मुम्बई: मुम्बई पुलिस अधिकारी सचिन वाजे ने शनिवार को, व्हाट्सएप पर कई सिलसिलेवार स्ट्रोरीज़ डालीं, जिनमें कहा गया था कि ‘दुनिया को अलविदा कहने का समय क़रीब आ रहा है’
राष्ट्रीय जांस एजेंसी (एनआईए) और मुम्बई एटीएस दोनों, मंसुख हीरन की मौत के मामले में वाजे की जांच कर रहे हैं, जो एक असिस्टेंट पुलिस इंस्पेक्टर है. मंसुख की स्कॉर्पियो गाड़ी उद्योगपति मुकेश अंबानी के आवास एंटिला के बाहर, विस्फोटक के साथ छोड़ी हुई पाई गई थी.
अपनी व्हाट्सएप कहानियों में वाझो ने कहा है, कि उसे ‘झूठा फंसाया’ जा रहा है.
व्हाट्सएप कहानी में कहा गया है, ‘3 मार्च 2004 को सीआईडी के साथी अधिकारियों ने मुझे गिरफ्तार किया था. वो गिरफ्तारी आज तक बेनतीजा है’. उसमें आगे कहा गया है,‘मुझे लग रहा है कि इतिहास दोहराने जा रहा है. मेरे साथी अधिकारी मुझे झूठा फंसाना चाहते हैं’.
उसने ये भी कहा है, ‘परिदृष्य थोड़ा बदला हुआ है. उस समय मेरे पास आशा, धैर्य, जीवन और सेवा के 17 साल बचे थे’. उसने आगे कहा, ‘अब मेरे पास न तो 17 साल का जीवन बचा होगा, न सर्विस होगी, और न ही जीने का धैर्य होगा. मुझे लगता है कि दुनिया को अलविदा कहने का समय क़रीब आ रहा है’
3 मार्च 2004 को, वाजे को 14 अन्य पुलिसकर्मियों के साथ निलंबित कर दिया गया था, और उस पर 2 दिसंबर के घाटकोपर बम धमाके केस के संदिग्ध, ख़्वाजा यूनुस की हिरासत में मौत के मामले में, हत्या का आरोप लगाया गया था. तत्कालीन महाराष्ट्र सरकार ने बहाली के लिए उसका आवेदन ख़ारिज कर दिया, जिसके बाद 30 नवंबर 2007 को, वाजे ने पुलिस सेवा से इस्तीफा दे दिया.
कोविड-19 महामारी और उसके बाद लॉकडाउन के दौरान, पुलिस स्टाफ की कमी के चलते, वाजे का निलंबन वापस ले लिया गया, और 6 जून 2020 उसे मुम्बई पुलिस में बहाल कर दिया गया.
वाजे, जो अब क्राइम इंटेंलिजेंस यूनिट में सेवारत है, जांच अधिकारा था जो तहक़ीक़ात कर रहा था, कि विस्फोटक सामग्री से भरी स्कॉर्पियो, जिसमें 20 जिलेटिन छड़ियां और एक धमकी भरा पत्र था, 25 फरवरी को अंबानी के मुम्बई आवास एंटिला कैसे पहुंच गई. लेकिन बिना किसी अधिकारिक सफाई के, उसकी जगह किसी और अधिकारी को, बतौर आईओ ले आया गया.
वाजे की, स्कॉर्पियो मालिक मंसुख हिरन की कथित हत्या के लिए भी, जांच की जा रही है जिसका शव 5 मार्च को, मुम्बई क्रीक के अंदर पड़ा पाया गया था.
हीरन की पत्नी ने पुलिस से कहा है, कि अपने पति की मौत में उन्हें ‘वाजे के शामिल होने पर गहरा शक है’.
10 मार्च को वाजे को क्राइम ब्रांच से हटा दिया गया, जब हीरन की पत्नी ने आरोप लगाया, कि वो स्कॉर्पियो दरअस्ल तीन महीने से वाजे के क़ब्ज़े में थी, और 5 फरवरी को उसने ये शिकायत करते हुए, स्कॉर्पियो हीरन को वापस कर दी थी, कि उसका ‘स्टीयरिंग सख्त हो गया था.
मुम्बई पुलिस ने वाजे के व्हाट्सएप स्टेटस पर कोई टिप्पणी नहीं की. दिप्रिंट ने व्हाट्सएप कॉल्स और मैसेजे के ज़रिए, वाजे से संपर्क किया लेकिन उसने जवाब नहीं दिया.
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सभी आरोपों से इनकार, कहा केवल ऑटोमैटिक गाड़ियां चलाता है
हीरन की मौत की जांच कर रही मुम्बई एटीएस के सूत्रों ने, दिप्रिंट से कहा कि वाजे से इस केस के बारे में, कई बार पूछताछ की जा चुकी है, लेकिन वो ‘हर चीज़ से इनकार कर रहा है’.
ये पूछे जाने पर, कि क्या वो स्कॉर्पियो कार इस्तेमाल कर रहा था, जैसा कि हीरन की पत्नी ने दावा किया है, वाजे ने जांचकर्त्ताओं से कहा कि वो सिर्फ ऑटोमैटिक कारें चलाता है, और उसे तो स्कॉर्पियो चलानी भी नहीं आती, वो भी मैनुअल ट्रांसमिशन वाली’.
एक पुलिस सूत्र ने कहा, ‘उसने कहा कि उसे मैनुअल ट्रांसमिशन वाली स्कॉर्पियो चलानी ही नहीं आती, इसलिए वो हीरन की कार निजी इस्तेमाल के लिए कैसे ले सकता था’. सूत्र ने ये भी कहा, ‘वो हीरन की पत्नी के लगाए हुए तमाम आरोपों से इनकार कर रहा है’.
मुम्बई पुलिस को दी अपनी शिकायत में, हीरन की पत्नी ने आरोप लगाया था, कि वाजे ने 5 फरवरी को कार वापस कर दी थी, और उसने अपने ड्राइवर के ज़रिए, मरम्मत के लिए भेज दिया था.
सूत्रों ने कहा कि हीरन की पत्नी ने ये भी आरोप लगाया है, कि जिस दिन हीरेन ग़ायब हुए, उस दिन वो वाजे से मिले थे. इस पर वाजे ने जांचकर्त्ताओं को बताया, कि जिस रात हीरेन ग़ायब हुए, उस रात 1.30 बजे उसे हीरेन की पत्नी का फोन आया था, लेकिन उसने उनसे कह दिया था, कि उसे नहीं मालूम कि हीरेन कहां है.
सूत्रों के मुताबिक़ वाजे ने एटीएस को ये भी बताया, कि 25 फरवरी को कारमाइकल रोड पर पहुंचने वाला, वो पहला इंसान नहीं था. बल्कि एटीएस टीम, बीट मशाल, ट्रैफिक पुलिस ज़ोन 2, स्थानीय पुलिस, और बीडीडीएस, उससे पहले ही मौक़े पर पहुंच गए थे.
पिछले हफ्ते, वाजे से 10 घंटे से भी अधिक समय तक पूछताछ की गई, जिसमें उसने मुम्बई एटीएस को बताया, कि वो हीरेन को अच्छे से जानता था, लेकिन उसने ये भी कहा, कि हीरेन कई दूसरे पुलिसकर्मियों के भी संपर्क में था.
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