दिल्ली हाईकोर्ट ने पिंजरा तोड़ एक्टिविस्ट के साथ न्याय किया है. यूएपीए के दुरुपयोग पर जमानत आदेश का स्वागत योग्य है. क़ैद के एक साल से अधिक समय के बाद, यह न्याय में देरी और इनकार भी है. यह तब तक नहीं रुकेगा जब तक कि नागरिकों की स्वतंत्रता को छीनने वालों और जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराया नहीं जाता है.