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Wednesday, 6 November, 2024
होमहेल्थएम्स फोरेंसिक चीफ ने कहा- मौत के 12-24 घंटे बाद मुंह और नाक में जिंदा नहीं रहता कोरोनावायरस

एम्स फोरेंसिक चीफ ने कहा- मौत के 12-24 घंटे बाद मुंह और नाक में जिंदा नहीं रहता कोरोनावायरस

पिछले एक साल में एम्स में फोरेंसिक मेडिसिन विभाग में ‘कोविड-19 पॉजिटिव मेडिको-लीगल’ मामलों पर एक अध्ययन किया गया था. इन मामलों में पोस्टमॉर्टम किया गया था.

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नई दिल्लीः अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में फोरेंसिक प्रमुख डा. सुधीर गुप्ता ने कहा है कि एक संक्रमित व्यक्ति की मौत के 12 से 24 घंटे बाद कोरोनावायरस नाक और मुंह की गुहाओं (नेजल एवं ओरल कैविटी) में सक्रिय नहीं रहता जिसके कारण मृतक से संक्रमण का खतरा अधिक नहीं होता है.

डा.गुप्ता ने कहा, ‘मौत के बाद 12 से 24 घंटे के अंतराल में लगभग 100 शवों की कोरोनावायरस संक्रमण के लिए फिर से जांच की गई थी जिनकी रिपोर्ट नकारात्मक आई. मौत के 24 घंटे बाद वायरस नाक और मुंह की गुहाओं में सक्रिय नहीं रहता है.’

उन्होंने कहा, ‘एक संक्रमित व्यक्ति की मौत के 12 से 24 घंटे के बाद कोरोनावायरस के संक्रमण का खतरा अधिक नहीं होता है.’

पिछले एक साल में एम्स में फोरेंसिक मेडिसिन विभाग में ‘कोविड-19 पॉजिटिव मेडिको-लीगल’ मामलों पर एक अध्ययन किया गया था. इन मामलों में पोस्टमॉर्टम किया गया था.

उन्होंने कहा कि सुरक्षा की दृष्टि से पार्थिव शरीर से तरल पदार्थ को बाहर आने से रोकने के लिए नाक और मुंह की गुहाओं को बंद किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि एहतियात के तौर पर ऐसे शवों को संभालने वाले लोगों को मास्क, दस्ताने और पीपीई किट पहननी चाहिए.

डा. गुप्ता ने कहा, ‘अस्थियों और राख का संग्रह पूरी तरह से सुरक्षित है क्योंकि अस्थियों से संक्रमण के फैलने का कोई खतरा नहीं है.’

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने मई 2020 में जारी ‘कोविड-19 से हुई मौत के मामलों में मेडिको-लीगल ऑटोप्सी के लिए मानक दिशा निर्देशों’ में सलाह दी थी कि कोविड-19 से मौत के मामलों में फोरेंसिक पोस्टमार्टम के लिए चीर-फाड़ करने वाली तकनीक का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे मुर्दाघर के कर्मचारियों के अत्यधिक एहतियात बरतने के बावजूद, मृतक के शरीर में मौजूद द्रव तथा किसी तरह के स्राव के संपर्क में आने से इस जानलेवा रोग की चपेट में आने का खतरा हो सकता है.


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