scorecardresearch
Wednesday, 20 November, 2024
होमहेल्थ'हर ओर से वायरस का हमला'- बढ़ते कोविड मामलों से चरमरा रहे हैं ग्रामीण UP के जिला अस्पताल

‘हर ओर से वायरस का हमला’- बढ़ते कोविड मामलों से चरमरा रहे हैं ग्रामीण UP के जिला अस्पताल

पूर्वी यूपी के ग्रामीण ज़िले बलिया और गाज़ीपुर अपने अस्पतालों में केवल 1,400 बिस्तरों के साथ तकरीबन 10,000 सक्रिय मामलों के केसलोड से जूझ रहे हैं.

Text Size:

बलिया/गाज़ीपुर: कोविड के गंभीर मरीज़ों की हांफती सांसें, चिकित्सा पाने के लिए छटपटाते उनके परिवार, जो नहीं बच सके उनके उपेक्षित पड़े शव, काम के बोझ से टूट रहे हताश डॉक्टर्स- पूर्वी उत्तर प्रदेश के बलिया और गाज़ीपुर में, दो ज़िला अस्पतालों के इमरजेंसी कक्षों का नज़ारा तकरीबन एक सा है.

गाज़ीपुर और बलिया, दो ग्रामीण ज़िले जिनकी आबादी 2011 की जनगणना के अनुसार क्रमश: 36 लाख और 32 लाख है, ऐसी स्थिति से दोचार हैं, जिसमें पूरा स्वास्थ्य ढांचा ढह रहा है क्योंकि अस्पतालों के इमरजेंसी वॉर्ड्स में, ग्रामीण क्षेत्रों से कोविड लक्षण वाले काफी मरीज़ आ रहे हैं.

दिप्रिंट को मिले ज़िले के स्वास्थ्य आंकड़ों से पता चला कि गाज़ीपुर और बलिया में कोविड के लिए हर रोज़ क्रमश: 2,000 और 2,832 लोगों की जांच की जा रही है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन यूपी के अध्यक्ष, डॉ अशोक राय का कहना है कि ज़िलों की इतनी बड़ी आबादी को देखते हुए ये लक्ष्य बहुत कम रखा गया है.

प्रदेश के स्वास्थ्य बुलेटिन के अनुसार, 1 मई को बलिया में 3,995 और गाज़ीपुर में 5,439 एक्टिव मामले थे. संक्रमित लोगों की इतनी बड़ी संख्या के लिए ज़िला स्वास्थ्य प्रशासन के अनुसार, दोनों ज़िलों के अस्पतालों में बिस्तरों की संख्या क्रमश: केवल 255 और 900 है.

Impatient family members of patients surround the medical staff, clamouring for attention for the patients | Jyoti Yadav | ThePrint
गाज़ीपुर ज़िला अस्पताल में एक अकेले डॉक्टर को घेरे हुए मरीज़ों के व्याकुल परिजन, जो अपनी मरीज़ों को तवज्जो दिए जाने की मांग कर रहे हैं | ज्योति यादव | दिप्रिंट

27 अप्रैल की दोपहर, जब दिप्रिंट ने बलिया अस्पताल का दौरा किया, तो हर ओर असहाय लोगों के रोने की आवाज़ें थीं. एक भी डॉक्टर मौजूद नहीं था और 20 से अधिक मरीज़ फर्श पर पड़े हुए सांस लेने में हांफ रहे थे.

पैंतीस वर्षीय सरिता देवी के पति ने उसका हाथ कसकर पकड़ा हुआ था और उसके परिवार के दूसरे सदस्य, उसके लिए डॉक्टर की तलाश में नाकाम होकर थके हारे लौट आए थे. सरिता का ऑक्सीजन लेवल गिरकर 40 पर आ चुका था.

पास ही एक और मरीज़ लाली, हांफती सांस और सीने में दर्द के साथ बेहाल होकर फर्श पर पड़ी थी.

