scorecardresearch
Thursday, 19 December, 2024
होमराजनीति‘सीता-रूबिया वाली टिप्पणी, गरबा में कोई मुस्लिम नहीं—मध्यप्रदेश के प्रोटेम स्पीकर हर दिन एक विवाद खड़ा कर रहे

‘सीता-रूबिया वाली टिप्पणी, गरबा में कोई मुस्लिम नहीं—मध्यप्रदेश के प्रोटेम स्पीकर हर दिन एक विवाद खड़ा कर रहे

बाबरी मस्जिद ढहाने पहुंची भीड़ में शामिल रहे रामेश्वर शर्मा को भड़काऊ बयान देने के लिए जाना जाता है—चाहे वह ‘लव जिहाद’ को लेकर हो या फिर मध्य प्रदेश में हालिया सांप्रदायिक तनाव की वजह बनने वाली टिप्पणियां.

Text Size:

भोपाल: आज ऐसे बहुत से सांसद-विधायक हैं जो ये स्वीकारते है कि वे 1992 में बाबरी मस्जिद को ध्वस्त करने वाली भीड़ का हिस्सा थे, और इसे अपने जीवन का ‘आत्मसंतुष्टि वाला क्षण’ बताकर गौरवान्वित भी होते हैं.

लेकिन भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा, जो मध्यप्रदेश विधानसभा के प्रोटेम स्पीकर हैं, अपनी कट्टर हिन्दुत्ववादी विचारधारा को खुलेआम जाहिर करने से कभी नहीं चूकते हैं.

यह तथाकथित ‘लव जिहाद’ का मुद्दा हो या मध्यप्रदेश में राम मंदिर के लिए चंदा जुटाने के लिए जारी अभियान के दौरान भड़का सांप्रदायिक तनाव, भारत में अब तक सबसे लंबे समय तक प्रोटेम स्पीकर रहने वाले शर्मा अपने भड़काऊ बयानों से बाज नहीं आते हैं.

यदि उनका वश चल पाए तो वह तो नवरात्रि के दौरान होने वाले गरबा नृत्य में मुस्लिमों को कतई हिस्सा न लेने दें.

अभी पिछले महीने जब राज्य के शिवराज सिंह चौहान मंत्रिमंडल ने धार्मिक स्वतंत्रता संबंधी बिल, 2020—जो अवैध धर्मांतरण के खिलाफ एक अध्यादेश है—को मंजूरी दी, उन्होंने ट्वीट करके कहा, ‘लव जिहाद किया तो अब होगा सर्वनाश.’

लव जिहाद को अक्सर हिन्दुत्ववादी खेमों की तरफ से कथित साजिश के तौर पर प्रचारित किया जाता है. तर्क दिया जाता है कि मुस्लिम समुदाय कथित तौर पर एक साजिश के तहत हिंदू समुदाय की लड़कियों को प्यार का झांसा देकर जबरन उनका धर्मपरिवर्तन कराता है.

पिछले हफ्ते, राम मंदिर के लिए चंदा जुटाने के उद्देश्य से आयोजित रैलियों पर पथराव होने के आरोपों के बाद मुख्यमंत्री की तरफ से पत्थरबाजी को लेकर कानून बनाने की जरूरत बताए जाने का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, ‘पथरबाजों कान खोलकर सुन लो, सीता को रुबिया बनाने वाले भी कान खोलकर सुन लो, अब ये धंधे बंद करो….बेटियों की सुरक्षा होगी, शांति से शोभायात्रा भी निकलेगी, इस पर हमला किया तो तुम्हारे मकान भी जमींदोज होंगे…और संपति भी राजसात होगी.’

उनकी टिप्पणियां अक्सर ही भाजपा को अजीब स्थिति में डाल देती हैं लेकिन शर्मा इसकी परवाह नहीं करते हैं. यह स्वीकारते हुए कि 2 जुलाई को प्रोटेम स्पीकर बनने के बाद से लोग उनका रवैया बदलने की अपेक्षा कर रहे हैं, दो बार के विधायक ने दिप्रिंट से कहा, ‘मैं हमेशा एक हार्ड-लाइनर रहा हूं. मेरा फंडा साफ है. हो सकता है कि लोगों का दृष्टिकोण बदल गया हो.’


