कोयंबटूर: कोयंबटूर दक्षिण में भाजपा की उम्मीदवार वनाथी श्रीनिवासन पर तमिलनाडु के इन विधानसभा चुनावों में एक नया इतिहास लिखने की बड़ी जिम्मेदारी है.
भाजपा ने पिछले 10 वर्षों से इस सीट पर विधानसभा उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं. भाजपा नेताओं का मानना है कि शहर में आरएसएस की पहली शाखा शुरू होने के सात दशक से ज्यादा बीत जाने के बाद अब अन्नाद्रमुक के साथ गठबंधन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता की बदौलत दक्षिण भारत के मैनचेस्टर में उसकी कोशिशों के रंग लाने का समय आ गया है.
सफलता की नई इबारत लिखने के लिए भाजपा की सारी उम्मीदें 50 वर्षीय श्रीनिवासन पर टिकी हैं, जो पार्टी की महिला शाखा की राष्ट्रीय प्रमुख और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) की पूर्व सदस्य हैं.
उन्होंने दिप्रिंट से कहा कि विकास और बुनियादी ढांचे के विस्तार का वादा करने के साथ वह इस बात पर भी जोर दे रही हैं कि भाजपा ही एकमात्र ऐसी पार्टी है जो ‘सभी धर्मों के साथ समान व्यवहार करती है.’
उन्होंने कहा, ‘हमने तमिलनाडु के लोगों के समक्ष यह नैरेटिव रखा है कि केवल हम सभी धर्मों को एक समान मान रहे हैं. द्रमुक सांप्रदायिक आधार पर लोगों को क्यों बांट रहा है? स्टालिन क्यों केवल इस्लामी या ईसाई त्योहारों पर शुभकामनाएं दे रहे हैं और किसी हिंदू त्योहार और हिंदुओं के लिए नहीं?’
श्रीनिवासन का अभियान भाजपा के पुराने तरीकों से एकदम अलग है, मंदिरों में दर्शन, जोरशोर से बजते ढोल, हर तरफ लहराते केसरिया झंडे, यस वी कैन लिखी मोदी टी-शर्ट और उनकी चुनावी कार्यक्रमों के दौरान बीच-बीच में गूंजता भारत माता का जय घोष.
हालांकि, 50 वर्षीय श्रीनिवासन यहां पर त्रिकोणीय मुकाबले में हैं जहां तमिलनाडु कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष मयूरा एस. जयकुमार और अभिनेता से नेता बने मक्काल निधि मय्यम (एमएनएम) के कमल हासन उनके खिलाफ चुनाव मैदान में हैं.
श्रीनिवासन एक तरफ तो हिंदुओं को दरकिनार करने के लिए द्रमुक के नेतृत्व वाले डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव अलायंस पर जोरदार तरीके से निशाना साध रही हैं, वहीं कमल हासन की बड़े अभिनेता वाली छवि को उनके ही खिलाफ इस्तेमाल कर रही हैं, खासकर तब से जबसे एमएनएम ने उन्हें ‘थुक्कडा ’ (मामूली) नेता करार दिया है.
इसके जवाब में भाजपा उम्मीदवार ने कहा कि हासन केवल ‘लिप सर्विस’ में सक्षम है, अभिनेता की फिल्मों में उनके अंतरंग दृश्यों के संदर्भ में इसके मायने द्विअर्थी हैं.
उन्होंने बुधवार को प्रचार के दौरान कहा, ‘मैं अभिनेता से सवाल कर रही हूं. मैं उनसे कहना चाहती हूं कि इन दिनों वह केवल लिप सर्विस कर रहे हैं. उनके मामले में लिप सर्विस के दोहरे अर्थ होते हैं. एक तो वह लोगों की सेवा कर रहे हैं वह भी केवल मुंहजुबानी और दूसरा सिर्फ अपने होंठों की सेवा कर रहे हैं. और आप मुझे थुक्कड़ा राजनेता कहते हैं?’
50 वर्षीय भाजपा उम्मीदवार इस बात को भी रेखांकित करती हैं कि ‘भाजपा के लिए वोट मतलब अन्नाद्रमुक के लिए वोट देना है.’ और वह भी अच्छे कारणों से. कोयंबटूर दक्षिण में मौजूदा विधायक अम्मान के. अर्जुनन अन्नाद्रमुक के ही हैं और पार्टी हमेशा से इस चुनाव क्षेत्र में जीत हासिल करती रही है. लेकिन इस बार सीट बंटवारे के लिए हुए समझौते के तहत अन्नाद्रमुक ने इसे भाजपा को दे दिया है.
अर्जुनन भी श्रीनिवासन के लिए प्रचार कर रहे हैं. उन्होंने दिप्रिंट को बताया कि वह लोगों को अपने उन कामों के बारे में बता रहे हैं जो उन्होंने पिछले पांच वर्षों में यहां के लिए किए हैं.