एक शख़्स जो अधेड़ उम्र का लग रहा था, एक स्ट्रेचर पर मुर्दा हालत में पड़ा हुआ था. उसके नीले चप्पल पैर से निकलकर गिर गए थे. अगर उसके साथ कोई आया था, तो वो लोग बहुत पहले ही जा चुके थे, आधा घंटा तलाश करने के बाद भी दिप्रिंट उसके परिवार को नहीं खोज पाया.

90 किलोमीटर दूर, गाज़ीपुर ज़िला अस्पताल में भी बिल्कुल वही नज़ारा था.

बड़ी संख्या में मरीज़ आ रहे थे- बाइक्स, बैलगाड़ियां, ई-रिक्शा में सवार होकर, 40 किलोमीटर दूर तक से आए थे. लेकिन अस्पताल के 20 बाई 25 फीट आकार के इमरजेंसी वॉर्ड में उनके लिए कोई राहत नहीं थी.

शुक्रवार दोपहर करीब 3 बजे, वॉर्ड में मरीज़ों को देख रहे एक अकेले डॉक्टर ने दिप्रिंट से कहा, ‘अब ये एक युद्ध कक्ष है. वायरस हर ओर से हमला कर रहा है. इस कमरे में मौजूद हर इंसान को कोविड पॉज़िटिव मानिए. जल्द ही हमारा भी दिमाग खराब हो जाएगा’.

Patients at the Ballia district hospital | Jyoti Yadav | ThePrint
बलिया जिला अस्पताल में मरीज | ज्योति यादव | दिप्रिंट

स्वास्थ्य सेवाओं पर और ज़्यादा बोझ वो लोग बढ़ा रहे थे, जो सड़कों पर लड़ाई और संपत्ति के झगड़ों में घायल होकर आते हैं, जो डॉक्टरों के मुताबिक इस इलाके में एक आम बात है.

दोनों ज़िलों ने पंचायत चुनावों में भी मतदान किया है- गाज़ीपुर ने चौथे चरण में 29 अप्रैल को और बलिया ने तीसरे दौर में 25 अप्रैल को. चुनावों के दौरान भी गांवों में विपक्षी पार्टियों के बीच लड़ाइयां हुई हैं.

गाज़ीपुर के चीफ मेडिकल ऑफिसर, डॉ जेसी मौर्य ने कहा, ‘जब भी स्थानीय निकायों के चुनाव होते हैं, तो झगड़े हमेशा बढ़ जाते हैं. लोग इसे मूंछ का सवाल समझते हैं’.

और महामारी के चलते ज़िलों के अस्पतालों में मरीज़ों के वॉर्ड्स बंद होने से इमरजेंसी वॉर्ड्स को घायल लोगों का अतिरिक्त दबाव भी झेलना पड़ा है.


यह भी पढ़ें: कोरोना से बुरी तरह प्रभावित UP के इन दो जिलों में टेस्ट कराना सबसे बड़ी चुनौती


ज़िलों की चरमराई हुई व्यवस्था

गाज़ीपुर के ज़िला अस्पताल में छाती में तेज़ दर्द और सांस फूलने की वजह से 65 वर्षीय रमाती के लिए बैठ पाना मुश्किल हो रहा था. अस्पताल के एक कोने में बैठे हुए उनके बड़े बेटे गुंजन पासवान ने दिप्रिंट से कहा, ‘मैं 25 किलोमीटर बाइक चलाकर इमरजेंसी वॉर्ड पहुंचा क्योंकि रात भर में उनकी तबीयत बिगड़ गई थी. मेरे पास कोई और विकल्प नहीं था. अगर वो कोविड पॉज़िटिव हैं, तो भी हम उन्हें मरने के लिए नहीं छोड़ सकते’.

हर कुछ मिनट पर पासवान डॉक्टर से अपनी मां को देखने की गुहार लगा रहा था लेकिन फिज़ीशियन दूसरे मरीज़ों के उतने ही हताश परिजनों से घिरा हुआ था.

