नई दिल्ली: भारत और चीन की सेनाओं के वरिष्ठ कमांडर शनिवार को नये दौर की एक उच्च स्तरीय वार्ता करेंगे जिसमें दोनों पक्षों की तरफ से पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी तट से सैनिकों और सैन्य सोजोसामान को पीछे हटाने का काम पूरा होने के बाद इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने पर चर्चा की जाएगी. यह जानकारी आधिकारिक सूत्रों ने शुक्रवार को दी.
सूत्रों ने कहा कि कोर कमांडर-स्तरीय वार्ता पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा के चीन की ओर मोल्दो सीमा बिंदु पर शुरू होगी.
नौ महीने के गतिरोध के बाद दोनों देशों की सेनाओं के बीच सहमति बनी कि दोनों पक्ष ‘चरणबद्ध तरीके से, समन्वित और सत्यापन योग्य’ तरीके से पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी तटों से सैनिकों को पीछे हटायेंगे.
सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया 10 फरवरी को शुरू हुई.
सूत्रों ने कहा कि पैंगोंग झील क्षेत्रों में सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया दोनों पक्षों के बीच बनी सहमति के अनुसार संपन्न हुई.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 11 फरवरी को संसद में एक बयान में कहा था कि चीन अपनी सेना की टुकड़ियों को हटा कर पैंगोंग झील के उत्तरी किनारे में फिंगर आठ इलाकों के पूरब की दिशा में ले जाएगा. उन्होंने कहा कि भारत अपनी सैन्य टुकड़ियों को फिंगर तीन के पास अपने स्थायी ठिकाने धन सिंह थापा पोस्ट पर रखेगा.
उन्होंने कहा कि इसी तरह की कार्रवाई दक्षिणी किनारे वाले क्षेत्र में भी दोनों पक्ष करेंगे.
रक्षा मंत्री ने कहा था कि इसपर सहमति बनी है कि पैंगोंग झील क्षेत्र में सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी होने के 48 घंटे के भीतर दोनों पक्षों के वरिष्ठ कमांडरों की अगली बैठक अन्य सभी मुद्दों को हल के लिए बुलायी जाएगी.
रक्षा मंत्रालय ने बाद में कहा था कि डेपसांग, हॉट स्प्रिंग्स और गोगरा सहित अन्य लंबित मुद्दों पर दोनों देशों के सैन्य कमांडरों के बीच आगामी वार्ता में चर्चा की जाएगी.
यह भी पढ़ें: सिख, कुमाऊं और जम्मू-कश्मीर रेजीमेंट के तहत 3,000 सैनिकों वाली तीन नई बटालियन बनाएगी सेना