scorecardresearch
Friday, 15 November, 2024
होमराजनीतिकांग्रेस, SP, BSP, RLD, SP, RLD- पत्रकार शाहिद सिद्दीकी का 24 साल का राजनीतिक सफर

कांग्रेस, SP, BSP, RLD, SP, RLD- पत्रकार शाहिद सिद्दीकी का 24 साल का राजनीतिक सफर

उर्दू साप्ताहिक नई दुनिया के मुख्य संपादक शाहिद सिद्दीकी 7 जून को फिर से रालोद में शामिल हो गए. उन्होंने कहा कि वह ‘किसानों और हाशिए पर पड़े समाज के अन्य वर्गों के अधिकारों के लिए लड़ना’ चाहते हैं.

Text Size:

लखनऊ: पूर्व राज्य सभा सांसद और वरिष्ठ पत्रकार शाहिद सिद्दीकी राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) में दोबारा शामिल हो गए हैं. वह अपने 24 साल के राजनीतिक सफर में भाजपा को छोड़कर उत्तर प्रदेश के सभी प्रमुख दलों का हिस्सा रह चुके हैं.

सिद्दीकी 7 जून को पार्टी में शामिल हुए तो रालोद प्रमुख जयंत चौधरी ने उनका स्वागत किया. चौधरी ने एक ट्वीट कर कहा, ‘एक स्थापित पत्रकार और पूर्व सांसद शाहिद सिद्दीकी का अपनी बौद्धिक क्षमता, वाकपटुता और सक्रियता के लिए काफी सम्मान किया जाता है. हम भाईचारा मजबूत करने के लिए मिलकर काम करेंगे.’

रालोद के एक पदाधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि सिद्दीकी को पार्टी में अहम भूमिका दी जाएगी. पदाधिकारी ने कहा, ‘उन्हें समन्वय संबंधी कार्य की जिम्मेदारी दी जा सकती है क्योंकि अन्य दलों के साथ उनके समीकरण काफी अच्छे हैं.’

उक्त पदाधिकारी ने बताया कि सिद्दीकी को शामिल करना पश्चिमी यूपी में जाट-मुस्लिम एकता मजबूत करने के रालोद के प्रयासों का हिस्सा है क्योंकि यह समीकरण दो दर्जन से अधिक विधानसभा सीटों पर ‘गेम चेंजर ’ है.

उन्होंने कहा, ‘सिद्दीकी के अलावा बहुजन समाज पार्टी के पूर्व महासचिव चौधरी मोहम्मद इस्लाम भी उसी दिन रालोद में शामिल हुए थे.’


यह भी पढ़ें: UP बीजेपी MLA का आरोप- बांदा यूनिवर्सिटी की भर्तियों में गड़बड़ी, एक ही जाति को ज्यादातर पदों पर चुना


कांग्रेस से की कैरियर की शुरुआत

71 वर्षीय सिद्दीकी नई दुनिया  के मुख्य संपादक हैं, जो नई दिल्ली से प्रकाशित एक उर्दू साप्ताहिक है.

उन्होंने अपना राजनीतिक जीवन कांग्रेस से शुरू किया था. 1997 में उन्हें पार्टी के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रमुख के तौर पर नियुक्त किया गया था. इसके बाद 2002 में वह राष्ट्रीय महासचिव के रूप में समाजवादी पार्टी (सपा) में शामिल हो गए.

2002 से 2008 तक सिद्दीकी सपा से राज्य सभा सदस्य रहे थे लेकिन 19 जुलाई 2008 को उन्होंने पार्टी छोड़ दी और तत्कालीन कट्टर प्रतिद्वंदी मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बसपा) में शामिल हो गए. उन्होंने सपा से इस्तीफा इसलिए दिया क्योंकि वह परमाणु समझौते पर विश्वास मत के दौरान यूपीए के पक्ष में मतदान के लिए तैयार नहीं थे.