यह भी पढ़ें: नितिन गडकरी ने कहा- राहुल गांधी BJP के बारे में नहीं जानते, वो ग़ैर-गंभीर बात करते हैं
भाजपा की संभावनाएं
भाजपा कोयंबटूर में अपनी जीत की संभावनाओं को लेकर उत्साहित है, यह ऐसा शहर है जहां आरएसएस ने 1949 में अपनी पहली शाखा स्थापित की थी. आरएसएस के कोयंबटूर प्रमुख राजामदुरई दुरई ने दिप्रिंट को बताया कि जिले में अब 20,000 से अधिक सदस्य हो चुके हैं और 2,500 से अधिक सक्रिय सदस्य हैं.
उन्होंने बताया कि आरएसएस के स्वयंसेवक श्रीनिवासन के लिए घर-घर जाकर प्रचार कर रहे हैं. दुरई ने कहा, ‘हम हर एक घर तक जा रहे हैं और लोगों को वनाथी को वोट देने को कह रहे हैं. आखिरकार वह हममें से ही एक हैं.’
उन्होंने आगे बताया, ‘उनके पति आरएसएस में थे और वह एबीवीपी में थीं. आरएसएस में जो भी राजनीतिक दक्षता दिखाता है, हम उन्हें भाजपा में भेजते हैं. कोयंबटूर आरएसएस के कई लोगों को भाजपा में भेजा गया है.’
दुरई ने कहा कि भाजपा के पास कोयंबटूर में अपना खाता खोलने का एक अच्छा मौका है, खासकर तीन वजहों से. उनके मुताबिक, एक तो कोयंबटूर की 90 फीसदी आबादी हिंदू है, जबकि 50 फीसदी आबादी गैर-तमिल है, जिसमें मलयालम, तेलुगु और हिंदी भाषी लोग शामिल हैं. उन्होंने यह भी कहा कि चूंकि यह एक सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) का हब है, इसलिए लोग राष्ट्रीय दलों को प्राथमिकता देते हैं.
2008 के परिसीमन के बाद बने कोयंबटूर दक्षिण निर्वाचन क्षेत्र में अब तक हुए दोनों चुनावों— 2011 और 2016 में अन्नाद्रमुक के विधायक चुने गए.
हालांकि, निर्वाचन क्षेत्र में भाजपा का वोट शेयर लगातार बढ़ रहा है. 2011 के चुनावों में पार्टी उम्मीदवार नंद कुमार सी.आर. को मात्र 5,000 से कुछ अधिक वोट मिले थे जो कि तीन प्रतिशत के करीब वोट शेयर था.
लेकिन 2016 में श्रीनिवासन 33,113 वोट यानी 21.57 प्रतिशत वोट शेयर के साथ तीसरे स्थान पर रही थीं.
कोयंबटूर उत्तर की स्थिति भी कुछ ऐसी ही रही है, जहां भाजपा इस बार चुनाव नहीं लड़ रही है. 2008 के परिसीमन के बाद बने इस निर्वाचन क्षेत्र में अब तक अन्नाद्रमुक के प्रत्याशी ही जीते हैं. लेकिन भाजपा का वोट शेयर यहां भी बढ़ा है, 2011 में जहां लगभग 5,000 वोट मिले थे वहीं 2016 में इसे 16,693 वोट मिले.
कोयंबटूर में भाजपा का प्रदर्शन राज्य के बाकी हिस्सों में उसके वोट-शेयर से एकदम अलग रहा है.
तमिलनाडु में भाजपा ने सबसे अच्छा प्रदर्शन 2001 के विधानसभा चुनावों में किया था, जब पार्टी ने चार सीटें जीतीं और 3.19 प्रतिशत वोट शेयर हासिल किया, जो अब तक का सबसे अधिक है. 2006 में यह घटकर 2.02 प्रतिशत रहा गया लेकिन 2011 में बढ़कर 2.22 प्रतिशत और 2016 में 2.84 प्रतिशत हो गया.
यह भी पढ़ें: भारत, हमारा नया शुगर डैडी है- पाकिस्तानियों के लिए इमरान खान के पास एक तोहफा है
श्रीनिवासन फैक्टर
राज्य में 20 साल बाद सीटें जीतने के लिए भाजपा की सारी उम्मीदें श्रीनिवासन के अलावा राज्य इकाई के अध्यक्ष एल. मुरुगन, जो धारापुरम में चुनाव लड़ रहे हैं और अरावकुरिची से मैदान में उतारे गए के. अन्नामलाई पर टिकी हैं.
तमिलनाडु के भाजपा नेता नंबी नारायणन ने कहा, ‘वह निश्चित तौर पर जीतेंगी. कोयंबटूर हमेशा भाजपा की आशाओं का द्वीप रहा है. 1998 और 1999 में भी हमारे संसद सदस्य सी.पी. रामचंद्रन कोयंबटूर से ही जीते थे.’
अन्नाद्रमुक के मौजूदा विधायक अर्जुनन ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील, खासकर शहर के ब्राह्मण समुदाय के बीच, वोट बढ़ाने वाली साबित होगी. उन्होंने कहा, ‘हम गठबंधन को कम से कम 75 प्रतिशत वोट शेयर हासिल होने की उम्मीद कर रहे हैं.’
