नई दिल्ली: संक्रमण की नई और अधिक आक्रामक लहर को रोकने के लिए, भारत में और अधिक कोविड-19 वैक्सीन्स लाने के प्रयास में, मोदी सरकार ने कई दवा निर्माताओं को, अपनी वैक्सीन्स भारत में लाने का न्योता दिया है. लेकिन उनके आने में समय लग सकता है, क्योंकि फाइज़र एक ‘हर्जाना बॉण्ड’ पर दस्तख़त करने की मांग कर सकती है, और मॉडर्ना ने कथित रूप से कहा है, कि उसके ‘हाथ भरे’ हुए हैं.
सरकार ने मंगलवार को ऐसी वैक्सीन्स को आपात लाइसेंस देने की अनुमति दे दी, जिन्हें यूएस, यूके, यूरोप, जापान, या विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) से मंज़ूरी मिल चुकी है.
उद्योग के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि फाइज़र, वैक्सीन निर्माताओं को बीमा देने के मोदी सरकार के रुख़ का, फिर से मूल्यांकन करेगी.
अमेरिकी फार्मा दिग्गज ने, जो भारत में अपनी वैक्सीन के आपात इस्तेमाल की मंज़ूरी (ईयूए) के लिए, आवेदन करने वाली पहली कंपनी थी, इस साल के शुरू में अपना आवेदन वापस ले लिया था. सूत्रों ने इसका कारण ये बताया था, कि भारत सरकार ‘हर्जाना बॉण्ड’ पर दस्तख़त करने को तैयार नहीं थी. ये क़ानूनी बॉण्ड्स होते हैं, जो वैक्सीन से किसी संभावित विपरीत प्रभाव होने की स्थिति में, कंपनी को मुक़दमा दायर होने से बचाते हैं.
इस बीच, जॉनसन एंड जॉनसन भारत में आने की इच्छा दिखाती रही है, और उसने हाल ही में केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) को सूचित किया था, कि वो जल्द ही ‘ब्रिजिंग क्लीनिकल ट्रायल्स’ शुरू करने जा रही है. लेकिन एक ख़ुराक वाली ये वैक्सीन परेशानी में घिर गई है, चूंकि टीका लगने के बाद छह महिलाओं में, दुर्लभ और गंभीर क़िस्म के ख़ून के थक्के जमने की घटना के बाद, अमेरिका में इसके इस्तेमाल पर तुरंत रोक लगाने की मांग उठ रही है.
इस बारे में बात करते हुए, सीडीएससीओ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दिप्रिंट से कहा, ‘दुनिया भर में उत्पाद से जुड़ी गतिविधियों पर विचार करने के बाद ही, हम वैक्सीन्स को मंज़ूरी देंगे’.
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‘भारत को निर्माताओं को क्षतिपूर्ति करनी होगी’
कहा जा रहा है कि फाइज़र भारत में वैक्सीन भेजने के समझौते पर सहमति से पहले, ‘हर्जाना बॉण्ड’ पर दस्तख़त किए जाने पर अड़ी हुई है.
मामले की जानकारी रखने वाले उद्योग के एक सूत्र ने कहा, ‘फाइज़र ने हर उस देश के साथ ‘हर्जाना बॉण्ड’ पर दस्तख़त किए हैं, जहां वो अपनी वैक्सीन सप्लाई कर रही है. क़ीमत पर चर्चा तभी शुरू होगी, जब भारत बॉण्ड पर साइन करने को तैयार हो जाएगा’.
जनवरी में, एक आरटीआई आवेदन के जवाब में केंद्र ने कहा था, कि फिलहाल उसके पास ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है, कि टीका दिए जाने के बाद किसी गंभीर दुष्प्रभाव, या विपरीत प्रतिक्रिया की सूरत में, वैक्सीन निर्माता को किसी तरह के दायित्व से छूट दी जाए.
स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने इस मामले पर टिप्पणी करने के, दिप्रिंट के लिखित संदेश का कोई जवाब नहीं दिया.
