नई दिल्ली: कांग्रेस नेता राहुल गांधी बृहस्पतिवार को, जल्लीकट्टू आयोजन में शरीक होने के लिए तमिलनाडु का दौरा करेंगे. इसी साल होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले, 2021 में उनका ये पहला प्रदेश दौरा होगा.
तमिलनाडु प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष केएस अलाइगिरी ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार के कृषि क़ानूनों के खिलाफ, आदोलन कर रहे किसानों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए, राहुल गांधी मदुरई के लोकप्रिय लेकिन विवादास्पद बैलों के खेल जल्लीकट्टू का नज़ारा करेंगे.
मंगलवार को अलाइगिरी ने कहा कि ‘बैल किसानों का प्रतीक है, और उनके जीवन का हिस्सा है’.
पूर्व पार्टी अध्यक्ष के एक-दिवसीय दौरे को, प्रदेश इकाई की ओर से ‘राहुलिन तामिझ वणक्कम (राहुल का तमिलनाडु में स्वागत)’ कहा जा रहा है. अलाइगिरि ने कहा कि ये ‘एक तरीक़ा है, तमिलनाडु के साथ उनकी निकटता दिखाने का’. उन्होंने ये भी कहा कि राहुल, किसी तरह का राजनीतिक प्रचार नहीं करेंगे.
जो चीज़ राहुल के दौरे को और अधिक प्रासंगिक बनाती है, वो है जल्लीकट्टू पर कांग्रेस का अब तक का रुख़. कांग्रेस का रुख़ इस मुद्दे पर लगातार बदलता रहा है, जिस पर पशु प्रेमियों ने पाबंदी लगाए जाने की मांग की है. पिछले कुछ सालों में, एक लंबे समय तक विरोध करने के बाद, पार्टी इसके आयोजन के समर्थन में सामने आती रही है. पार्टी ने 2011 में इस पर पाबंदी भी लगा थी, जब वो केंद्र में सत्ता में थी.
जब जयराम रमेश ने जल्लीकट्टू पर पाबंदी लगाई
यूपीए के दूसरे कार्यकाल में, जब वरिष्ठ कांग्रेसी नेता जयराम रमेश पर्यावरण मंत्री थे, तो उनके मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी करके, प्रदर्शन के तौर पर बैलों के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी, और एक तरह से 2011 में जल्लीकट्टू त्योहार के आयोजन का अंत कर दिया.
फिर, 7 मई 2014 को बीजेपी के सत्ता में आने से कुछ हफ्ते पहले, सुप्रीम कोर्ट ने इस पाबंदी को सही क़रार दे दिया. रमेश ने शीर्ष अदालत के फैसले का स्वागत किया और कहा कि इस क़दम से ‘बर्बर प्रथा का अंत हो जाएगा’.
लेकिन, मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद, कांग्रेस ने बैलों के इस खेल पर, अपने रुख़ को पूरी तरह बदल लिया.
जनवरी 2016 में, पिछले तमिलनाडु विधानसभा चुनाव से कुछ सप्ताह पहले ही, मोदी सरकार ने एक गज़ट नोटिफिकेश जारी करके, बैलों को उन जानवरों की सूची से हटा दिया, जिनके सार्वजनिक प्रदर्शन और परफॉर्मेंस पर प्रतिबंध था.
लेकिन, शीर्ष अदालत ने सरकार के आदेश पर रोक लगा दी.
उसके बाद, कांग्रेस ने 2016 के अपने तमिलनाडु चुनाव घोषणापत्र में कहा कि वो राज्य में जल्लीकट्टू की वापसी के लिए काम करेगी और उसे वैध कर देगी.
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सूबे की सियासत का पार्टी के रुख़ पर असर
जनवरी 2017 में, एआईएडीएमके सरकार ने एक अध्यादेश पारित करके, राज्य में जल्लीकट्टू को अनुमति दे दी.
उसके बाद, कांग्रेस नेता व वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने, सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर करके, भारतीय पशु कल्याण बोर्ड, तथा कम्पैशन अनलिमिटेड प्लस एक्शन नामक संस्था की ओर से, अध्यादेश को चुनौती दे दी.
लेकिन, उसके बाद जब प्रदेश नेताओं ने पार्टी हाईकमान से गुहार लगाई, तो पार्टी ने सिंघवी को पीछे हटने के लिए कह दिया.
सिंघवी ने उस समय दि न्यू इंडियन एक्सप्रेस से कहा था, ‘लंबे समय तक पशु अधिकारों के मामलों से जुड़े रहने, और इन सभी मामलों में बिना फीस के पेश होने के बाद, कांग्रेस की तमिलनाडु इकाई की भावनाओं तथा कांग्रेस पार्टी का सम्मान करते हुए, जिसे मैं बहुत मानता हूं, मैंने (इस केस से) अलग होने का फैसला किया है, और सोमवार को पेश नहीं होऊंगा’.
पिछले वर्ष, जब जल्लीकट्टू- समर्थक प्रदर्शन अपने चरम पर थे, तो कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने सार्वजनिक रूप से इस प्रथा का समर्थन किया.
Congress respects rights of ppl of Tamil Nadu to preserve the culture and protect rich tradition of #jallikattu :RS Surjewala,Congress pic.twitter.com/jwWot3L2fR
— ANI (@ANI) January 19, 2017
मुख्य पार्टी प्रवक्ता रण्दीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि पार्टी ‘जल्लीकट्टू की समृद्ध परंपरा का सम्मान करती है’.
कांग्रेस ने कहा, जल्लीकट्टू का हमेशा समर्थन किया
तमिलनाडु कांग्रेस प्रवक्ता ए गोपन्ना ने, पार्टी के रुख़ का बचाव करते हुए कहा कि उसने प्रदेश में जल्लीकट्टू का हमेशा समर्थन किया है.
गोपन्ना ने दिप्रिंट को बताया, ‘2011 के जयराम रमेश के नोटिफिकेशन का, जिसमें बैलों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया था, तमिलनाडु में जल्लीकट्टू पर कभी असर नहीं पड़ा. करुणानिधि द्वारा 2009 में पास किए गए क़ानून का मतलब था, कि हम प्रदेश में इस त्योहार की परंपरा जारी रख सकते थे’.
2009 में, डीएमके लीडर और तत्कालीन मुख्यमंत्री एम करुणानिधि ने, तमिलनाडु रेग्युलेशन ऑफ जल्लीकट्टू एक्ट पारित कर दिया था, जिसमें खेल के नियमन और संचालन के लिए, कुछ नियम तय किए गए थे.
गोपन्ना ने कहा, ‘हमने जल्लीकट्टू का तब भी समर्थन किया और आज भी करते हैं’.
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