नई दिल्ली: वरिष्ठ पाकिस्तानी पत्रकार हामिद मीर ने, जिन पर पाबंदी लगाने के बाद, टीवी स्टेशन जियो न्यूज़ पर उनका शो बंद कर दिया गया था, देश के शक्तिशाली सैन्य प्रतिष्ठान से माफी मांग ली है, और कहा है कि उनकी मंशा, सेना को बदनाम करने की नहीं थी.
रावलपिंडी इस्लामाबाद यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स (आरआईयूजे), नेशनल प्रेस क्लब और मीर को मिलाकर गठित की गई एक कमेटी की ओर से, मंगलवार को एक साझा बयान जारी किया गया.
पिछले हफ्ते मीर को, जो क़रीब दो दशक से जियो टीवी पर, ‘कैपिटल टॉक’ की मेज़बानी कर रहे थे, अचानक अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया गया, क्योंकि इससे पहले 28 मई को उन्होंने एक साथी पत्रकार, असद अली तूर के समर्थन में आयोजित एक रैली में, अपनी एक गर्मा-गरम तक़रीर में, सेना की आलोचना की थी. दरअसल तीन अज्ञात लोगों ने, तूर के इस्लामाबाद स्थित अपार्टमेंट में घुसकर उनकी बुरी तरह पिटाई की थी.
पत्रकार और पाकिस्तान में प्रेस की आज़ादी के हिमायती अक्सर, फौज और उसकी एजेंसियों पर, पत्रकारों को परेशान करने, और उन पर हमले करने का आरोप लगाते रहते हैं. एक अंदाज़े के मुताबिक़, मई 2020 से अप्रैल 2021 के बीच, पाकिस्तान में इस तरह के 148 हमले देखे गए.
मीर पर 2014 में भी कराची में हमला हुआ था, जब एक बंदूकधारी ने उन्हें गंभीर रूप से ज़ख़्मी कर दिया था. उस समय उनके परिवार ने, हमले का आरोप मुल्क की ख़ुफिया सेवा पर लगाया था.
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भीड़ द्वारा अहमदी महिला के दफ्न को रोकने की कोशिश करने का वीडियो वायरल हुआ
पाकिस्तान के सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें शेख़ूपुरा में एक भीड़, शहर के एक क़ब्रिस्तान में एक अहमदी महिला के दफन को रोकने की कोशिश कर रही है.
वीडियो में देखा जा सकता है कि एक हिंसक भीड़, परिवार को दफन से रोकने की कोशिश कर रही है, जबकि समुदाय के कुछ लोग क़ब्र खोद रहे हैं. इस बात की पुष्टि नहीं हो सकी कि आख़िरकार महिला को दफन किया जा सका या नहीं.
पाकिस्तान के पंजाब सूबे के सीएम उस्मान बज़दर के ख़ास आदमी, अज़हर मशवानी ने सोमवार को कहा कि वाक़ए की ख़बर मिलते ही पुलिस और दूसरे अफसरान मौक़े पर पहुंच गए थे.
Today, Mullahs & their followers attacked Ahmadis inside the graveyard, to stop the burial of an Ahmadi woman near Safdarabad Sheikhupura.?
My fellow Pakistanis, you speak for Palestine & you speak for Kashmir but how can you ignore this if you have a heart? @ShireenMazari1 pic.twitter.com/OVjlSgug13
— Shaan (@Shanyousaf6) June 6, 2021
शान नाम के एक ट्विटर यूज़र ने, जो उसके बायोडेटा के मुताबिक़, एक हेल्थकेयर वर्कर है, इतवार को इस वीडियों को शेयर किया, जिसके बाद वो वायरल हो गया और हज़ार से ज़्यादा बार शेयर किया जा चुका है.
ट्वीट में लिखा है, ‘मेरे साथी पाकिस्तानियो, आप फलस्तीन के लिए बोलते हैं और आप कश्मीर के लिए बोलते हैं, लेकिन अगर आपके अंदर दिल है, तो आप इसे कैसे नज़रअंदाज़ कर सकते हैं?’
कई यूज़र्स ने वीडियो में दिखी हिंसा की आलोचना की और कुछ ने इसे ‘जातीय सफाया’ क़रार दिया.
Hello Pakistani people and celebs with Palestinian flags and wanting to go to Jihad, care to shed light on the very own ethnic cleansing happening in your own country? https://t.co/D3kKYH3Ypb
— Amna Khan (@amnaukhan) June 7, 2021
पाकिस्तान में, जो मुख्यरूप से एक सुन्नी मुस्लिम मुल्क है, अहमदी लोगों को, जो इस्लाम की अहमदिया शाखा से ताल्लुक़ रखते हैं, नियमित रूप से धार्मिक उत्पीड़न और भेदभाव का सामना करना पड़ता है. अहमदी समुदाय पाकिस्तान की लगभग 20.8 करोड़ आबादी के 0.2 प्रतिशत की नुमाइंदगी करते हैं.