जमीनी स्तर पर समर्थन हासिल भी हो रहा है. श्रीनिवासन के अभियान के दौरान मौजूद 47 वर्षीय वेंकटेश ने दिप्रिंट को बताया कि वह मोदी के कारण ही भाजपा का समर्थन कर रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘भाजपा एकमात्र ऐसी पार्टी है जो केवल एक धर्म का समर्थन नहीं करती है. द्रमुक जैसी अन्य पार्टियां केवल मुसलमानों और ईसाइयों के बारे में ही सोचती हैं.’
कोयंबटूर में पिछले 15 वर्षों से एक मोबाइल एसेसरी स्टोर चला रहे मुकेश झा, जो मूलत: राजस्थान के जालोर के रहने वाले हैं, का कहना है, ‘मुझे भाजपा बहुत पसंद है क्योंकि उन्होंने बहुत काम किया है. मैं केवल उसका समर्थन ही करूंगा. केवल वही हमार ख्याल रखती है, कोई और नहीं करता है.’
उन्होंने कहा, ‘मोदीजी ने देश के लिए बहुत कुछ किया है, यहां तक कि चीन भी हमसे डर गया है. मोदी सर्वश्रेष्ठ नेता हैं.’
यह भी पढ़ें: UP के ग्रामीण इलाकों में शाखाएं बढ़ाएगा RSS, किसान और राम मंदिर पर रहेगा विशेष फोकस
‘यह पेरियार की भूमि, भाजपा लोकप्रिय नहीं’
हालांकि, भाजपा की राह एकदम आसान भी नहीं है. कोट्टाईमेडु जैसे स्थानों, जहां एक बड़ी आबादी मुस्लिम है, में रहने वाले लोगों ने दिप्रिंट से कहा कि भाजपा न केवल कोयंबटूर बल्कि पूरे तमिलनाडु में कुछ नहीं कर पाएगी.
कोट्टाईमेडु में पिछले 50 सालों से रह रहे निजार अहमद का कहना है, ‘यह तमिलनाडु है, ये पेरियार की भूमि है. अगर उन्हें लगता है कि वे यहां लोकप्रिय हैं, तो वे भ्रम में जी रहे हैं.’
उन्होंने कहा, ‘भाजपा ने जब खुद अकेले चुनाव लड़ा तो उसे कोई वोट नहीं मिला. उन्हें लगता है कि अन्नाद्रमुक के साथ गठबंधन के कारण उन्हें वोट मिलेंगे लेकिन सच्चाई यही है कि सभी अल्पसंख्यक समुदाय एकजुट हो गए हैं. उत्पीड़ित लोग भाजपा को वोट नहीं देंगे.’
कोट्टाइमेडु निवासी 33 वर्षीय शाहनवाज ने कहा कि श्रीनिवासन को केवल ‘हिंदी भाषी लोगों और मारवाड़ियों’ का ही समर्थन हासिल है. उन्होंने कहा, ‘हमारे लोगों के साथ कोई अभियान या वीडियो तो नहीं है.’
कोट्टामेडु में सामाजिक न्याय से जुड़े एक संगठन तमिल मुस्लिम मुनेत्र कड़गम की रैलियां भी निकल रही हैं. यह संगठन कांग्रेस प्रत्याशी मयूरा जयकुमार के समर्थन में प्रचार कर रहा है जो 2016 के चुनाव में इस सीट पर दूसरे स्थान पर रहे थे.
निकाय के जिलाध्यक्ष मुजीब रहमान ने बताया कि उनका मुख्य उद्देश्य भाजपा को हराना रहा है. उन्होंने कहा कि द्रविड़ आंदोलन का इतिहास देखते हुए राज्य में पार्टी कभी मजबूत नहीं हो पाएगी लेकिन वे अन्नाद्रमुक के पीछे छिपने की कोशिश कर रहे हैं.
कोयंबटूर से लोकसभा के मौजूदा माकपा सांसद पी.आर. नटराजन ने उनकी बात का समर्थन किया.
उन्होंने कहा, ‘वे (भाजपा) पेट्रोल मूल्य वृद्धि, जीएसटी, एमएसएमई को राहत के बारे में कुछ नहीं कहते बस केवल धर्म की बात करते हैं. एक राष्ट्र, एक संस्कृति की आरएसएस की नीति तमिलनाडु में कभी कारगर नहीं हो पाएगी.’
रंगराजन ने कहा कि ये पूरी तरह भ्रम है कि भाजपा यहां लोकप्रिय हो गई है क्योंकि केंद्रीय मंत्रियों ने कोयंबटूर दक्षिण में प्रचार किया है. उन्होंने कहा, ‘उन्होंने केवल हिंदी भाषी लोगों के सामने ही बात की है’.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, जो बुधवार को यहां पर थे, सहित भाजपा के कई हाई-प्रोफाइल चुनाव प्रचारक भी इस निर्वाचन क्षेत्र में पहुंचे हैं.
(अरुण प्रशांत द्वारा संपादित)
(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ें: क्यों मुद्रास्फीति टार्गेटिंग फ्रेमवर्क को बनाए रखने का मोदी सरकार का फैसला ठीक है