यह भी पढ़ें: राम मंदिर निर्माण के लिए मकर संक्रांति से शुरू होगा संपर्क अभियान: चंपत राय


एक ‘चेतावनी’

शर्मा 1993 में भाजपा में शामिल हुए थे और दो कार्यकाल तक भोपाल नगर निगम में पार्षद रहे हैं. 2003 में वह मुस्लिम बहुल क्षेत्र भोपाल (उत्तर) से विधानसभा चुनाव हार गए थे.

भगवा धारण करके वह हर साल होशंगाबाद से भोपाल तक एक विशाल कांवड़ यात्रा की अगुआई करते हैं, जिसके बाद नर्मदा से लाए गए जल से भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है.

उनके बयानों को देखते हुए पिछले साल मध्य प्रदेश में भाजपा के फिर सत्ता में लौटने के बाद उन्हें प्रोटेम स्पीकर के पद की रेस में ही नहीं माना जा रहा था. हालांकि, पिछले प्रोटेम स्पीकर जगदीश देवडा के इस्तीफा देने और उन्हें चौहान मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने के बाद शर्मा ने जुलाई 2020 में यह पद संभाला.

छह महीने से अधिक समय बीत जाने के बाद भी वह अभी तक इस पद पर बने हुए हं क्योंकि अध्यक्ष पद के लिए अब तक चुनाव नहीं हुआ है. तब से दो विधानसभा सत्र बुलाए गए हैं, लेकिन कोविड-19 के कारण इसे टाल दिया गया.

शर्मा ने आरएसएस कार्यकर्ता के रूप में शुरुआत की थी और दिसंबर 1992 में बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के समय भोपाल में बजरंग दल के संयोजक थे.

उन्होंने दिप्रिंट से बात करते हुए कहा, ‘जब मैं भोपाल (विध्वंस के बाद) लौटा, तो मैंने उनसे (मुसलमानों से) कहा, हमला नहीं करें अन्यथा हम भी इसका जवाब देंगे.’

उन्होंने कहा था, ‘ढांचा वहां टूटा है आप यहां शांति रखो. यदि आप बदले में (ढांचा गिराने के विरोध में) आगजनी और हिंसा में शामिल होते हैं तो आप भी सुरक्षित नहीं होंगे.’

पिछले महीने वह विध्वंस की बरसी पर 6 दिसंबर को अयोध्या पहुंचे थे—जिसे हिंदूवादी कार्यकर्ताओं द्वारा शौर्य दिवस के रूप में मनाया जाता है. दो दिन बाद लखनऊ में उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की, जिसका उद्देश्य धर्मांतरण के खिलाफ राज्य सरकार के अध्यादेश की बारीकियों को समझना था.


य़ह भी पढ़ें: अयोध्या में राम मंदिर निर्माण तक उत्साह बनाए रखेगी वीएचपी, 4 लाख गांवों से जुटाएगी एक हजार करोड़ रुपये


‘मुसलमानों के खिलाफ नहीं’

गरबा में मुसलमानों पर प्रतिबंध का प्रस्ताव देने से लेकर एक ही दुकान में चिकन और गाय के दूध की बिक्री की अनुमति न देने, 2019 में दुर्गा मूर्तियों के आकार को लेकर भोपाल प्रशासन की तरफ से लगाई गई पाबंदियों का विरोध करने तक शर्मा का रुख अक्सर उनके बजरंग दल वाले दिनों की ही याद दिलाता है. विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के बैनर तले यह संगठन अक्सर ही वैलेंटाइन डे पर युवा जोड़ों को परेशान करने और कथित तौर पर धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाली फिल्मों के विरोध को लेकर सुर्खियों में रहता है.

अन्य विवादास्पद टिप्पणियां भी हैं. 2016 में उन्होंने कहा था कि सेना की सर्जिकल स्ट्राइक का सबूत मांगने वाले लोग ऐसे हैं जो किसी को ‘पिता मानने से पहले अपने माता-पिता की शादी की रात का वीडियो देखने’ पर जोर देते हैं.

