scorecardresearch
Thursday, 21 November, 2024
होमदेशख़ौफ में जी रहे हैं पंजाब में दलित, कोई क़ानून व्यवस्था नहीं है: SC पैनल प्रमुख विजय सांपला

ख़ौफ में जी रहे हैं पंजाब में दलित, कोई क़ानून व्यवस्था नहीं है: SC पैनल प्रमुख विजय सांपला

सांपला संगरूर में नाबालिग़ दलित लड़के पर हमले, मोगा में दो दलित लड़कियों की हत्या, और बीजेपी विधायक अरुण नारंग पर हमले का, हवाला देते हुए दावा करते हैं, कि पंजाब में ‘क़ानून-व्यवस्था पूरी तरह ठप हो गई है’.

Text Size:

नई दिल्ली: पंजाब में कोई सुरक्षित नहीं है, क्योंकि राज्य में क़ानून व्यवस्था पूरी तरह ठप हो गई है, ये कहना है राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष विजय सांपला का, जिन्होंने दलितों उत्पीड़न की ‘बढ़ती’ घटनाओं का हवाला दिया.

दिप्रिंट से बात करते हुए सांपला ने कहा, कि इसी महीने संगरूर ज़िले में एक नाबालिग़ दलित लड़के की बुरी तरह पिटाई, पिछले एक महीने में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों (एससी व एसटी) लोगों के खिलाफ हुए, बहुत से हमलों में से, सिर्फ एक घटना थी.

उन्होंने कहा, ‘केवल पिछले 25 दिनों में, पंजाब में एससी व एसटी लोगों पर अत्याचार की, कम से कम 7-8 घटनाएं हुई हैं. युवा दलित लड़कियों को यातनाएं देने, और मारने की घटनाएं हो रही हैं. ग़रीब तथा पिछड़ी जातियों से जुड़े लोग, पंजाब में पूरी तरह असुरक्षित हैं’.

सांपला, जिन्होंने पिछले महीने ही एनसीएससी अध्यक्ष का कार्यभार संभाला है, नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में, केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं सशक्तिकरण मंत्री रह चुके हैं. उन्हें पंजाब के दोआबा क्षेत्र में, पार्टी का दलित चेहरा माना जाता है.

सांपला ने ये भी कहा, कि पिछड़ी जातियों पर अत्याचार करने वालों को, राज्य का संरक्षण मिला हुआ है. उन्होंने कहा, ‘ग़रीब लोग डरे हुए हैं, और ख़ौफ में जी रहे है, और जो लोग ये अत्याचार कर रहे हैं, वो निडर होकर इस काम को अंजाम दे रहे हैं’.

सांपला पिछले हफ्ते संगरूर में दलित लड़के के परिवार से मिलकर, अभी दिल्ली वापस लौटे हैं.

7 मार्च को संगरूर के भसौर गांव में, एक कथित चोरी के आरोप में, चार नाबालिग़ों की, जिनमें दलित लड़का भी शामिल था, बुरी तरह पिटाई की गई, और हाथ पीछे बांधकर उनकी चार किलोमीटर तक परेड कराई गई.

एक दूसरी घटना में, 18 मार्च को मोगा ज़िले में दो दलित लड़कियों की हत्या कर दी गई. इस मामले में अभियुक्त गुरवीर सिंह, एक कांग्रेस समर्थित सरपंच का बेटा है.

सांपला ने कहा, ‘पंजाब में क़ानून व्यवस्था की स्थिति पूरी तरह ठप हो गई है. सूबे में सामान्य श्रेणी से ताल्लुक़ रखने वाले लोग भी सुरक्षित नहीं हैं. तो ऐसे में एससी और एसटी के लोग कैसे सुरक्षित रहेंगे?’

