नई दिल्ली: भारत और चीन पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग त्सो क्षेत्र से पीछे हटने के लिए सहमत हो गए हैं और लगभग नौ महीने के गतिरोध के बाद दोनों देशों ने वापस यथास्थिति में जाने का फैसला किया है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राज्यसभा में गुरुवार को यह जानकारी दी.
सिंह ने कहा कि समझौते के अनुसार, चीनी सेना पैंगोंग त्सो के उत्तरी किनारे में फिंगर 4 क्षेत्र से फिंगर 8 से आगे नहीं आने देगा और वापस खींचेगा. इसी तरह, इसी तरह भारत भी अपनी सेना की टुकडि़यों को फिंगर 3 के पास अपने परमानेंट धन सिंह थापा पोस्ट पर रखेगा.
इसी तरह की कार्रवाई साउथ बैंक एरिया में भी दोनों पक्षों द्वारा की जायेगी. ये कदम आपसी समझौते के तहत बढ़ाए जाएंगे तथा जो भी निर्माण आदि दोनों पक्षों द्वारा अप्रैल 2020 से उत्तरी और पूर्वी किनारों पर किया गया है उन्हें हटा दिया जाएगा और पुरानी स्थिति बना दी जाएगी.
यह भी तय हुआ है कि दोनों पक्ष उत्तरी किनारे पर अपनी सेना की गतिविधियां, जिसमें परंपरागत स्थानों की पेट्रोलिंग भी सम्मिलित है, को अस्थायी रूप से स्थगित रखेगें. पेट्रोलिंग तभी शुरू की जाएगी जब सेना एवं राजनयिक स्तर पर आगे बातचीत करके समझौता बनेगा. इस समझौते पर कार्रवाई कल से उत्तरी और पूर्वी किनारों पर प्रारंभ हो गयी है. यह उम्मीद है इसके द्वारा पिछले साल के गतिरोध से पहले जैसी स्थिति बहाल हो जाएगी. जैसा कि दिप्रिंट ने पहले बताया था.
दिप्रिंट आपके लिए लाया है रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का पूरा भाषण- पढ़िए उन्होंने और क्या क्या कहा.
1. माननीय सभापति महोदय जी पिछले साल सितम्बर में इस गरिमामयी सदन के समक्ष मैंने एक विस्तृत वक्तव्य ईस्टर्न लद्दाख में भारत-चीन सीमा पर हुई Developments के बारे में दिया था . मैंने यह बताया था कि चीन द्वारा पिछले वर्ष अप्रैल-मई, 2020 के दौरान ईस्टर्न लद्दाख की सीमा के समीप भारी संख्या में सशस्त्र बल तथा गोलाबारूद आदि इकट्ठा कर लिया गया था. चीन द्वारा LAC के आसपास कई बार transgression का प्रयास भी किया गया था . हमारी सशस्त्र सेनाओं ने उन सभी प्रयासों के दृष्टिगत उपयुक्त जवाबी कार्रवाई की थी . राष्ट्र के साथ इस सदन ने भी उन वीर भारतीय सैनिकों को श्रृद्धांजलि दी थी जिन्होंने भारत की सीमा की रक्षा करते हुए अपना बलिदान दे दिया था. आज मैं इस सदन को कुछ और महत्वपूर्ण developments के बारे में बताना चाहता हूं .
2. पिछले वर्ष सितम्बर से दोनों पक्षों ने एक-दूसरे के साथ Military and diplomatic channels द्वारा संवाद स्थापित कर रखा है. हमारा यह लक्ष्य है कि LAC पर disengagement तथा यथास्थिति हो जाए ताकि peace and tranquility पुनः स्थापित हो सके.
3. मैं संक्षेप में वहां की ground situation के बारे में सदन को दोबारा अवगत कराना चाहता हूं . सदन को ज्ञात है कि चीन ने अनधिकृत तरीके से लद्दाख केन्द्र शासित प्रदेश के लगभग 38000 वर्ग किमी पर 1962 के संघर्ष के समय से कब्जा बना लिया है . इसके अतिरिक्त, पाकिस्तान ने अनधिकृत तरीके से POK में भारत की लगभग 5180 वर्ग किमी भूमि तथाकथित Sino-Pakistan Boundary Agreement 1963 के तहत चीन को दे दिया है . इस प्रकार चीन का 43000 वर्ग किमी से ज्यादा भारतीय भूमि पर अनधिकृत कब्जा है . चीन पूर्वी क्षेत्रों में भी अरुणाचल प्रदेश की सीमा पर करीब 90000 वर्ग किमी भूमि को अपना बताता है . भारत ने इन unjustified claims तथा अनधिकृत कब्जे को कभी भी स्वीकार नहीं किया है .
