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Friday, 22 November, 2024
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दसॉल्ट एविएशन की मेड इन इंडिया राफेल पर टिकी नजरें, देश में निवेश बढ़ाने पर विचार कर रही

फ्रांसीसी फर्म दसॉल्ट ने ऑर्डर की संख्या के आधार पर भारत में राफेल विमान के निर्माण पर अपनी नजरें टिका रखी हैं. लेकिन भारत इस पर कोई भी फैसला पहले 36 लड़ाकू विमानों की आपूर्ति होने के बाद ही करेगा.

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नई दिल्ली: भारत में अपना निवेश बढ़ाने की कोशिश में लगी रक्षा क्षेत्र की दिग्गज फ्रांसीसी कंपनी दसॉल्ट एविएशन देश में राफेल लड़ाकू विमानों का निर्माण करना चाहती है. दिप्रिंट को मिली जानकारी के मुताबिक, इसके लिए वह नरेंद्र मोदी सरकार से सामने एक बार फिर अपनी बात रखने की कोशिश करेगी.

संबंधित घटनाक्रम पर पूरी नजर रखने वाले फ्रांसीसी सूत्रों का कहना है कि फ्रांसीसी राष्ट्रपति के राजनयिक सलाहकार इमैनुअल बोन, जो अभी भारत दौरे पर हैं, राफेल लड़ाकू विमानों का भारत में निर्माण करने संबंधी अपनी सरकार के प्रस्ताव को एक बार फिर आगे बढ़ाने की कोशिश करेंगे, अगर इनके ऑर्डर की संख्या 100 के करीब होती है.

सूत्रों ने कहा कि अगर संख्या कम ही रहती है तो फ्रांसीसी निर्माता कंपनी राफेल का पूरी तरह भारत में निर्माण नहीं करेगी लेकिन देश में ही कुछ हिस्सों की खरीद बढ़ा देगी.

यह प्रस्ताव ऐसे समय आया है जब भारत मोदी सरकार द्वारा 2016 में ऑर्डर किए गए 36 लड़ाकू विमानों को अपने बेड़े में शामिल करने की प्रक्रिया में है. इन 36 विमानों को जहां आपात खरीद के तहत लेने का फैसला किया गया था, भारतीय वायुसेना 114 नए लड़ाकू विमानों के लिए निविदा की प्रक्रिया पर भी काम कर रही है.

हालांकि, भारतीय सत्ता के गलियारों में अटकलें हैं कि देश के लिए कोई नई खरीद प्रक्रिया अपनाने के बजाये स्वदेशी तेजस एमके-2 के साथ 36 अन्य राफेल लड़ाकू विमानों को खरीदना ज्यादा आसान होगा.

शीर्ष सरकारी सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि अतिरिक्त 36 राफेल लड़ाकू विमानों पर कोई भी फैसला पहले ऑर्डर किए गए 36 राफेल की आपूर्ति पूरी होने के बाद ही लिया जाएगा. हालांकि, उन्होंने माना कि राफेल महंगे हैं.

अक्टूबर 2020 में भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आर.के.एस. भदौरिया ने पहली बार आधिकारिक तौर पर संकेत दिया था कि राफेल लड़ाकू विमानों के दो और स्क्वाड्रन खरीदने का निर्णय विचाराधीन है.

दिप्रिंट ने इस मामले में टिप्पणी के लिए ईमेल के माध्यम से दसॉल्ट एविएशन से संपर्क साधा लेकिन इस रिपोर्ट को प्रकाशित करने के समय तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली थी.


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मेड इन इंडिया राफेल

दिप्रिंट से बात करते हुए एक सूत्र ने कहा, ‘फ्रांसीसी सरकार ने भारत सरकार को पहले ही बता दिया है कि संख्या यदि ज्यादा हो तो राफेल का निर्माण भारत में किया जा सकता है. इस पर दोनों पक्षों के बीच विभिन्न स्तर पर रणनीतिक स्तर की बातचीत और बैठकों में भी चर्चा की जाएगी.’

2017 में फ्रांस ने मोदी सरकार को लिखा था कि राफेल लड़ाकू विमानों के लिए मेक इन इंडिया का रास्ता चुना जा सकता है.

सूत्रों ने बताया कि दसॉल्ट एविएशन नागपुर स्थित फैसिलिटी में तीसरा हैंगर स्थापित करने पर काम कर रही है, जो कि अनिल अंबानी की रिलायंस डिफेंस के साथ एक संयुक्त उपक्रम है.

एक सूत्र ने कहा, ‘ऐसे कुल पांच हैंगर स्थापित करने का विचार है. दसॉल्ट एविएशन पहले से ही भारत में इंजन डोर और कैनोपी का निर्माण और खरीद कर रही है. विचार यह है कि इसे समय के साथ आगे बढ़ाया जाए.’

11 जून 2019 को दिप्रिंट ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि दसॉल्ट एविएशन राफेल के पुर्जों का निर्माण अपनी भारत स्थित फैसिलिटी में शुरू कर सकती है, हालांकि यह मूल योजनाओं का हिस्सा नहीं था.

दसाल्ट रिलायंस एयरोस्पेस लिमिटेड (डीआरएएल) की नागपुर फैसिलिटी ने अन्य कलपुर्जों के अलावा फ्रांसीसी निर्माता के फाल्कन बिजनेस जेट के लिए कॉकपिट बनाना शुरू किया है. अंततः फाल्कन 2000 को पूरी तरह से भारत में बनाने का भी विचार है.

बड़ी संख्या में ऑर्डर की जरूरत

सूत्रों ने कहा कि दसॉल्ट एविएशन को भारत में राफेल उत्पादन सुविधा शुरू करने के लिए लगभग 100 विमानों का ऑर्डर मिलने की जरूरत पड़ेगी. फ्रांसीसी फर्म के मुख्य कार्यकारी ने 2019 में एयरो इंडिया शो के दौरान भी यही कहा था.

एक सूत्र ने कहा, ‘अगर ऐसा होता है, तो दसॉल्ट एविएशन के पास दो जगह उत्पादन की क्षमता होगी, एक फ्रांस में और दूसरी भारत में. भारतीय संयंत्र अन्य देशों के लिए भी राफेल का उत्पादन करेगा.’ साथ ही इस बात को रेखांकित किया कि ग्रीस, मलेशिया, इंडोनेशिया और स्विट्जरलैंड से इसके लिए ऑर्डर मिलने की तैयारी है.

यह पूछे जाने पर कि अगर फ्रांसीसी सरकार को मिले ऑर्डर की संख्या कम ही रहती है तो भी क्या मेक इन इंडिया के लिए कोई संभावना है, सूत्रों ने कहा कि यह संभव नहीं होगा. लेकिन फ्रांसीसी फर्म भारत से कुछ पार्ट का निर्माण बढ़ाएगी.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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