दिप्रिंट से बातचीत में, उन्होंने कहा कि वह परिणामों से कभी नहीं डरते हैं. ‘अगर आप डरते हैं तब तो आप कभी कुछ नहीं कर पाएंगे. यहां तक कि भगत सिंह या खुदीराम बोस या अशफाकउल्ला खान को भी इस तरह के विचारों का सामना करना पड़ा होगा.’ साथ ही जोड़ा, ‘हमेशा ही कुछ लोग ऐसे होंगे जो आपसे असहमत होंगे.’

उन्होंने कहा, ‘मैं अब भी गरबा में मुसलमानों की भागीदारी के खिलाफ अपने रुख पर कायम हूं. यह एक धार्मिक आयोजन है और इसमें केवल उन लोगों को ही शामिल होना चाहिए जिनकी (हिंदू धर्म में) आस्था हो. अगर उन्हें अनुमति दी गई तो क्या वे हिंदू धर्म अपना लेंगे? नहीं, तो फिर उन्हें क्यों आने देना चाहिए?’

धर्मांतरण विरोधी कानून पर उन्होंने कहा, ‘मुस्लिम महिलाओं को भी इससे मदद मिलेगी क्योंकि उनके माता-पिता को भी ऐसी शादियों के बारे में पता चल सकेगा (यदि वह किसी हिंदू से शादी करके धर्म बदलना चाहती होंगी.)’

मध्यप्रदेश में राम मंदिर निर्माण के लिए चंदा जुटाने के अभियान के दौरान भड़के तनाव पर उन्होंने मस्जिदों में तोड़फोड़ की घटनाओं को यह कहते हुए जायज ठहराने की कोशिश की कि यह पथराव की प्रतिक्रिया थी.

उन्होंने कहा, ‘संविधान या कुरान में कहां लिखा है कि मस्जिदों के आसपास की सड़कों से रैलियां नहीं निकल सकतीं? ये सब सरकारी सड़कें हैं, जिनका स्वामित्व मस्जिद समितियों के पास नहीं है. यदि आप नियमों का पालन नहीं करते हैं, तो दूसरों से इनके पालन की उम्मीद कैसे करते हैं?’

साथ ही जोड़ा, ‘इस तरह का काम न करें जो किसी प्रतिक्रिया को न्योता दे. इस तरह की प्रतिक्रियाएं रोकने के लिए कानून बनाए जा रहे हैं.’

शर्मा के अनुसार, वह मुसलमानों के खिलाफ नहीं हैं लेकिन जो एक निश्चित तरीके से इस्लाम को मानते हैं. उन्होंने कहा, ‘ऐसा क्यों है कि शांति और सद्भाव की बात करने वाला एक धर्म बमों से जुड़ा हुआ है? कश्मीर में मुसलमानों के हाथों मुसलमान मारे जा रहे हैं.’

उन्होंने आगे कहा, ‘ मैं जानता हूं कि मेरे निर्वाचन क्षेत्र के 27,000 मुस्लिम मतदाता मुझे वोट नहीं देंगे, लेकिन मैं उन क्षेत्रों के विकास को नहीं रोकता, जहां वे रहते हैं.’

2018 के मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में उनके कांग्रेसी प्रतिद्वंद्वी रहे नरेश ज्ञानचंदानी ने शर्मा की टिप्पणियों को जानबूझकर ‘डिजाइन’ किया हुआ बताया.

उन्होंने 16,000 से कम मतों के अंतर से उन्हें हराने वाले शर्मा के बारे में कहा, ‘वे इस उम्मीद में सबका ध्यान खींचना चाहते हैं कि मंत्री पद मिल जाएगा.’ साथ ही जोड़ा, ‘आप चाहें तो प्यार से वोट मांग सकते हैं या फिर डरा-धमकाकर. उन्हें दूसरा विकल्प पसंद है.’

अध्यक्ष पद के लिए जब भी चुनाव होगा शर्मा का नाम संभावित दावेदारों में शामिल है. लेकिन उनके रुख में बदलाव की कोई गुंजाइश नजर नहीं आती है. उन्होंने कहा, ‘चाहे मंत्री बनूं या स्पीकर मैं खुलकर अपनी बात कहता रहूंगा.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


य़ह भी पढ़ें: बजरंग दल- जिसपर UP के अवैध धर्मांतरण संबंधी कानून को अपने हाथ में लेने के लगे आरोप


 

share & View comments