पिछले साल मोदी सरकार द्वारा पारित, तीन कृषि क़ानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहे किसानों के, हाल ही में बीजेपी विधायक अरुण नारंग पर, हमला करने के बारे में बात करते हुए, उन्होंने कहा कि राज्य में चुने हुए नुमाइंदो को भी छोड़ा नहीं जा रहा है. उन्होंने कहा, ‘नारंग जैसे विधायक को भी नहीं बख़्शा गया, और उनपर हमला करके उनके कपड़े फाड़ दिए गए. लोग डरे हुए हैं और अगले साल के चुनावों में, इसका असर नज़र आएगा’.


यह भी पढ़ें: UP में मायावती की कम सक्रियता से दलित वोट बैंक पर सब की नज़र, अठावले ने BJP से मांगी 10 सीट


मानसिकता बदलने तक आरक्षण नीति को रखना होगा

जहां सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते, मराठा कोटा सुनवाई के दौरान जानना चाहा, कि नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण कब तक जारी रहेगा, वहीं सांपला ने आरक्षण नीति को जारी रखने की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने कहा, ‘आरक्षण के पीछे विचार ये है, कि उन लोगों की सहायता की जाए, जो जाति के आधार पर भेदभाव का शिकार रहे हैं, और उन्हें आबादी के बाक़ी हिस्सों के बराबर लाया जाए. आरक्षण नीति को तब तक रखना होगा, जब तक समाज समतावादी नहीं हो जाता, और हर किसी को बराबर सम्मान व अवसर नहीं मिलते’.

सांपला ने आगे कहा, ‘हर प्रांत में एससी-एसटी की अपनी अलग सूची होती है, जो उस राज्य में इन समूहों की स्थिति के हासिब से होती है. मिसाल के तौर पर कुछ लोग, एक गांव में एससी हो सकते हैं, लेकिन देश के बाक़ी हिस्सों में उन्हें ओबीसी माना जा सकता है. राज्य स्तर पर भी, तीन ज़िलों में वो एससी हो सकते हैं, लेकिन देश के बाक़ी हिस्सों में उन्हें ओबीसी समझा जा सकता है. इसलिए आरक्षण सिर्फ जाति के आधार पर नहीं होता, बल्कि इस पर भी निर्भर करता है, कि उस समूह के साथ कितना भेदभाव किया गया है’.

जहां एससी ने राज्यों से पूछा है कि क्या, ऐतिहासिक इंद्रा साहनी फैसले के अनुसार, आरक्षण पर लगी 50 प्रतिशत की सीमा पर पुनर्विचार की ज़रूरत है, वहीं सांपला ने कहा कि केवल आरक्षण काफी नहीं है, बल्कि मानसिकता में बदलाव की ज़रूरत है.

उन्होंने कहा ‘हमने ऐसे मामले देखे हैं, जिनमें हरियाणा में एक आईपीएस अधिकारी ने अपनी शादी पर सुरक्षा की मांग की, चूंकि उसके होने वाले दूल्हा को घोड़े पर बैठकर आना था, लेकिन उसके गांव में निचली जातियों को घोड़े पर बैठने की इजाज़त नहीं है. तमिलनाडु में एक आदमी बीएमडब्लू कार में बैठकर, एक रेस्ट्रॉन्ट में खाना खाने आया, लेकिन उसकी पिटाई कर दी गई, क्योंकि उसके की- चेन में आम्बेडकर का फोटो था. उनकी आर्थिक तथा सामाजिक हैसियत भी, उन्हें भेदभाव से नहीं बचा पाई’.

उन्होंने आगे कहा, ‘इसलिए, आरक्षण पर लगी सीमा ख़त्म होनी चाहिए या नहीं, इस पर विचार करते समय, एससी को ऐसी घटनाओं का संज्ञान लेना चाहिए. आरक्षण नीति को तब तक जारी रखना होगा, जब तक हम मानसिकता को नहीं बदल देते’.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: SC आयोग के नए प्रमुख ने IIT पैनल को दिया संदेश : मत भूलिए कि संविधान एक दलित ने लिखा


 

share & View comments