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Saturday, 16 November, 2024
होमदेशकोविड वैक्सीन को लेकर 7% कम हुई हिचकिचाहट, 3% लोग टीके के लिए 2022 तक करेंगे इंतजार- सर्वे

कोविड वैक्सीन को लेकर 7% कम हुई हिचकिचाहट, 3% लोग टीके के लिए 2022 तक करेंगे इंतजार- सर्वे

लोकलसर्कल्स द्वारा संचालित सर्वे में 17,000 लोगों ने भाग लिया. वैक्सीन को लेकर हिचिकचाहट के संबंध में प्रतिकूल प्रभावों और वैक्सीन की प्रभावशीलता पर शंकाएं भी ज़ाहिर की गयी.

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नई दिल्ली: एक नए सर्वेक्षण से पता चला है कि भारत में कोविड-19 वैक्सीन लेने में संकोच करने वालों की संख्या दिसंबर में 69 प्रतिशत से घटकर जनवरी में 62 प्रतिशत हो गई है.

सामुदायिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म लोकलसर्कल्स द्वारा 16 से 18 जनवरी तक देश के 230 जिलों में 17,000 लोगों के बीच सर्वेक्षण किया गया ताकि कोविड-19 वैक्सीन के बारे में लोगों की राय और उसमें बदलाव का आंकलन किया जा सके.

पिछले साल अक्टूबर में लोकलसर्कल्स द्वारा किए गए इसी तरह के सर्वेक्षण में 61 प्रतिशत नागरिकों ने टीके लेने में संकोच व्यक्त किया था. फिर फ़ाइज़र और मोडर्ना टीकों के प्रभावकारिता परिणामों की घोषणा के बाद नवंबर सर्वेक्षण में यह संख्या घटकर 59 प्रतिशत रह गई. हालांकि दोनों में से कोई भी वैक्सीन भारत में उपलब्ध नहीं है.

हालांकि, ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की कोविशिल्ड के उपयोग के बाद से आये कुछ प्रतिकूल परिणामों के मामले और परीक्षण प्रक्रिया से संबंधित चिंताएं उभरीं, जिससे वैक्सीन लेने के लिए अनिच्छुक लोगों की संख्या दिसंबर में 69 प्रतिशत हो गयी.

हालांकि, जनवरी के तीसरे सप्ताह में हिचकिचाहट की दर 7 प्रतिशत कम हुई. यह दर दिसंबर 2020 में 69 प्रतिशत से, 16 से 18 जनवरी के बीच 62 प्रतिशत हो गई. सर्वेक्षण में कहा गया है कि यह बड़े पैमाने पर इस तथ्य के कारण हो सकता है कि लोगों ने टीकाकरण ड्राइव के बारे में अपने-अपने जिलों में देखा और पढ़ा है.

टीके लेने की उनकी इच्छा या हिचकिचाहट के बारे में पूछे जाने पर 8,658 प्रतिक्रियाओं में से, 32 प्रतिशत ने कहा कि वे इसे लेंगे और 6 प्रतिशत ने कहा कि वे इसे तब लेंगे जब टीके निजी अस्पतालों/ चैनलों के माध्यम से उपलब्ध कराए जाएंगे, जबकि 3 प्रतिशत ने कहा कि वे 12 महीने से ज्यादा इंतजार करेंगे और फिर 2022 में फैसला करेंगे.’


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क्यों नहीं लगवाना चाहते वैक्सीन

सर्वेक्षण में उत्तरदाताओं से टीके न लेने के पीछे उनके कारणों के बारे में पूछा गया तो उनमें से कई ने प्राथमिक चिंताओं के रूप में साइड इफेक्ट्स और वैक्सीन के प्रभावकारी होने संबंधित शंकाओं की ओर इशारा किया.

8,782 प्रतिक्रियाओं में से 59 प्रतिशत ने अनजाने साइड इफेक्ट्स की ओर इशारा किया जबकि उनमें से 18 प्रतिशत ने ‘प्रभावशीलता’ को वजह माना. 11 प्रतिशत नागरिकों का मानना था कि महामारी वैसे भी समाप्त हो रही थी और इसलिए टीका लेने की कोई आवश्यकता नहीं थी.

बुधवार तक कुल 7.86 लाख स्वास्थ्य कर्मचारियों को कोविड-19 के टीके लगे. 20 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में शाम 6 बजे तक एक लाख से अधिक लाभार्थियों को टीका लगाया गया था.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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