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Friday, 22 November, 2024
होमडिफेंसपूर्व सेना प्रमुख जनरल मलिक ने कहा, खत्म हो चुकी है भारत की चीन के प्रति 'तुष्टीकरण की नीति'

पूर्व सेना प्रमुख जनरल मलिक ने कहा, खत्म हो चुकी है भारत की चीन के प्रति ‘तुष्टीकरण की नीति’

एडिटर-इन-चीफ शेखर गुप्ता के साथ बातचीत में दिप्रिंट के 'ऑफ द कफ' कार्यक्रम में बोलते हुए जनरल मलिक ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी टीम चीजों को सहजता से स्वीकार नहीं कर रही है. भले ही विरोधी की कार्रवाई से आश्चर्यचकित हो.

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नई दिल्ली : पूर्व सेना प्रमुख जनरल वी पी मलिक (सेवानिवृत्त) ने कहा कि चीन के प्रति भारत की ‘तुष्टीकरण नीति’ लद्दाख में गतिरोध के साथ ही समाप्त हो गई है और भारत, बीजिंग को एक कड़ा संदेश भेजने में सफल रहा है कि वे हमें ‘यूं ही मानकर’ नहीं चल सकते.

कारगिल संघर्ष में भारत को जीत दिलाने के लिए नेतृत्व करने वाले पूर्व सेना प्रमुख ने दिप्रिंट के एडिटर-इन-चीफ शेखर गुप्ता के साथ बातचीत में ‘ऑफ द कफ’ कार्यक्रम में बोलते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी टीम चीजों को यूं ही बर्दाश्त नहीं कर रही.

हालांकि जनरल मलिक ने कहा कि इस बात की जांच की जरूरत है कि मार्च और अप्रैल महीने में तिब्बत में चीनी सेना के होने की खबरें आने पर भी भारत ने अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती वहां क्यों नहीं की या एहतियाती कदम क्यों नहीं उठाए.

सीधे तौर पर बोलते हुए अधिकारी ने कहा कि आज की तारीख में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और अक्साई चिन को सैन्य तरीके से वापस लेना मुश्किल है क्योंकि अब यह सैन्य के साथ-साथ राजनीतिक और कूटनीतिक मुद्दा भी है.

‘रणनीतिक परिदृश्य में बहुत बदलाव आया है. 20 साल पहले हमने चीन के बारे में बहुत ज्यादा नहीं सोचा था क्योंकि उस वक्त हम चीन के साथ एक अलग नीति का पालन कर रहे थे. उस समय हम प्रतिस्पर्धा के साथ-साथ सहयोग की एक अलग नीति का पालन कर रहे थे. उसमें भी हम सहयोग के हिस्से पर ज्यादा समय और ऊर्जा खर्च कर रहे थे. जनरल मलिक ने रणनीतिक माहौल के बारे में बताते हुए कहा, ‘बीस साल पहले हमने सिर्फ कारगिल की लड़ाई लड़ी थी और पश्चिमी सीमा पर ज्यादा ध्यान दिया गया था.’

उन्होंने कहा कि चीन के लिए बहुत कुछ बदल गया है. ‘न सिर्फ क्षमता के मामले में ही बल्कि चीन में जिस तरह का नेतृत्व सामने आया है. उन्होंने कहा कि इस चीज़ ने विश्व स्तर पर और खासकर हमारे क्षेत्र पर विशेष रूप से असर डाला है.

पूर्व प्रमुख ने कहा कि ऐसा लगता है कि पाकिस्तान अपनी क्षमताओं के मामले में और अपनी व्यापक राष्ट्रीय शक्ति के मामले में नीचे चला गया है.


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चीन सबसे बड़ा खतरा

उन्होंने शेखर गुप्ता को बताया कि पूर्व सेना प्रमुख जनरल सुंदरजी ने 1980 के दशक के अंत में कहा था कि चीन हमारे लिए सबसे मुख्य खतरा है, जनरल मलिक ने कहा कि भारत और चीन के बीच काफी विषमता है. ‘वे हमसे बहुत अधिक आगे हैं. यहां तक कि हम उन्हें पकड़ने में या इस अंतराल को कम करने में सक्षम नहीं हो पाए हैं.’

उन्होंने कहा कि ‘हम प्रतिस्पर्धा के साथ सहयोग की नीति का पालन कर रहे थे. उसमें भी रणनीतिक प्रतिस्पर्धा के बजाय सहयोग पर जोर दिया गया. यह यहां तक था कि हममें से कई लोगों ने कहा कि यह तुष्टीकरण की नीति थी. लेकिन पिछले साल लद्दाख की घटना के बाद यह बदल गया है.’