काशिफ एन चौधरी ने भी, जो एक कार्यकर्त्ता और मुस्लिम राइटर्स गिल्ड ऑफ अमेरिका के पूर्व अध्यक्ष हैं, ने भी वीडियो को इस शीर्षक के साथ शेयर किया: ‘तकलीफ का अहसास कीजिए. किसी अपने के गुज़र जाने का सदमा. और फिर उन पर हमला और इस तरह बेइज़्ज़ती?’
उन्होंने आगे कहा, ‘कहां है इंसानियत? कम से कम मरे हुए अहमदी को तो छोड़ दीजिए’.
इमरान ख़ान चाहते हैं कि उनके सभी सरकारी कार्यक्रम और आयोजन उर्दू में संचालित हों
सोमवार को पाकिस्तान के सूचना प्रौद्योगिकी और दूरसंचार मंत्रालय ने एक नोटिफिकेशन जारी करके निर्देश दिया कि आगे से सभी आयोजन और समारोह राष्ट्र भाषा उर्दू में संचालित किए जाएंगे.
नोटिफिकेशन में प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से 3 जून को जारी एक पत्र का हवाला दिया गया है, जिसमें सभी कार्यक्रमों और समारोहों को उर्दू में संचालित करने की हिदायत दी गई है.
पत्र में कहा गया, ‘प्रधानमंत्री की इच्छा है कि आगे से सभी प्रोग्राम, समारोह, जो प्रधानमंत्री के लिए आयोजित किए जाएं, उनका संचालन राष्ट्र (उर्दू) भाषा में किया जाए’.
सरकारी कार्यक्रमों, समारोहों और दूसरे आयोजनों में, अंग्रेज़ी पर लगी पाबंदी को, तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया.
फेडरल आईटी और टेलीकॉम मंत्री सैयद अमीनुल हक़ का, बिज़नेस रिकॉर्डर में ये कहते हुए हवाला दिया गया, कि ‘भाषा में ये बदलाव संविधान पर अमल की बेहतरीन मिसाल है’.
उन्होंने उम्मीद जताई कि आगे भी, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक़ सभी केंद्रीय और प्रांतीय विभागों में उर्दू को लागू कर दिया जाएगा.
इत्तेफाक़ से, 2017 में कराई गई पाकिस्तान की ताज़ा जनगणना के मुताबिक़, आबादी के केवल 7 प्रतिशत हिस्से ने, उर्दू को अपनी मातृ भाषा बताया था.
ख़राबी से बचाने के लिए मुग़ल सम्राट जहांगीर के मक़बरे को चाहिएं 10 करोड़ रुपए
डॉन की ख़बर के मुताबिक़, शाहदरा में मुग़ल सम्राट जहांगीर के मक़बरे में, संरक्षण कार्य किए जाने की ज़रूरत है, जिसके लिए 10 करोड़ रुपए की दरकार है, जिससे कि इस स्मारक को और नुक़सान से बचाया जा सके.
शाहदरा स्मारक परिसर, जो दीवारों से घिरे लाहौर शहर के सामने, रावी नदी के उस पार स्थित है, एक ऐतिहासिक स्थल है जहां मुग़ल काल के कई स्मारक मौजूद हैं.
डायरेक्ट्रेट जनरल ऑफ आर्कियॉलजी एंड टूरिज़्म डिपार्टमेंट के अनुसार, संरक्षण कार्य में सामने के लाल पत्थर पर सजावटी कार्य, लॉन का विकास, फ्रेस्को वर्क और पेंटिंग्स का काम भी शामिल है.
इससे पहले, वित्त वर्ष 2020-21 के लिए 1 करोड़ रुपए जारी किए गए थे, जिससे पैदल रास्तों, लाल पत्थर की मीनारों, और मक़बरे की पूर्वी साइड में घिस गई दीवारों की मरम्मत करने में सहायता मिली.
लेकिन, ख़राब मौसम, लकड़ी के कीड़ों, फंगी, सफेद चींटियों, दीमक और बाढ़ आदि की वजह से, स्मारक को निरंतर नुक़सान पहुंच रहा है.
सम्राट जहांगीर 1569 में पैदा हुए थे, और 36 साल की उम्र में वो गद्दी पर बैठे थे. 22 साल तक हकूमत करने के बाद, कश्मीर से लाहौर लौटते हुए, 28 अक्तूबर 1627 को राजौरी में उनकी मौत हो गई.
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