लेकिन, वैक्सीन विशेषज्ञ और क्रिस्चियन मेडिकल कॉलेज में माइक्रोबायोलॉजिस्ट, डॉ गगनदीप कांग का कहना है कि भारत को, वैक्सीन निर्माताओं को ये छूट देनी चाहिए.
कांग ने कहा, ‘दुनिया भर में बहुत से देश और कोवैक्स, निर्माताओं को ये छूट दे रहे हैं. कम से कम अभी तक, भारत ऐसा नहीं कर रहा है. हमें भी ऐसा करना चाहिए, लेकिन किसी विशेष निर्माता के लिए नहीं, बल्कि सभी के लिए ऐसा करना चाहिए’.
अपने अधिकारिक जवाब में फाइज़र ने कहा, ‘हमने ग्लोबल वैक्सीन के मामले में नियामक मार्ग से जुड़े, हालिया ऐलान का संज्ञान लिया है’.
कंपनी प्रवक्ता ने आगे कहा, ‘हम (भारत) सरकार के साथ संपर्क बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जिसका मक़सद देश भर में चल रहे उसके टीकाकरण कार्यक्रम के लिए, फाइज़र और बायोएनटेक वैक्सीन उपलब्ध कराना है’.
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मॉडर्ना भारत में आने की इच्छुक नहीं
वैक्सीन निर्माता अपनी रणनीतियां, उपलब्ध क्षमताओं और इस आधार पर बनाएंगे, कि भारतीय बाज़ार के लिए वो कितनी सप्लाई दे सकते हैं, जो आकार में बहुत बड़ा है.
मॉडर्ना के प्रवक्ता रे जॉर्डन ने एक ईमेल के ज़रिए दिप्रिंट से कहा, कि वो ‘सप्लाई को लेकर किसी संभावित बातचीत या सौदेबाज़ी पर, कोई टिप्पणी नहीं कर पाएंगे’.
लेकिन, वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के आधीन, सेलुलर एण्ड मॉलीक्यूलर बायोलॉजी केन्द्र (सीसीएमबी), पिछले छह महीने से अमेरिकी बायोटेक्नॉलजी कंपनी से, उसकी वैक्सीन भारत लाने के लिए बातचीत कर रहा था.
सीएसआईआर के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘उनके साथ कई महीने तक बातचीत करने के बाद भी, कंपनी अपनी वैक्सीन भारत में लाने की बहुत इच्छुक नहीं थी, शायद इस वजह से कि फिलहाल उसके हाथ भरे हैं. लेकिन इस नई घोषणा के बाद से, भारत सरकार सीएसआईआर के ज़रिए, उन्हें फिर से मनाने की कोशिश कर सकती है’.
दिप्रिंट को भेजे गए अपने ईमेल में, कंपनी ने प्रतिबद्ध आदेशों की सप्लाई के समझौतों की सूची गिनाई, जिन पर कंपनी पहले ही दस्तख़त कर चुकी है. कुल मिलाकर ये ऑर्डर्स 100 करोड़ से अधिक डोज़ के हैं, जो अमेरिका, यूरोपीय संघ, कनाडा, कोरिया, जापान, स्विटज़रलैण्ड, कोलम्बिया, इज़राइल, ताइवान, सिंगापुर और क़तर समेत, कई अन्य देशों को भेजे जाने हैं.
अमेरिका में, मॉडर्ना वैक्सीन के दो डोज़ 30 डॉलर (2,250 रुपए से अधिक) में उपलब्ध हैं.
सीएसआईआर अधिकारी ने दिप्रिंट से कहा, ‘अगर मॉडर्ना कंपनी हमारे साथ आ जाती है, और हमारी दवा कंपनियों को यहां पर वैक्सीन का उत्पादन करने देती है, तो एमआरएनए वैक्सीन के दाम (भारत में) काफी मुनासिब हो जाएंगे’.
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