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Friday, 22 November, 2024
होमहेल्थसिर्फ हल्दी दूध ही नहीं, कोविड के समय प्रोटीन पाउडर्स की मांग भी तेज हुई: सर्वे

सिर्फ हल्दी दूध ही नहीं, कोविड के समय प्रोटीन पाउडर्स की मांग भी तेज हुई: सर्वे

नए सर्वेक्षण में कहा गया है कि उसे पिछले साल की खरीद में कुछ ‘बहुत दिलचस्प’ रुझान पता चले हैं और हेल्थकेयर चिकित्सक भी कुछ मामलों में मरीज़ों को प्रोटीन पाउडर्स लेने को कह रहे हैं.

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नई दिल्ली: देशभर में दवाई की दुकानों में मल्टीविटामिन्स, अभी भी सबसे अधिक बिकने वाला आइटम है लेकिन फार्मासिस्ट स्वास्थ्य उत्पाद की एक और श्रेणी- प्रोटीन पाउडर्स की मांग में भी उछाल देख रहे हैं. एक नए सर्वेक्षण में कहा गया है कि उसे पिछले साल की खरीद में कुछ ‘बहुत दिलचस्प’ रुझान पता चले हैं और हेल्थकेयर चिकित्सक भी कुछ मामलों में मरीज़ों को प्रोटीन पाउडर्स लेने को कह रहे हैं.

डॉक्टर के नुस्खों की अध्ययन और भारत तथा मिडिल ईस्ट में दवा बाज़ार पर नज़र रखने वाली फर्म, प्रांटो कंसल्ट के एक देशव्यापी सर्वे में पता चला कि फरवरी के महीने में चिकित्सा खरीदारियों के लिए जिन 7,000 बिलों की समीक्षा की गई, उनमें करीब 20 प्रतिशत या 1,400 बिलों में प्रोटीन पाउडर की खरीद दिखाई गई थी.

सर्वेक्षण में, जिसे दिप्रिंट ने देखा है, कहा गया, ‘फुटकर विक्रेताओं ने (इसे) उजागर किया और बिलों से भी प्रोटीन पाउडर्स की खरीद में वृद्धि का पता चला. हेल्थकेयर चिकित्सक भी कुछ मामलों में मरीज़ों को प्रोटीन पाउडर्स लेने को कह रहे हैं.

प्रांटो कंसल्ट के सह-संस्थापक और प्रबंध निदेशक डॉ हरि नटराजन ने दिप्रिंट से कहा, ‘खरीद में प्रोटीन सप्लीमेंट्स और व्हे प्रोटीन ड्रिंक्स शामिल हैं. प्रोटीन सप्लीमेंट्स के अलावा, स्वास्थ्य पेय पदार्थों की बिक्री में भी इज़ाफा हुआ है, जिसमें माल्ट-आधारित ड्रिंक्स, हल्दी दूध, प्रोबायोटिक ड्रिंक्स, नारियल पानी और ओआरएस (ओरल रीहाइड्रेशन सोल्यूशन) शामिल हैं’.

नटराजन ने कहा कि प्रोटीन सप्लीमेंट्स की बिक्री में वृद्धि, जून-जुलाई के फार्मेसी बिलों में भी देखी गई थी. उन्होंने कहा, ‘पिछले साल जून-जुलाई में, बिलों में इनका प्रतिशत 20-23 के आसपास था, जबकि अब ये 20-21 के करीब चल रहा है. पिछले कुछ महीनों में ये घटकर 10 प्रतिशत पर आ गया था’.


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लॉकडाउन के बाद से खरीद के रुझान

प्रांटो कंसल्ट के सह-संस्थापक और निदेशक,डॉ करिश्मा शाह ने कहा कि पिछले साल पूरे समय खरीद के रुझान ‘बहुत दिलचस्प’ बने रहे.

शाह ने कहा, ‘ग्राहकों के बिलों में सबसे ज़्यादा प्रभावित उत्पाद एंटीबायोटिक्स और त्वचा विज्ञान थे. बिलों में मल्टीविटामिन्स के उल्लेख में जबर्दस्त उछाल के अलावा, लॉकडाउन से पहले के मुकाबले सफाई की वस्तुओं का उल्लेख भी 230 प्रतिशत बढ़ गया था’.

‘सफाई की वस्तुओं’ की श्रेणी में हैंड सैनिटाइज़र्स और लिक्विड हैंड वॉश शामिल हैं.

