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Friday, 22 November, 2024
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दिल्ली के स्कूलों में प्रमोट होंगे सभी नर्सरी छात्र, लेकिन साल ख़राब होने से अभी भी नाख़ुश हैं पैरेंट्स

नर्सरी दाख़िले अगले हफ्ते शुरू होंगे. दिल्ली सरकार के अधिकारियों का कहना है, कि पढ़ाई के नुक़सान की भरपाई करने के लिए, पहली तिमाही के दौरान ‘कैच-अप’ गतिविधियां आयोजित की जा सकती हैं.

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नई दिल्ली: दिप्रिंट को पता चला है कि दिल्ली सरकार ने फैसला किया है कि जिन बच्चों ने 2019 में नर्सरी में दाख़िले लिए थे, लेकिन कोविड-19 महामारी की वजह से स्कूल नहीं जा पाए और जिन्होंने एक साल गंवा दिया, उन्हें सीधे किंडरगार्टन में प्रमोट कर दिया जाएगा.

दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशक के प्रमुख सलाहकार शैलेंद्र शर्मा ने कहा, ‘जिस बच्चे ने पिछले साल नर्सरी में दाख़िला लिया था, उसे इस साल केजी में प्रमोट कर दिया जाएगा. दिल्ली के स्कूलों ने 2020 के लिए दाख़िले की प्रक्रिया, दिसंबर 2019 में पूरी कर ली थी’.

उन्होंने आगे कहा, ‘जिन बच्चों की उम्र अब 4 साल से अधिक है, उन्हें केजी में दाख़िला दिया जा सकता है’.

नर्सरी, किंडरगार्टन और पहली क्लास में दाख़िले के लिए अधिकतम आयु सीमा आमतौर पर क्रमश: 4, 5, और 6 साल होती है. इन कक्षाओं में दाख़िले की न्यूनतम आयु सीमा क्रमश: 3, 4, और 5 साल होती है.

दिल्ली में नर्सरी दाख़िलों को रद्द करने को लेकर काफी बहस होने के बाद सरकार ने आख़िरकार बुधवार को, दाख़िले की प्रक्रिया का कार्यक्रम जारी कर दिया.

लेकिन पैरेंट्स को अपने बच्चों की एक साल की पढ़ाई हर्ज होने का पछतावा हो रहा है, चूंकि उनका कहना है कि, ‘इतनी कम उम्र में पढ़ाई में देरी बच्चों को पीछे खींच सकती है’.

लेकिन शिक्षा विभाग के अधिकारियों और कुछ स्कूल प्रिंसिपल्स ने कहा कि वो ‘पुनरावृत्ति’ पर फोकस करेंगे, ताकि सुनिश्चित हो जाए कि 2021-22 में जब नया सत्र फ़िज़िकल रूप से शुरू हो तो पढ़ाई का नुक़सान न हो.


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मां-बाप की चिंता

एक 4 साल की बच्ची के पैरेंट प्रतीक अग्रवाल ने एक साल की पढ़ाई के नुक़सान पर चिंता का इज़हार किया.

उन्होंने कहा, ‘2020 में हमने उसे एक निजी प्ले-स्कूल में दाख़िल कराया था, जहां तक़रीबन सेशन शुरू होते ही, क्लासेज़ ऑनलाइन मोड पर शिफ्ट हो गईं. बिल्कुल नामुमकिन है कि आप एक तीन साल की बच्ची को, लंबे समय तक एक स्क्रीन के सामने बैठने के लिए राज़ी कर सकें. न केवल पूरे साल की फीस का पैसा बेकार गया, बल्कि मुश्किल से ही कोई पढ़ाई हो पाई. अब उसे अपनी नर्सरी फिर से करनी होगी. इतनी कम उम्र में पढ़ाई में देरी बच्चे को पीछे खींच सकती है’.

एक और पैरेंट अमित गुप्ता भी इस बात को लेकर चिंतित थे कि उनके साढ़े तीन साल के बेटे को फिर से नर्सरी करनी पड़ेगी.

‘हमने दिसंबर 2020 में ही, अपने बेटे का एक प्री-स्कूल में दाख़िला कराया था, जब महामारी के कम होने के आसार दिख रहे थे. वो अभी भी पढ़ या लिख नहीं पाता, इसलिए उसे नर्सरी फिर से करनी पड़ेगी, क्योंकि कोई भी स्कूल उसे एलकेजी 1 में लेने को तैयार नहीं है’.

‘हर क्लास के लिए कैच-अप गतिविधियां’

इस बीच दिल्ली सरकार के अधिकारियों ने कहा कि पढ़ाई के नुक़सान की भरपाई के लिए कई तरह की गतिविधियां आयोजित की जाएंगी.