तब यूपी की तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती के साथ एक बैठक के बाद उनकी मौजूदगी में मीडिया के साथ बातचीत के दौरान शाहिद सिद्दीकी ने कहा था, ‘पिछले एक महीने से मैं परमाणु समझौते को लेकर असहज महसूस कर रहा हूं. मेरा मानना है कि यह राष्ट्रहित में नहीं है. मैं पिछले तीन साल से इसका विरोध कर रहा हूं.’

हालांकि, उन्हें मायावती के खिलाफ बोलने पर 14 दिसंबर 2009 को बसपा से निष्कासित कर दिया गया था. सिद्दीकी को एक राष्ट्रीय अंग्रेजी दैनिक को दिए इंटरव्यू के कुछ घंटों के भीतर निष्कासित कर दिया गया था, जिसमें उन्होंने मायावती को तानाशाह बताने की कोशिश की थी. रिपोर्ट का शीर्षक था ‘मायावती आती हैं, बोलती हैं, और चली जाती हैं, कोई चर्चा नहीं होती.’

बसपा के साथ अपने इस छोटे कार्यकाल के बाद वह अप्रैल 2010 में यह कहते हुए रालोद में शामिल हो गए कि वह तत्कालीन रालोद प्रमुख अजित सिंह की हरित प्रदेश राज्य की मांग का समर्थन करते हैं.

2012 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले सिद्दीकी ने कांग्रेस के साथ गठबंधन के विरोध में रालोद से इस्तीफा दे दिया. वह एसपी में फिर लौट गए.


यह भी पढ़ें: क्या देश की राजधानी की सूरत बदलने वाला है ‘दिल्ली मास्टर प्लान 2041’, कितनी बदलेगी दिल्ली


समाजवादी पार्टी से निष्कासन

समाजवादी पार्टी ने 2012 में सरकार बनाई थी लेकिन इसके तुरंत बाद, उसी वर्ष जुलाई में सिद्दीकी को गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का इंटरव्यू लेने के कारण निष्कासित कर दिया गया. नई दुनिया में यह इंटरव्यू छह पेज में छपा था और इसमें गुजरात में मुसलमानों की स्थिति और गोधरा के बाद के दंगों जैसे संवेदनशील मुद्दों को कवर किया गया था.

अपने निष्कासन के बाद सिद्दीकी ने कहा था कि वह ‘न केवल पार्टी के भीतर बल्कि प्रेस की स्वतंत्रता के लिए भी अभिव्यक्ति की आजादी सुनिश्चित करने पर काम कर रहे हैं.’

सिद्दीकी के एक करीबी सूत्र ने दिप्रिंट को बताया कि वह कुछ समय के लिए राजनीति से दूर रहे. सहयोगी ने कहा, ‘सिद्दीकी ने इसके बाद पत्रकारिता के क्षेत्र में अपने काम पर ध्यान देना शुरू किया लेकिन वह सोशल मीडिया पर बहुत सक्रिय थे.’

इस साल अप्रैल में उन्होंने रेमडिसिविर इंजेक्शन उपलब्ध कराने में मदद करने के लिए ट्विटर पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की प्रशंसा की थी.

पार्टी में शामिल होने से पहले कई मौकों पर वह जयंत चौधरी की तारीफ भी कर चुके हैं.

रालोद में शामिल होने के बाद सिद्दीकी ने ट्वीट किया कि वह किसान अधिकारों के लिए काम करने के लिए पार्टी में शामिल हुए है.

उन्होंने ट्विटर पर लिखा, ‘किसान आंदोलन को मजबूत करने और ग्रामीण भारत की एकजुटता और प्रगति के लिए आज @RLDparty से जुड़ा. देश में किसानों और हाशिए पर पड़े समाज के अन्य वर्गों के अधिकारों के लिए लड़ने में जयंत चौधरी जी के साथ मिलकर काम करूंगा. हम रालोद को मजबूत करने के लिए काम करेंगे.’


यह भी पढ़ें: भारत समेत दुनियाभर के बेहतरीन दिमाग यह पता लगाने में जुटे कि कोरोनावायरस आखिर आया कहां से


 

share & View comments