प्रांटो सर्वे के मुताबिक, मल्टीविटामिन्स में लॉकडाउन्स से पहले के मुकाबले 1,160 प्रतिशत उछाल दर्ज किया गया है.

लेकिन चूंकि कुछ लोगों ने लॉकडाउन घोषित होने से पहले दवाओं का स्टॉक जमा कर लिया था, इसलिए बाद में एंटी-बेक्टीरियल्स और एंटी-बायोटिक्स की मांग में बड़ी गिरावट देखी गई. सर्वे में कहा गया, ‘फुटकर विक्रेताओं को उम्मीद है कि अगली कुछ तिमाहियों में ये मांग वापस आ जाएगी’.

प्रांटो सर्वे में ये भी देखा गया कि ‘उपभोक्ताओं के बीच स्वास्थ्य पर फोकस बहुत बढ़ गया है, जो मल्टीविटामिन्स, पौष्टिक-औषधीय पदार्थों, स्वास्थ्य पेय और प्रोटीन सप्लीमेंट्स की बिक्री बढ़ने के पीछे एक प्रमुख कारण है.

लेकिन, उसमें कहा गया कि फार्मासिस्टों को पिछले छह महीनों की अपेक्षा मल्टीविटामिन्स की बिक्री में गिरावट दिखने लगी है, जो ऊंची बिक्री की एक प्रमुख श्रेणी है.


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चिकित्सा सलाह या सेल्फ-प्रेसक्रिप्शन?

हरियाणा के रोहतक स्थित पंडित भगवत दयाल शर्मा पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज़ में इंटेंसिव केयर यूनिट (आईसीयू) की सीनियर रेज़िडेंट डॉ कामना कक्कड़ के मुताबिक, प्रोटीन पाउडर्स ऐसे मरीज़ों को दिए जा सकते हैं, जो या तो गंभीर कोविड-19 जैसी, किसी बड़ी बीमारी से बाहर आए हैं या आईसीयू में भर्ती हैं.

उन्होंने कहा, ‘कोविड खत्म करने वाली किसी दवा के आभाव में, इस बीमारी को संभालने के लिए सारा ध्यान मरीज़ को फिट करने पर दिया जाता है. मसलन, अगर उन्हें डायबिटीज़ है, तो उनकी डायबिटीज़ कंट्रोल कीजिए. अगर वो कुपोषित हैं तो उनका आहार बढ़ाइए. ऐसी स्थिति में प्रोटीन पाउडर्स का इस्तेमाल किया जा सकता है और इन वस्तुओं की बिक्री में वही दिख रहा होगा’.

ककक्ड़ ने समझाया कि अत्यधिक बीमारी की वजह से मसल प्रोटीन स्टोर्स टूट सकते हैं.

उन्होंने आगे कहा, ‘इसके अलावा कम भूख या कमज़ोरी की वजह से मरीज़ पर्याप्त खुराक नहीं ले पाते. ये दोनों बातें मिलकर मरीज़ की हालत और बिगाड़ सकती हैं. इसलिए, लाज़िमी हो जाता है कि इन सब की भरपाई के लिए खुराक में अतिरिक्त कैलोरीज़ और प्रोटीन्स दिए जाएं’.

फोर्टिस अस्पताल नोएडा में पल्मोनॉलजी, चेस्ट एंड स्लीप मेडिसिन के डायरेक्टर एवं हेड डॉ मृणाल सरकार ने कहा कि ऐसे सप्लीमेंट्स डॉक्टर तब देते हैं जब ‘मरीज़ इतना ज़्यादा बीमार होता है कि खुद से नहीं खा पाता’.

अगर मरीज़ अच्छे से खा लेता है तो सप्लीमेंट्स की कोई ज़रूरत नहीं होती और ये ज़रूरत सामान्य भोजन से पूरी की जानी चाहिए’. लेकिन उन्होंने आगे कहा कि मुमकिन है कि स्वास्थ्य को लेकर बढ़ती जागरूकता की वजह से लोग खुद से ये सप्लीमेंट्स लेने लगे हों.

सरकार ने ज़ोर देकर कहा, ‘ये चीज़ें बिना किसी नुस्खे की ज़रूरत के काउंटर पर उपलब्ध होती हैं. लेकिन इन सप्लीमेंट्स को लेने से पहले चिकित्सा सलाह लेनी चाहिए’.

(श्रेयस शर्मा द्वारा संपादित)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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