कोलकाता: 2 मई को विधान सभा चुनावों के नतीजों में, तृणमूल कांग्रेस की जीत का ऐलान होने के बाद, बतौर मुख्यमंत्री अपना तीसरा कार्यकाल शुरू करते हुए, ममता बनर्जी ने घोषणा की थी, कि कोविड प्रबंधन उनकी प्राथमिकता होगी. लेकिन, 5 मई को शपथ लेने के पांच दिनों में, ऐसा लगता है कि ममता सरकार के दिमाग़ में एक और प्राथमिकता भी थी- सोशल मीडिया पर बक़ौल उसके, ‘जाली ख़बरों’ और ‘हेट-पोस्ट्स’ से निपटना.
पश्चिम बंगाल पुलिस का दावा है, कि इन पांच दिनों में उसने, सोशल मीडिया पर 550 ‘जाली’ पोस्ट चिन्हित की हैं, जो ज़्यादातर चुनाव-बाद की हिंसक घटनाओं से संबंधित थीं. सीएम का कहना है कि इन संदेशों के पीछे, बीजेपी तथा इसकी विंग्स और समर्थक संगठन थे.
पश्चिम बंगाल के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के अनुसार, कोलकाता समेत पूरे सूबे में पिछले पांच दिन में, कथित अपराधियों के खिलाफ कम से कम 34 मामले दर्ज किए गए हैं, जिनपर कथित रूप से ‘जाली’ और ‘सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील’ सामग्री पोस्ट करने का आरोप है, जो संभावित रूप से ‘संप्रदायों के बीच तनाव बढ़ाकर मुसीबत को भड़का सकती थी’.
अधिकारी ने कहा कि ऐसे मामलों में कम से कम 21 लोग गिरफ्तार किए गए हैं. एफआईआर का सामना कर रहे लोगों में, सीनियर बीजेपी नेता सुवेंदु अधिकारी, कैलाश विजयवर्गीय, और अग्निमित्रा पॉल शामिल हैं.
पुलिस के मुताबिक़ उसकी अपील पर, फेसबुक, इंस्टाग्राम और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स ने, कम से कम 150 पोस्ट, या तो ब्लॉक कर दिए या उन्हें हटा दिया, और केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) को अनुरोध भेजकर, ऐसी 50 पोस्टों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है, जो ‘अत्यधिक भड़काऊ नेचर’ की हैं.
लेकिन बीजेपी का कहना है कि ये सब, ‘फिज़ूल की दलीलें देकर लोगों का ध्यान भटकाने की तरकीब है’.
बीजेपी आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने कहा, कि इसकी बजाय सीएम को ‘अपने काडर्स को नियंत्रित करने, और प्रशासन को लूटमार करने वाली भीड़ के खिलाफ, कार्रवाई करने देने पर ध्यान लगाना चाहिए’.
सोमवार को मीडिया को मुख़ातिब करते हुए, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि ‘बीजेपी का आईटी सेल’ जाली ख़बरें पोस्ट करता रहा है, क्योंकि पार्टी चुनावों में अपनी हार को स्वीकार नहीं कर पा रही है. उन्होंने कहा, ‘कोई नरसंहार नहीं हुआ है. हमने केवल एक नरसंहार देखा, जो मतदान के दिन कूच बिहार के सीतलकुची में हुआ था’.
ऐसी कई वीडियोज़ सामने आई हैं, जिनमें चुनावी नतीजों के बाद कई इलाक़ों में, सामूहिक बलात्कार के आरोप लगाए गए हैं, लेकिन पुलिस का कहना है कि ‘ऐसी केवल दो घटनाएं थीं’, और उन दोनों का ‘राजनीति से संबंध नहीं था’.
पोस्ट्स पर निगाह रखे हैं CID तथा कोलकाता पुलिस के साइबर सेल्स
राज्य की CID तथा कोलकाता पुलिस के साइबर सेल्स, ‘फेक व हेट’ पोस्टों का पता लगाकर, कार्रवाई करने में लगे हुए हैं.
ऊपर हवाला दिए गए वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘हमने सोशल मीडिया पर 550 ‘जाली’ और हेट-पोस्ट चिन्हित की हैं. हमने फेसबुक, इंस्टाग्राम, और ट्विटर जैसी कई एजेंसियों को लिखा, और उनसे ऐसी पोस्ट हटाने या ब्लॉक करने का अनुरोध किया. अभी तक एजेंसियों की ओर से, ऐसी कम से कम 150 पोस्टों को, हटाया या ब्लॉक कर दिया गया है.
‘बंगाल पुलिस ने ऐसी कम से कम 25 जाली पोस्टों का भंडाफोड़ किया है. ये ऐसी पोस्ट थीं जिन्हें या तो फोटोशॉप किया गया था, या मिक्स किया गया था, उन्हें बाहर के देशों, दूसरे राज्यों, या फिल्मों की तस्वीरों से मिलाकर बनाया गया था. हमने बयान जारी किए हैं, जिनके साथ मूल पोस्ट तथा मौजूदा पोस्ट को दिखाकर, बताया गया है कि इसे कैसे किया गया था’.
