नई दिल्ली: बख्तरबंद और सशस्त्र टुकड़ियों के बाद भारतीय और चीनी फौजों के इन्फेंट्री सैनिकों ने भी पैंगोंग त्सो के दक्षिण में स्थित कैलाश रेंज से वापसी शुरू कर दी है. यह प्रक्रिया शुक्रवार तक पूरी की जानी है.
भारतीय सेना ने सीमा पर जारी सैन्य वापसी पर कुछ तस्वीरें जारी की हैं जिसमें पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के जवान अपने टेंट और शिविरों को हटाते और उन्हें हल्के वाहनों में लादते नज़र आ रहे हैं. बड़े समूहों में सैनिकों की ‘वापसी’ होते और सैनिकों और सैन्य उपकरणों के साथ वाहनों को पीछे की ओर जाते देखा जा सकता है.
तस्वीरों से यह भी पता चलता है कि पैंगोंग झील के उत्तर और दक्षिण तट पर सैन्य ठिकानों के निर्माण के लिए कई जगह खोदी गई जमीन को समतल करने के लिए अर्थ-मूवर्स या जेसीबी मशीनों का इस्तेमाल किया जा रहा है. सैन्य वापसी पर दोनों पक्षों के बीच हुए समझौते के तहत क्षेत्र में जमीन को पहले जैसी स्थिति में किया जाएगा.
रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान से जुड़े सूत्रों ने बताया कि सैन्य वापसी की प्रक्रिया ‘सही दिशा में’ चल रही है, और इस करार के तहत सैनिकों ने दक्षिणी तट स्थित पहाड़ियों से हटना शुरू कर दिया है, जहां 29-30 अगस्त की रात चलाए गए एक ऑपरेशन के तहत कब्जा कर लिया गया था.
सैन्य वापसी दक्षिणी तट के रेचिन ला और रेजांग ला और उत्तरी तट के ‘फिंगर एरिया’ के अलावा गुरुंग और मगर की पहाड़ियों से भी हो रही है.
एक सूत्र ने कहा, ‘भारत और चीन दोनों समझौते के मुताबिक सेना वापस बुला रहे हैं. सबसे पहले दक्षिणी तट से बख्तरबंद और सशस्त्र टुकड़ियों की वापसी पर ध्यान केंद्रित किया गया. चीन ने कुल मिलाकर ऐसे करीब 200 वाहनों को वापस बुलाया है. भारत भी पीछे हटा है. अब पैदल सैनिकों की वापसी पर ध्यान केंद्रित किया रहा है.’
जैसा कि दिप्रिंट ने सोमवार को जानकारी दी थी कि चीनियों ने फिंगर 5 पर अपनी जेट्टी और एक हेलीपैड नष्ट कर दिया है और अब टेंट और निगरानी चौकियों को हटाने की प्रक्रिया में हैं.
सूत्रों ने कहा कि सैन्य वापसी प्रक्रिया जारी रहने के बीच अनमैन्ड एरियल व्हीकल और उपग्रहों के जरिये इनकी पुष्टि की जा रही है.
पैंगोंग त्सो के दोनों किनारों से सैन्य वापसी पूरी होने के बाद दोनों पक्षों की संतुष्टि के लिए 48 घंटे बाद ही कोर कमांडर स्तर की वार्ता का अगला दौर आयोजित किया जाना है.
दोनों पक्षों के सैनिक कहां जा रहे हैं
चीन अपनी बख्तरबंद और सशस्त्र टुकड़ियों और सैनिकों को दक्षिणी तट से हटाकर रुतोग सैन्य ठिकाने पर बुला रहा है, जहां इस गतिरोध के दौरान ही पीएलए ने व्यापक स्तर पर बुनियादी ढांचा विकसित कर लिया है.
आखिरकार नौ महीने चले गतिरोध के बाद भारत और चीन के बीच पैंगोंग त्सो से पीछे हटने पर सहमति बनी थी और पिछले बुधवार को ही यह प्रक्रिया शुरू हुई है.
समझौते के अनुसार, झील के आसपास पहुंची टुकड़ियां अप्रैल 2020 की पूर्व स्थिति में तैनात होंगी.
उत्तरी तट से भारतीय सैनिक फिंगर क्षेत्र स्थित अपनी अंतिम स्थायी चौकी पर लौटेंगे जो फिंगर 3 के पास स्थित भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) की धन सिंह थापा चौकी है. चीनी सैनिक फिंगर 8 से आगे अपनी स्थायी चौकी सिरिजाप पर लौटेंगे जो उन्होंने 1962 के युद्ध में कब्जाई थी.
हालांकि, रणनीतिक महत्व वाले देपसांग मैदानों, गोगरा पोस्ट और हॉट स्प्रिंग क्षेत्र से सैन्य वापसी की प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया जाना अभी बाकी है.
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