कुछ दूरी पर 84 वर्षीय कमलापति राय, दो और मरीज़ों के साथ अपनी ऑक्सीजन साझा कर रहे थे. उनके परिवार के एक सदस्य ने कहा कि वो चार घंटे से अस्पताल में इंतज़ार कर रहे थे. उसने बताया, ‘वो कह रहे हैं कि हम आपको, आइसोलेशन वॉर्ड में एक बेड दे सकते हैं लेकिन हमें उनके लिए ऑक्सीजन का प्रबंध करना होगा. फिर क्या फायदा है बिस्तर का?’

वॉर्ड में केवल छह कामचलाऊ बिस्तर थे और वहां सिर्फ एक कंपाउंडर और एक डॉक्टर मौजूद थे. दो लोग रिसेप्शन डेस्क पर बैठे थे. और इलाज के इंतज़ार में करीब 100 लोग थे.

हर घंटे भीड़ बढ़ती जा रही थी और मरीज़ों के व्याकुल परिजनों ने मेडिकल स्टाफ के साथ झगड़ना शुरू कर दिया.

एक व्यक्ति चिल्ला रहा था, ‘कब से कह रहे हैं कि देख लो, मर जाएंगे तो देखेंगे? किस लिए इमरजेंसी वॉर्ड लिखा है? मौत का वॉर्ड लिख दीजिए इसे ’.

वॉर्ड के बाहर चार मरीज़ बरामदे में पड़े हुए थे और उन सबकी हालत गंभीर थी.

एक मरीज़ के साथ आए तीमारदार ने कहा, ‘ये वो बदकिस्मत लोग हैं जो इमरजेंसी वॉर्ड के फर्श तक भी नहीं पहुंच सके’.


यह भी पढ़ें: क्या भारत फिर से ‘तीसरी दुनिया’ का देश बन गया है? कोविड ने महाशक्ति बनने की चाह वाले देश की विडंबना को उजागर किया


सामुदायिक झगड़े बरक़रार

बलिया ज़िला अस्पताल में आखिरकार एक डॉक्टर पहुंच गया.

उसने इंतज़ार कर रहे मरीज़ों के लक्षण, उम्र और दूसरी जानकारियां नोट करनी शुरू कर दीं लेकिन उसके चेहरे से गुस्सा और निराशा साफ झलक रही थी. वो एक युवक पर भड़क उठा, जो संपत्ति के एक झगड़े में घायल होकर इमरजेंसी वॉर्ड में आया था.

उस दिन आने वाला वो पांचवा ऐसा मरीज़ था.

डॉक्टर ने दिप्रिंट से कहा, ‘महामारी पीक पर है और ये लोग अभी भी लड़ रहे हैं. लोग सड़कों पर मर रहे हैं लेकिन इनके संपत्ति के झगड़े इतने अहम हैं कि ये चाहते हैं कि हम इन्हें देखें और कोविड मरीज़ों को मरने के लिए छोड़ दें’.

गाज़ीपुर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी, डॉ जेसी मौर्य ने कहा कि उनके पास इसी तरह की फोन कॉल्स आ रहीं थीं.

शुक्रवार को जब दिप्रिंट ने उनसे मुलाकात की, तो वो ऐसी ही किसी कॉल का जवाब दे रहे थे. उन्होंने कहा, ‘देखिए महामारी फैली है, आप ये लड़ाई झगड़ा घर सुलझाएं, इमरजेंसी वॉर्ड में पैर रखने की जगह नहीं है, यहां पट्टी नहीं होगी ’.

गाज़ीपुर ज़िला अस्पताल के इमरजेंसी वॉर्ड में डॉक्टर ने एक घायल मरीज़ को 30 मिनट के बाद बिना इलाज किए वापस भेज दिया. उस दौरान अस्पताल में कोविड शवों की संख्या कुछ और बढ़ गई थी.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: महाराष्ट्र में एक साल से कोविड से जंग लड़ रहे हैं उद्धव ठाकरे के चुने हुए 11 शीर्ष डॉक्टर


 

share & View comments