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Thursday, 19 December, 2024
होमदेशमोदी सरकार अपना एजेंडा बढ़ाने के लिए ‘अनुकूल’ पत्रकारों और ‘स्पिन डॉक्टरों के पूल’ का इस्तेमाल करे : मंत्री समूह

मोदी सरकार अपना एजेंडा बढ़ाने के लिए ‘अनुकूल’ पत्रकारों और ‘स्पिन डॉक्टरों के पूल’ का इस्तेमाल करे : मंत्री समूह

एक मंत्री समूह ने सुझाव दिया है, कि 50 ‘निगेटिव प्रभाव डालने वाले व्यक्तियों’ पर निगाह रखी जाए, और 50 ‘पॉज़िटिव प्रभाव डालने वालों’ को प्रोत्साहित किया जाए, जो सरकार के काम को ‘सही परिप्रेक्ष्य’ में दिखाते हैं.

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नई दिल्ली : एक मंत्री समूह (जीओएम) ने सिफारिश की है कि ऐसे पत्रकारों की पहचान करके उन्हें प्रोत्साहित किया जाए- जिन्होंने अपनी नौकरियां गंवा दी थीं, लेकिन जो पिछले मंत्रालयों में, मोदी सरकार को लेकर ‘समर्थक या तटस्थ’ रहे हैं, ताकि सरकार की छवि को चमकाने के लिए, उनकी सेवाओं का इस्तेमाल किया जा सके.

मंत्री समूह ने, जिसमें मोदी सरकार के नौ मंत्री शामिल हैं, पिछले साल तैयार की गई अपनी रिपोर्ट में ये भी सुझाव दिया कि सरकार की ग्लोबल आउटरीच के तहत, विदेशी मीडिया के पत्रकारों के साथ नियमित रूप से संवाद बने रहना चाहिए, जिससे अंतर्राष्ट्रीय मंच पर ‘उसके दृष्टिकोण’ को सही तरह से रखा जा सके.

रिपोर्ट के अनुसार, अपनी दीर्घकालिक रणनीति के तहत, सरकार को पत्रकारिता स्कूलों के साथ अपना संवाद बढ़ाना चाहिए, चूंकि ‘आज के छात्र कल के पत्रकार हैं’. रिपोर्ट में ऐसे पत्रकारों का पूल तैयार करने का सुझाव दिया गया है, जो ‘सरकार के रुख़ को समझते और सराहते हों’.

रिपोर्ट में ये भी सुझाव दिया गया है कि अच्छे तर्क देने की सलाहियत रखने वाले लोगों, या ‘स्पिन डॉक्टर्स के एक पूल’ की शिनाख़्त की जानी चाहिए. उसमें ये भी कहा गया है कि अलग-अलग स्थानीय भाषाओं के, ऐसे लेखकों की सूची बनाई जानी चाहिए, जो सरकार के प्रति सहानुभूति रखते हों.

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘एक ही तथ्य को अलग-अलग तरह से बयान किया जा सकता है. इसलिए ऐसे स्पिन डॉक्टरों की शिनाख़्त करके, उनका उपयोग किया जाना चाहिए, जो सरकार के लिए ये काम कर सकें’.

रिपोर्ट में जिन अन्य कार्रवाई बिंदुओं पर रोशनी डाली गई है, उनमें ऐसे 50 नकारात्मक प्रभाव डालने वाले लोगों पर, नज़र रखने की बात की गई है, जो झूठी बातें फैलाकर सरकार को बदनाम करते हैं. साथ ही ऐसे 50 पॉज़िटिव प्रभाव डालने वाले व्यक्तियों के साथ, नियमित संवाद स्थापित करके उन्हें प्रोत्साहित करने का सुझाव दिया गया है, जो सरकार के कामकाज को ‘सही दृष्टिकोण’ से पेश करते हों और ऐसे लोगों को ज़रूरी जानकारी भी मुहैया कराई जानी चाहिए.

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (आईएंडबी) को पत्रकारों और प्रभाव डालने वाले व्यक्तियों से संवाद स्थापित करने का काम सौंपा गया है. उसे चुनिंदा ऑनलाइन पोर्टल्स के प्रचार और समर्थन का ज़िम्मा भी सौंपा गया है, चूंकि मंत्री समूह को लगता है कि अधिकतर मौजूदा पोर्टल्स सरकार के आलोचक हैं.

