नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रताप सिंह बाजवा ने पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के एक निकट सहयोगी पर विधायक परगट सिंह द्वारा धमकाने का आरोप लगाए जाने संबंधी विवाद की पृष्ठभूमि में मंगलवार को कहा कि पार्टी आलाकमान को प्रदेश सरकार एवं कांग्रेस की स्थिति को लेकर दखल देना चाहिए और सभी विधायकों से बातचीत के बाद कोई फैसला करना चाहिए.
दूसरी तरफ, पार्टी ने आधिकारिक तौर पर कहा कि पंजाब में कांग्रेस के भीतर कोई गुटबाजी नहीं है तथा अगर कोई मनमुटाव का मसला है तो उसका प्रदेश के स्तर पर समाधान कर लिया जाएगा.
पंजाब प्रदेश कांग्रेस के भीतर चल रही कलह के बारे में पूछे जाने पर पार्टी के राज्यसभा सदस्य प्रताप सिंह बाजवा ने कहा, ‘हमारा यह कहना है कि इसमें प्रभारी हरीश रावत जी को आलाकमान से सभी विधायकों की एक-एक करके बातचीत करानी चाहिए. आलाकमान को पूरी स्थिति का पता करने के बाद ही कोई फैसला करना चाहिए.’
यह पूछे जाने पर कि क्या वह मुख्यमंत्री को बदलने की मांग कर रहे हैं तो उन्होंने कहा, ‘फिलहाल यह मुद्दा नहीं है. जरूरी यह है कि आलाकमान यह पता करे कि पिछले चुनाव में हमने जो वादे किए थे, उनमें से कितने पूरे हुए, कांग्रेस कार्यकर्ताओं की भावनाओं का कितना सम्मान हुआ और जमीनी स्थिति क्या है?’
उन्होंने मुख्यमंत्री पर तंज कसते हुए कहा, ‘बेहतर होता कि 2007 से 2017 (अकाली दल सरकार के समय) में हुए भ्रष्टाचार की जांच होती, लेकिन यहां तो अपने ही घर में आग लगाई जा रही है.’
बाजवा मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के विरोधियों में गिने जाते हैं. हालांकि मुख्यमंत्री के करीबी माने जाने वाले कई सांसदों से बातचीत का प्रयास किया गया, लेकिन उन्होंने मौजूदा कलह पर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया.
कांग्रेस के पंजाब प्रभारी हरीश रावत ने भी कहा कि फिलहाल वह इस विषय पर टिप्पणी नहीं करेंगे.
धमकियों का दौर
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस विधायक परगट सिंह ने आरोप लगाया है कि अमरिंदर सिंह के सहयोगी संदीप संधू ने उन्हें फोन कर कुछ दस्तावेत एकत्र करने और कार्रवाई करने की धमकी दी है. राज्य के पूर्व मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू भी इन दिनों मुख्यमंत्री के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं.
पंजाब में कांग्रेस के भीतर के घमासान के बारे में पूछे जाने पार्टी प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, ‘ विविध विचार और अलग अलग राय कांग्रेस पार्टी की परंपरा रही है. अगर आप विविध विचारों को अंतर्कलह कहना चाहते हैं तो अलग बात है. …हो सकता है कि कुछ मनमुटाव हो, लेकिन यह गुटबाजी नहीं है.’
उन्होंने यह भी कहा, ‘हर चीज के लिए आलाकमान नहीं आता. ये चीजें वहीं संभल जाएंगी. जब जरूरत होगी तो आलाकमान इसे देखेगा.’
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