लैबोरेटरी (सीडीएल) ने अमेरिकी कंपनी नोवावैक्स की तरफ से विकसित वैक्सीन के भारतीय वर्जन कोवोवैक्स वैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रॉयल को हरी झंडी दिखा दी है.
कोवोवैक्स पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) की तरफ से मैन्युफैक्चर की जाने वाली दूसरी कोविड-19 वैक्सीन है. यह फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन कोविशील्ड के भारतीय वर्जन का भी उत्पादन कर रही है.
हिमाचल प्रदेश (कसौली) में स्थित देश की शीर्ष वैक्सीन टेस्टिंग लैब सीडीएल—जो देश में इस्तेमाल होने वाले कोविड-19 समेत सभी टीकों की गुणवत्ता जांचने का जिम्मा संभालती है—ने कोवोवैक्स के बैच को मंजूरी देते हुए ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) को अपनी अंतिम रिपोर्ट सौंप दी है.
पूरी प्रक्रिया से अवगत एक सरकारी अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘लैब ने पहले इस साल फरवरी में कोवोवैक्स के बैच जारी किए थे, जिसके बाद कंपनी ने मार्च में दूसरे चरण का ट्रायल शुरू किया था. मई में सीडीएल की तरफ से लेटेस्ट बैच जारी कर दिया गया है जिसका उपयोग तीसरे चरण के ट्रायल में किया जाएगा.’
यह भी पढ़ें: महामारी की शुरुआत से सबसे कम हुई भारत की R वैल्यू (0.78) लेकिन बंगाल में संक्रमण दर में तेज वृद्धि
कोवोवैक्स के तीसरे चरण का ट्रॉयल अगले महीने शुरू होना संभव
उद्योग से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, अंतिम चरण का ट्रायल जुलाई तक शुरू होने की उम्मीद है.
एक सूत्र ने कहा, ‘ट्रायल जून मध्य तक शुरू होने की उम्मीद थी, लेकिन अब ये अगले महीने तक शुरू होने के आसार हैं.’
फरवरी में डीसीजीआई ने दूसरे और तीसरे चरण की ब्रिजिंग स्टडी के सीरम इंस्टीट्यूट के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी.
ये अध्ययन यह पुष्ट करने के लिए किया जाता है कि वैक्सीन मूल संस्करण के समान ही है. इस तरह के ट्रायल में सुरक्षात्मक और प्रतिरोधक क्षमता के बारे में डाटा एकत्र करने के लिए प्रतिभागियों की संख्या कम ही रखी जाती है, इसकी प्रभावकारिता पर बड़े पैमाने पर अध्ययन की जरूरत नहीं होती.
भारत में तीसरे चरण के ट्रायल में कुल 20 जगहों पर 18 वर्ष से अधिक आयु के 1,400 वालंटियर पर कोवोवैक्स का टेस्ट किया जाएगा.
नोवावैक्स का डाटा आशाजनक, सीरम इंस्टीट्यूट कोवोवैक्स का स्टॉक तैयार कर रहा
वैक्सीन निर्माता नोवावैक्स ने सोमवार को घोषणा की थी कि उसका टीका कुल मिलाकर लगभग 90 प्रतिशत प्रभावकारिता रखता है और प्रारंभिक आंकड़ों से इसका सुरक्षित होना भी सुनिश्चित होता है.
नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी.के. पॉल ने आंकड़ों के आधार पर मंगलवार को कहा कि कंपनी द्वारा घोषित प्रभावकारिता डाटा ‘आशाजनक’ है और भारत में जल्द ही सीरम इंस्टीट्यूट की तरफ से वैक्सीन बनाई जाएगी.
दिप्रिंट ने मई में ही रिपोर्ट दी थी कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने सीरम इंस्टीट्यूट को कोवोवैक्स वैक्सीन के निर्माण और उसे स्टोर करने की अनुमति दे दी है. सीरम इंस्टीट्यूट ने कोवोवैक्स का उत्पादन पहले ही शुरू कर दिया है.
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ें: क्या राज्य ख़ामोशी से पिछले ‘बैकलॉग’ को Covid मौतों में जोड़ रहे? मोदी सरकार चाहती है ऑडिट