सरकारों के लिए एक अच्छे प्रेस को प्रलोभन देना सामान्य बात है. लेकिन अपनी छवि के मोह में आना और सारी आलोचनाओं को दबाना, जैसा कि मोदी सरकार की जीओएम रिपोर्ट बताती है, निश्चित तौर पर चौंकाती है. 300+ सांसदों और काफी हद तक दोस्ताना मीडिया होने के बाद भी अगर सरकार अपनी छवि को लेकर पागल है तो उसकी प्राथमिकताएं गलत हैं.