अधिकारी ने आगे कहा: ‘राज्य सीआईडी की साइबर शाखा और कोलकाता पुलिस, दिन-रात ऐसी पोस्टों पर नज़र रखे हुए है. सीआडी ने केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय से भी अपील की है, कि कम से कम ऐसी 50 पोस्टों के खिलाफ कार्रवाई की जाए, जो बेहद ‘भड़काऊ’ नेचर की हैं.
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‘जाली ख़बरों’ के ख़िलाफ FIRs
दिप्रिंट से बात करने वाले अधिकारियों ने कहा, कि पश्चिम बंगाल पुलिस ख़ासकर ऐसी सोशल मीडिया पोस्टों को देख रही है, जो ज़िलों के अंदर ‘सांप्रदायिक तनाव को भड़का’ सकती थीं.
एक दूसरे पुलिस अधिकारी ने दिप्रिंट से कहा, ‘हम पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं, कि ये स्पॉट्स कहां से बनाए गए थे. हम उन लोगों का भी पता लगाने की कोशिश में हैं, जो सोशल मीडिया पर ऐसी सामग्री डाल रहे हैं. कई मामलों में हमें नक़ली खाते मिल रहे हैं. अभी तक, ऐसी पोस्टों के सिलसिले में, हमने 21 लोगों को गिरफ्तार किया है. अपराधियों के खिलाफ आईपीसी की, सार्वजनिक शरारत, उकसावे, या गड़बड़ी फैलाने के आपराधिक षडयंत्र से जुड़ी धाराओं के तहत, आरोप लगाए जा रहे हैं’.
अधिकारी ने बताया कि वरिष्ठ बीजेपी नेता सुवेंदु अधिकारी, कैलाश विजयवर्गीय, और अग्निमित्रा पॉल के खिलाफ भी, ऐसी वीडियो पोस्ट करने, या ‘भड़काऊ भाषण’ देने के मामले में एफआईआर दर्ज की गई हैं. अधिकारी ने आगे कहा कि अदाकारा कंगना रनौत के खिलाफ, बंगाल में राजनीतिक हिंसा का ज़िक्र करते हुए, उनकी ‘भड़काऊ’ पोस्ट के सिलसिले में, कोलकाता पुलिस में एफआईआर दर्ज कराई गई है.
उन्होंने आगे कहा, ‘हम चाहते हैं कि लोग ऐसी पोस्टों के प्रति जागरूक हों, और उन्हें पता हो कि वो क्या शेयर कर रहे हैं. व्हाट्सएप ग्रुप्स पर शेयर की जा रही किसी भी पोस्ट की, शिकायत की जा सकती है. अगर हमें ग्रुप के किसी भी सदस्य से कोई शिकायत मिलती है, तो हम उसे फॉर्वर्ड करने वाले व्यक्ति के ख़िलाफ कार्रवाई कर सकते हैं. लोगों को सावधान रहना चाहिए, कि वो किस तरह की सामग्री, शेयर और फॉर्वर्ड करते हैं’.
अधिकारी ने ये भी बताया कि बलात्कार और छेड़ख़ानी के आरोपों की भी जांच की गई थी.
उन्होंने आगे कहा, ‘पता चला है कि वास्तव में केवल दो घटनाएं हुई थीं. गैंगरेप की एक घटना पिंगला में हुई थी, और रेप की एक और वारदात खेजूरी में हुई थी. लेकिन इन घटनाओं का राजनीति से कोई संबंध नहीं है’.
‘ध्यान बंटाने की तरकीब’
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दावा किया, कि ज़्यादातर सोशल मीडिया पोस्ट, जिनमें बंगाल में चुनाव-बाद की हिंसा की वीडियोज़ और तस्वीरें शामिल हैं, ‘जाली’ हैं और उन्हें ‘बीजेपी के आईटी सेल ने’ तैयार किया है, लेकिन बीजेपी का कहना है कि ये उनकी ‘ध्यान बंटाने की तरकीब’ से ज़्यादा कुछ नहीं है.
बीजेपी के सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग के राष्ट्रीय प्रभारी, अमिल मालवीय ने दिप्रिंट से कहा: ‘टीएमसी काडर्स द्वारा फैलाई गई दंडात्मक राजनीतिक हिंसा में, बीजेपी कार्यकर्त्ताओं और समर्थकों की हत्या, और राज्य में ख़ून बहाए जाने पर, ममता बनर्जी की सोची-समझी ख़ामोशी, एक गंभीर वास्तविकता है’.
उन्होंने आगे कहा: ‘फिज़ूल की दलीलें देकर लोगों का ध्यान भटकाने की बजाय, उन्हें अपने काडर्स को नियंत्रित करने, और प्रशासन को लूटमार करने वाली भीड़ के खिलाफ, कार्रवाई करने देने पर ध्यान लगाना चाहिए, जो निर्देशों के लिए उनकी ओर देख रहा है’.
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