पतंजलि की कोविड इम्युनिटी के लिए ‘साक्ष्य-आधारित’ कोरोनिल दवा की घोषणा करने की जल्दबाजी और वह भी दो केंद्रीय मंत्रियों की उपस्थिति में और डब्ल्यूएचओ का बाद में स्पष्टीकरण कि उसने इसकी प्रभावकारिता की समीक्षा नहीं की है या प्रमाणित नहीं किया है. यह न केवल एक अनावश्यक डिस्ट्रैक्शन है बल्कि आयुर्वेद के नाम को खराब कर रही है.
डिस्ट्रैक्शन?