4. मैं सदन को यह भी बताना चाहता हूं कि भारत ने चीन को हमेशा यह कहा है कि Bilateral relation दोनों पक्षों के प्रयास से ही विकसित हो सकते हैं, साथ-साथ ही सीमा के प्रश्न को भी बातचीत के जरिए हल किया जा सकता है . परंतु LAC पर peace and tranquility में किसी प्रकार की प्रतिकूल स्थिति का हमारी Bilateral Ties पर बुरा असर पड़ता है . इससे चीन भी अच्छी तरह से अवगत है . कई high level joint statement में भी यह जिक्र किया गया है कि LAC तथा सीमाओं पर peace and tranquility कायम रखना Bilateral Relation के लिए अत्यंत आवश्यक है .
5. पिछले वर्ष से चीन के द्वारा उठाए गए कदमों के कारण Peace and tranquility पर प्रतिकूल असर पड़ा है . इसके फलस्वरूप चीन और भारत के संबंधों पर भी प्रभाव पड़ा है . उच्च स्तर पर चीन के साथ कई बार बातचीत के दौरान, जिसमें मेरे द्वारा चीनी रक्षा मंत्री के साथ पिछले सितम्बर की बैठक, मेरे सहयोगी विदेशी मंत्री श्री जय शंकर जी की चीनी विदेश मंत्री के साथ तथा NSA श्री अजीत डोभाल जी की अपने चीनी counterpart के साथ बातचीत शामिल है, हमने यह स्पष्ट कर दिया है कि यह अत्यंत आवश्यक है कि LAC के सभी Friction Point पर Disengagement किया जाए ताकि peace and tranquility पुनः स्थापित हो सके .
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6. माननीय सभापति महोदय जी, पिछले वर्ष मैंने इस सदन को अवगत कराया था कि LAC के आस-पास Eastern Ladakh में कई friction areas बन गए हैं. चीन ने बड़ी संख्या में सेना एवं गोला-बारूद आदि भी LAC के आस-पास तथा उसके पीछे अपने क्षेत्रों में इकट्ठा कर लिया है. हमारे सशस्त्र सेनाओं द्वारा भी भारत की सुरक्षा की दृष्टि से adequate तथा effective counter deployment किए गए हैं.
7. मुझे यह बताते हुए गर्व महसूस हो रहा है कि भारतीय सेनाओं ने इन सभी चुनौतियों का डट कर सामना किया है तथा अपने शौर्य एवं बहादुरी का परिचय Pangong Tso के south एवं north bank पर दिया है. सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण कई क्षेत्रों को चिन्हित कर हमारी सेनाएं कई पहाडि़यों के ऊपर तथा हमारे दृष्टिकोण से उपयुक्त अन्य क्षेत्रों पर मौजूद हैं. भारतीय सेनाऍं अत्यंत बहादुरी से लद्दाख की ऊंची दुर्गम पहाडि़यों तथा कई मीटर बर्फ के बीच में भी सीमाओं की रक्षा करते हुए अडिग हैं और इसी कारण हमारा edge बना हुआ है . हमारी सेनाओं ने इस बार भी यह साबित करके दिखाया है कि भारत की संप्रभुता एवं अखंडता की रक्षा करने में वे सदैव हर चुनौती से लड़ने के लिए तत्पर हैं और अनवरत कर रहे हैं.
8. पिछले वर्ष से military and diplomatic स्तर पर चीन के साथ हमारा संवाद बना रहा है. इस बातचीत में हमने चीन को यह बताया है कि तीन सिद्धांतों के आधार पर हम इस समस्या का समाधान चाहते हैं:-
(i) दोनों पक्षों द्वारा LAC को माना जाए और उसका आदर किया जाए.
(ii) किसी भी पक्ष द्वारा unilaterally status quo बदलने का प्रयास नहीं किया जाए.
(iii) सभी समझौतों का दोनों पक्षों द्वारा पूर्ण रूप से पालन किया जाए.
Friction क्षेत्रों में disengagement के लिए भारत का यह मत है कि 2020 की forward deployments जो एक-दूसरे के बहुत नजदीक हैं वे दूर हो जाएं और दोनों सेनाएं वापस अपनी-अपनी स्थाई एवं मान्य चौकियों पर लौट जाएं.
9. माननीय सभापति महोदय जी, बातचीत के लिए हमारी strategy तथा approach माननीय प्रधानमंत्री जी के इस दिशा निर्देश पर आधारित है कि हम अपनी एक इंच जमीन भी किसी और को नहीं लेने देंगे. हमारे दृढ़ संकल्प का ही यह फल है कि हम समझौते की स्थिति पर पहुंच गए हैं.