सिफारिशों में ये भी कहा गया है कि पॉज़िटिव ख़बरों, सफलता की गाथाओं और प्रशंसा पत्रों का, बड़े पैमाने पर प्रसारण किया जाए, ताकि सरकार द्वारा किए जा रहे कार्यों को चमकाया जा सके और बताया जा सके कि उन्होंने लोगों के जीवन में कितना अंतर पैदा किया है. साथ ही, निगेटिव ख़बरों का खंडन किया जाए और स्थानीय भाषाओं में विज्ञापन और आउटरीच कार्यक्रम सुनिश्चित किए जाए, ताकि ‘स्थानीय लोगों से बेहतर जुड़ाव हो सके’. इसके अलावा ये भी कहा गया, कि ‘बड़े पैमाने पर’ पब्लिक आउटरीच कार्यक्रम आयोजित करने के लिए हर मंत्रालय दो बड़ी पहलक़दमियों या कार्यक्रमों कि शिनाख़्त करे.


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सरकार-पार्टी के बीच सहयोग की मांग

रिपोर्ट में एक हिस्सा है जिसमें लोगों से सीधे संपर्क साधने का सुझाव दिया गया है. इसके अंतर्गत, वो क़दम सुझाए गए हैं जिनसे सरकार और बीजेपी दोनों को ज़मीनी स्तर पर लोगों से संवाद स्थापित करना चाहिए.

उसमें कहा गया है कि हालांकि बुधवार को कैबिनेट ब्रीफिंग्स होती हैं, लेकिन राज्य स्तर पर एक प्रेसवार्ता या सम्मेलन हर बृहस्पतिवार को और ज़िला अध्यक्षों द्वारा हर शुक्रवार को होना चाहिए. उसमें ये भी कहा गया कि हर शनिवार और रविवार को सांसदों और विधायकों की ओर से एक जनसंपर्क अभियान आयोजित किया जाना चाहिए.

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘इन कार्रवाइयों से सुनिश्चित हो जाएगा कि सरकार के फैसले और पहलकदमियां, ज़मीनी स्तर तक पहुंच जाएंगी’. उसमें आगे कहा गया, ‘इसके ज़रिए, पूरी पार्टी मशीनरी और चुने गए प्रतिनिधि लोगों के सक्रिय संपर्क में रहेंगे’.

उसमें ये भी कहा गया कि एक निश्चित समय पर, पार्टी के सभी प्रवक्ताओं के साथ, एक ‘ऑडियो ब्रिज’ किया जाना चाहिए, उन्हें पार्टी का रुख़ अच्छी तरह समझाया जा सके और हर कोई एक राय से सहमत हो जाए.

रिपोर्ट में कहा गया है कि सोशल मीडिया प्रबंधन को लेकर सरकार और पार्टी के बीच उचित समन्वय स्थापित किया जाना चाहिए.

मंत्रालयों को आउटरीच कार्यक्रमों का ज़िम्मा

रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि विभिन्न मंत्रालयों को अलग-अलग आउटरीच लक्ष्यों का ज़िम्मा सौंपा जाए. उसमें कहा गया है कि मानव संसाधन विकास (शिक्षा) मंत्रालय, और युवा मामले और खेल मंत्रालय सुनिश्चित करेंगे कि सरकार की बहुत सी पहलक़दमियों और स्कीमों को, एनएसएस, एनसीसी और पार्टी नेताओं के माध्यम से आम लोगों तक पहुंचाया जाए.

उसमें ये भी कहा गया है कि आईएंडबी मंत्रालय और विदेश मंत्रालय (एमईए) को सार्वजनिक प्रसारकों की अंतर्राष्ट्रीय मौजूदगी बढ़ाने पर काम करना चाहिए. रिपोर्ट में कहा गया है कि एमईए को सुनिश्चित करना चाहिए कि भारतीय मिशंस में मीडिया इकाइयों को और सक्रिय बनाकर दूसरे देशों में आउटरीच कार्यक्रम को और कारगर बनाया जा सकता है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि एनआरआई समुदाय के साथ संचार का एक कारगर सिस्टम स्थापित किया जाना चाहिए और उनका समर्थन किया जाना चाहिए, ताकि वो विदेशी मुल्कों में निगेटिव ख़बरों और नैरेटिव्ज़ के खिलाफ अपनी आवाज़ उठा सकें.

उसमें ये भी कहा गया है कि ट्विटर और गूगल जैसे प्लेटफॉर्म्स के साथ संवाद होना चाहिए, ताकि सरकार की आउटरीच को पॉज़िटिव तरीक़े से बढ़ाया जा सके.

मंत्री समूह की रिपोर्ट में एमईए और एचआरडी (शिक्षा) मंत्रालयों को ज़िम्मा सौंपा गया है कि लोगों के ऐसे समूहों और संस्थाओं की निशानदेही करें, जिन्हें अतंर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता हासिल है.

उसमें ये भी कहा गया है कि सरकारी पत्रिका न्यू इंडिया समाचार की फिज़िकल कॉपियां, 6 लाख लोगों को बांटी जानी चाहिए और 8 करोड़ लोगों को ई-वर्ज़न भेजा जाना चाहिए.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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