यह पूछे जाने पर कि क्या वह पैंगोंग त्सो में तनाव कम होने से खुश हैं, उन्होंने कहा, ‘मैं इस बात से खुश हूं. मैं नहीं मानता कि दोनों देश तनाव को बढ़ाना चाहते हैं.’ दोनों देश युद्ध की ओर नहीं जाना चाहते. उस समय से इस दिशा में अच्छा विकास हुआ है.

उन्होंने ये भी कहा कि विश्वास की कमी है और भारत को अपनी सतर्कता को बनाए रखना होगा. ‘तथ्य यह है कि चीन से तनाव बढ़ने के बाद हमने अपनी नीति में संशोधन किया है. आज प्रतिस्पर्द्धा वाले हिस्से पर काफी जोर है. इसलिए हम तैयार हैं. यह केवल सैन्य स्तर पर ही नहीं बल्कि आर्थिक स्तर पर भी है.’

रणनीतिक स्तर पर हमने क्वाड, समान विचारधारा वाली पार्टियों के साथ रणनीतिक सहयोग जैसी अन्य कार्रवाई भी की है. उन्होंने कहा, ‘इसने जगह ले ली है और यह हमारी नीति में बड़ा बदलाव है.’


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मोदी सरकार यूं ही बर्दाश्त नहीं करती

मौजूदा सरकार के बारे में बात करते हुए पूर्व सेना प्रमुख ने कहा, ‘प्रधानमंत्री और वर्तमान व्यवस्था के साथ मैंने जो दूसरी बात देखी है, वह यह है कि आज चीजों को को यूं ही बर्दाश्त नहीं कर रहे. यहां तक कि हम आश्चर्यचकित हैं, चाहे वह उड़ी, पुलवामा या कुछ समय पहले पूर्वी सीमा पर कुछ रहा हो, अब हम एक संदेश दे रहे हैं कि हम आपके खिलाफ कार्रवाई करेंगे.’

आगे स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि उड़ी हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक हुई और बालाकोट हमले के बाद पुलवामा ब्लास्ट हुआ.

‘यह (बालाकोट) एक बहुत ही कड़ा संदेश था. पूर्वी लद्दाख में जो कुछ हुआ है, मुझे लगता है कि हम चीन को एक कड़ा संदेश भेजने में सफल रहे हैं कि कृपया हमें यूं ही मानकर न चलें.’

उन्होंने कहा, ‘हम विवादित क्षेत्रों में भी किसी तरह का अतिक्रमण मानने को तैयार नहीं हैं. पिछले 5-6 सालों में यह एक बड़ा बदलाव हुआ है.’

यह पूछे जाने पर कि वह लद्दाख घुसपैठ के मामले में मोदी सरकार को क्या रेटिंग देंगे, उन्होंने कहा कि भारत ‘चीन को एक कड़ा संदेश भेजने में सक्षम रहा है, जो पहले नहीं हुआ था.’

‘तो अब चीन जानता है कि हम चीज़ें यूं ही स्वीकार नहीं करेंगे, हम इसका विरोध करेंगे. यहां तक जिस तरह का रवैया बातचीत के दौरान हमने अपनाया है, मुझे लगता है कि हम उसकी वजह से एक कड़ा संदेश भेजने में सफल रहे हैं.’

जब तक दोनों पक्ष सेना को कम करने या पीछे हटाने के लिए सहमत नहीं हो जाते तब तक इसी तरह का रवैया अपनाए रहने की जरूरत है. मुझे लगता है कि सरकार ने इसे अच्छी तरह से संभाला है.

उन्होंने कहा कि यही है जिसकी वजह से हम कारगिल जीते और उम्मीद है कि आगे भी इसका पालन किया जाएगा.

जनरल मलिक ने कहा कि भारत ने 1967 की नाथू ला घटना के साथ-साथ सुमदोरोंग घटना में भी चीन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की.

‘हमने तब एक मजबूत संदेश दिया. धीरे-धीरे, जब चीजें राजनीतिक क्षेत्र में आती हैं, तो कुछ मात्रा में समझौता होता है.’

उन्होंने कहा, ‘हमारी कोशिश थी कि मुकाबले और प्रतिस्पर्द्धा के बजाय सहयोग पर फोकस किया जाए ताकि शांति और सौहार्द बना रहे. पहले इसी तरह से चीजे़ं की जा रही थीं और कभी कभी यही रणनीतिक लोग सोचेंगे कि हम लोग जरूरत से ज्यादा तुष्टीकरण की नीति का पालन कर रहे हैं.’

जनरल मलिक ने सशस्त्र बलों के लिए बजट आवंटन को बढ़ाने की बात कही, साथ ही यह भी कहा कि यह बजट के कुल खर्च का 3 फीसदी होना चाहिए.

उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि आधुनिकीकरण एक सतत प्रक्रिया है और भारत कुछ होने का इंतजार नहीं कर सकता.

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