10. इन दिशा निर्देशों के दृष्टिगत सितम्बर, 2020 से लगातार military and diplomatic स्तर पर दोनों पक्षों में कई बार बातचीत हुई है कि इस disengagement का mutually acceptable तरीका निकाला जाए. अभी तक Senior Commanders के स्तर पर 9 rounds की बातचीत हो चुकी है. राजनयिक स्तर पर भी WMCC (Working Mechanism for Consultation and Coordination on India-China Border Affairs) के तहत बैठकें होती रही हैं.
11. माननीय सभापति महोदय जी मुझे सदन को यह बताते हुए खुशी हो रही है कि हमारे इस approach तथा sustained talks के फलस्वरूप चीन के साथ Pangong Lake के North एवं South Bank पर disengagement का समझौता हो गया है. इस बात पर भी सहमति हो गई है कि Pangong Lake से पूर्ण disengagement के 48 घंटे के अंदर Senior Commanders स्तर की बातचीत हो तथा बाकी बचे हुए मुद्दों पर भी हल निकाला जाए.
12. Pangong lake area में चीन के साथ disengagement का जो समझौता हुआ है उसके अनुसार दोनों पक्ष forward deployment को phased, coordinated and verified manner में हटाएंगे . चीन अपनी सेना की टुकडि़यों को North Bank में Finger 8 के पूरब की दिशा की तरफ रखेगा. इसी तरह भारत भी अपनी सेना की टुकडि़यों को Finger 3 के पास अपने permanent base धन सिंह थापा पोस्ट पर रखेगा. इसी तरह की कार्रवाई South Bank area में भी दोनों पक्षों द्वारा की जायेगी. ये कदम आपसी समझौते के तहत बढ़ाए जाएंगे तथा जो भी निर्माण आदि दोनों पक्षों द्वारा अप्रैल 2020 से North and South Bank पर किया गया है उन्हें हटा दिया जाएगा और पुरानी स्थिति बना दी जाएगी. यह भी तय हुआ है कि दोनों पक्ष North Bank पर अपनी सेना की गतिविधियॉं, जिसमें परंपरागत स्थानों की patrolling भी सम्मिलित है, को अस्थायी रूप से स्थगित रखेगें. patrolling तभी शुरू की जाएगी जब सेना एवं राजनयिक स्तर पर आगे बातचीत करके समझौता बनेगा. इस समझौते पर कार्रवाई कल से North and South Bank पर प्रारंभ हो गयी है. यह उम्मीद है इसके द्वारा पिछले साल के गतिरोध से पहले जैसी स्थिति बहाल हो जाएगी.
13. मैं इस सदन को आश्वस्त करना चाहता हूं कि इस बातचीत में हमने कुछ भी खोया नहीं है . सदन को यह जानकारी भी देना चाहता हूं कि अभी भी LAC पर deployment तथा Patrolling के बारे में कुछ outstanding Issues बचे हैं. इन पर हमारा ध्यान आगे की बातचीत में रहेगा . दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हैं कि Bilateral Agreements तथा Protocol के तहत पूर्ण disengagement जल्द से जल्द कर लिया जाए . अब तक की बातचीत के बाद चीन भी देश की सम्प्रभुता की रक्षा के हमारे संकल्प से अवगत है. हमारी यह अपेक्षा है कि चीन द्वारा हमारे साथ मिलकर बचे हुए मुद्दों को हल करने का पूरी गंभीरता से प्रयास किया जाएगा.
14. माननीय सभापति महोदय, मैं इस सदन से आग्रह करना चाहता हूं कि मेरे साथ संपूर्ण सदन हमारी Armed Forces की इन विषम एवं भीषण बर्फबारी की परिस्थितियों में भी शौर्य एवं वीरता के प्रदर्शन की भूरि-भूरि प्रशंसा करे . सभापति महोदय, मैं यह कहना चाहता हूँ कि जिन शहीदों के शौर्य एवं पराक्रम की नींव पर यह disengagement आधारित है, उसे देश सदैव याद रखेगा I
15. माननीय सभापति महोदय,
मैं आश्वस्त हूँ कि यह पूरा सदन, चाहे कोई किसी भी दल का क्यों न हो, देश की संप्रभुता, एकता, अखंडता और सुरक्षा के प्रश्न पर एक साथ खड़ा है I और एक स्वर से समर्थन करता है कि यही सन्देश केवल भारत की सीमा तक ही सीमित नहीं रहेगा बल्कि पूरे जगत को जायेगा .
जय हिन्द
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