एक अधिकारी ने दिप्रिंट से कहा, ‘पढ़ाई के मामले में एक तरीक़ा ये हो सकता है कि पढ़ाई के लक्ष्य को फिर से परिभाषित किया जाए और 2021-22 में जब नया सत्र फिज़िकल रूप में शुरू हो तो कम से कम पहली तिमाही में, हर क्लास के लिए कैच-अप गतिविधियां कराई जाएं’.

लेकिन, दिल्ली में एल्कॉन ग्रुप ऑफ स्कूल्स के डायरेक्टर अशोक पाण्डेय ने कहा कि छोटी कक्षाओं में पढ़ाई का ज़्यादा नुक़सान नहीं हुआ है.

‘कह सकते हैं कि क्लास 9, 10 और 11 में, पढ़ाई का नुक़सान क़रीब 60 प्रतिशत रहा है, क्लास 6, 7 और 8 में ये 50 प्रतिशत है, क्लास 3, 4 और 5 में 30 प्रतिशत है और उससे नीचे की कक्षाओं में ज़ीरो प्रतिशत है’

उन्होंने आगे कहा कि पढ़ाई से ज़्यादा, उन बच्चों के लिए सामाजिक-भावनात्मक नुक़सान है, जो 4 और 5 साल के हैं.

पाण्डेय ने कहा, ‘इसकी भरपाई तभी हो सकती है, जब बच्चे फ़िज़िकल रूप से स्कूल आएंगे, हम उनसे उसी समय निपटेंगे’.

मॉडर्न पब्लिक स्कूल की प्रिंसिपल, अल्का कपूर ने दिप्रिंट से कहा, ‘हमारे स्कूल में पढ़ाई का एक स्ट्रक्चर्ड तरीक़ा अपनाया गया, ताकि सुनिश्चित हो सके कि प्री-स्कूल वाले बच्चों की पढ़ाई का भी हर्ज न हो’.

उन्होंने आगे कहा: ‘हम पैरेंट्स की चिंताओं को समझते हैं और इसी वजह से जब उनके लिए फिज़िकल सेशंस शुरू होंगे, तो पुनरावृत्ति पर काफी ध्यान और समय दिया जाएगा, ताकि पढ़ाई का कोई नुक़सान न हो’.

अगले हफ्ते शुरू होंगे दाख़िले

अधिकारिक समय-सारणी के अनुसार, नर्सरी, किंडरगार्टन और क्लास 1 के लिए, शैक्षणिक सत्र 2021-22 की ऑनलाइन पंजीकरण प्रक्रिया, 18 फरवरी से शुरू होगी, जिसमें राष्ट्रीय राजधानी के क़रीब 1,700 स्कूलों में दाख़िले किए जाएंगे.

पैरेंट्स के लिए आवेदन फॉर्म जमा करने की अंतिम तिथि 4 मार्च है. चुने गए छात्रों की पहली सूची 20 मार्च को, और दूसरी सूची 25 मार्च को प्रकाशित होगी.

दाख़िले की प्रक्रिया 31 मार्च को पूरी हो जाएगी. हर स्कूल अपने दाख़िलों की समय-सारणी, अपनी अधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड करेगा.

जो समय-सारणी जारी की गई है, वो सामान्य श्रेणी (75 प्रतिशत) की एंट्री-लेवल सीटों के लिए है, जो दिल्ली में बिना-सहायता के मान्यता प्राप्त स्कूलों में उपलब्ध हैं.

बाक़ी 25 प्रतिशत सीटों की समय-सारणी, जो आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों (ईडब्लूएस) और वंचित श्रेणी (डीजी) के छात्रों के लिए आरक्षित हैं, जल्द ही घोषित की जाएगी.

सभी स्कूलों को अपने यहां एंट्री लेवल की 22 प्रतिशत सीटें, ईडब्लूएस/ डीजी छात्रों, और 3 प्रतिशत सीटें विशेष जरूरतों वाले छात्रों के लिए आरक्षित रखनी होती हैं.

इन श्रेणियों में दाख़िले शिक्षा विभाग की ओर से, पर्ची डालने की एक केंद्रीकृत प्रक्रिया के ज़रिए किए जाते हैं.

दिसंबर 2020 में दिल्ली सरकार के अधिकारियों ने कहा था कि नर्सरी दाख़िलों को रद्द करने के एक प्रस्ताव पर ग़ौर किया जा रहा है, क्योंकि स्कूल महामारी की वजह से 9 महीने बंद रहे हैं और वैक्सीन उपलब्ध होने तक बंद ही रहेंगे. लेकिन स्कूलों के प्रिंसिपल्स ने इस प्रस्ताव का विरोध किया था. आख़िरकार, उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया ने पिछले महीने नर्सरी दाख़िले रद्द करने की संभावना को ख़ारिज कर दिया था.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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