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Wednesday, 20 November, 2024
होमदेशराज्यसभा में शोर-शराबे के बीच 'दिल्ली बिल' पारित, केजरीवाल ने लोकतंत्र के लिए बताया दुखद दिन

राज्यसभा में शोर-शराबे के बीच ‘दिल्ली बिल’ पारित, केजरीवाल ने लोकतंत्र के लिए बताया दुखद दिन

गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि संविधान के अनुसार सीमित अधिकारों वाली दिल्ली विधानसभा से युक्त एक केंद्रशासित राज्य है.

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नई दिल्ली : राज्यसभा ने बुधवार को राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक 2021 को विपक्ष के भारी विरोध के बीच मंजूरी प्रदान कर दी जिसमें दिल्ली के उपराज्यपाल की कुछ भूमिकाओं और अधिकारों को परिभाषित किया गया है. कांग्रेस नीत विपक्षी दलों ने विधेयक का विरोध करते हुए इसे संविधान के खिलाफ बताया और विस्तृत चर्चा के लिए इसे प्रवर समिति में भेजने की मांग की.

गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि संविधान के अनुसार सीमित अधिकारों वाली दिल्ली विधानसभा से युक्त एक केंद्रशासित राज्य है. उच्चतम न्यायालय ने भी अपने फैसले में कहा है कि यह केंद्रशासित राज्य है और विधेयक के सभी संशोधन न्यायालय के निर्णय के अनुरूप हैं.

रेड्डी ने कहा कि संविधान के 239 ए अनुच्छेद के तहत राष्ट्रपति दिल्ली के लिए उपराज्यपाल की नियुक्ति करते हैं. उन्होंने कहा कि उपराज्यपाल और दिल्ली की चुनी हुई सरकार के बीच किसी विषय को लेकर विचारों में अंतर होता है तो उपराज्यपाल इसके बारे में राष्ट्रपति को सूचित करते हैं.

उन्होंने कहा कि वह दिल्ली की जनता को यह आश्वासन देना चाहते हैं कि दिल्ली सरकार के किसी अधिकार को कम नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि दिल्ली विधानसभा के पास सीमित विधायी अधिकार हैं.

मंत्री के जवाब के बाद सदन ने ध्वनिमत से राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक 2021 (एनसीटी विधेयक) को मंजूरी प्रदान कर दी. इस दौरान, कांग्रेस, बीजद, सपा, वाईएसआर सहित कई विपक्षी दलों ने सदन से वाकआउट किया.

विधेयक को पारित किए जाने के प्रस्ताव पर सदन में मत विभाजन हुआ जिसमें 83 सदस्यों ने प्रस्ताव का समर्थन किया वहीं 45 सदस्यों ने विरोध किया.

गृह राज्य मंत्री ने कहा कि दिल्ली विधानसभा जन व्यवस्था, पुलिस और भूमि को छोड़कर राज्य एवं समवर्ती सूची के हर विषय पर कानून बना सकती है. उन्होंने कहा, ‘संविधान के तहत दिल्ली सरकार को जो अधिकार प्राप्त हैं, नरेंद्र मोदी सरकार उनमें से एक भी अधिकार (इस विधेयक के जरिये) नहीं ले रही है.’

रेड्डी ने कहा कि इस संशोधन का मकसद मूल विधेयक में जो अस्पष्टता है उसे दूर करना ताकि इसे लेकर विभिन्न अदालतों में कानून को चुनौती नहीं दी जा सके. उन्होंने कहा कि दिल्ली विधानसभा के साथ एक केंद्रशासित प्रदेश है. यह सभी लोगों को समझना चाहिए कि इसके पास सीमित शक्तियां हैं. इसकी तुलना किसी अन्य राज्य से नहीं की जा सकती है.’

विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने विधेयक का विरोध करते हुए इसे असंवैधानिक बताया. खड़गे ने कहा कि इस विधेयक के जरिए सरकार चुने हुए प्रतिनिधियों के अधिकारों को छीनकर उपराज्यपाल को देना चाहती हैं. उन्होंने कहा कि दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन में कोई भी बदलाव संविधान संशोधन के जरिए ही किया जा सकता है लेकिन सरकार इसे एक सामान्य संशोधन विधेयक के रुप में लेकर आई है.

सदस्यों के भारी विरोध के कारण सदन की कार्यवाही दो बार स्थगित भी हुई.

आप के संजय सिंह ने विधेयक को गैर संवैधानिक और अलोकतांत्रिक करार दिया और इसका विरोध करते हुए कहा कि दिल्ली सरकार बिजली, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में बहुत अच्छा काम कर रही है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार उस सरकार को खत्म करना चाहती है, इसलिए यह विधेयक लेकर लायी है.

कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी ने इस विधेयक को राज्यसभा में लाया गया अब तक का ‘सबसे बड़ा असंवैधानिक विधेयक’ बताया और कहा कि यह किसी पार्टी के बारे में नहीं बल्कि संघवाद के मौलिक अधिकार के बारे में हैं. उन्होंने दावा किया कि इस विधेयक के बाद दिल्ली की चुनी हुई सरकार ‘पपेट’ (कठपुतली) हो जाएगी.

उन्होंने दावा किसी कि इसे जब भी अदालत में चुनौती दी जाएगी, इसे संवैधानिक कसौटी पर निरस्त कर दिया जाएग.

तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ’ब्रायन ने कहा कि भाजपा नीत केंद्र सरकार सभी संस्थाओं को समाप्त कर रही है.

भाजपा के भूपेन्द्र यादव ने विधेयक का बचाव करते हुए कहा कि यह संविधान की भावना के अनुरूप है. उन्होंने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार कोई निर्णय लेने से पहले उपराज्यपाल को नहीं बताती थी और ‘छुपकर’ निर्णय लेकर वह संघीय व्यवस्था का अपमान करती रही है.

लोकतंत्र के लिए दुखद दिन, लोगों को सत्ता दोबारा सौंपने के लिए संघर्ष करते रहेंगे: केजरीवाल

दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सरकार (संशोधन) विधेयक के राज्यसभा में पारित होने के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को कहा कि यह लोकतंत्र के लिए ‘दुखद दिन’ है.

उन्होंने कहा कि वह लोगों को सत्ता दोबारा सौंपने के लिए संघर्ष करते रहेंगे. संसद ने दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सरकार (संशोधन) विधेयक, (जीएनसीटीडी) 2021 पारित कर दिया जिससे उप राज्यपाल को और अधिक शक्तियां प्राप्त हो गई हैं.

यह विधेयक सोमवार को लोकसभा से पारित हुआ था. केजरीवाल ने इसे भारतीय लोकतंत्र के लिए दुखद दिन बताया है.

उन्होंने ट्वीट किया, ‘राज्यसभा ने जीएनसीटीडी विधेयक पारित किया. भारतीय लोकतंत्र के लिए दुखद दिन. लोगों को सत्ता दोबारा सौंपने के लिए संघर्ष करते रहेंगे. जो भी अड़चने आएंगी हम अच्छा काम करते रहेंगे. काम न रुकेगा, न धीमा होगा.’

दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने इसे लोकतंत्र के लिए काला दिवस बताया.

उन्होंने ट्वीट किया, ‘आज का दिन लोकतंत्र के लिए काला दिन है. दिल्ली की जनता द्वारा चुनी गई सरकार के अधिकारों को छीन कर एलजी के हाथ में सौंप दिया गया. विडंबना देखिये कि लोकतंत्र की हत्या के लिए संसद को चुना गया जो हमारे लोकतंत्र का मंदिर है. दिल्ली की जनता इस तानाशाही के खिलाफ लड़ेगी.’

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