नई दिल्ली: इज़राइली रक्षा कंपनी स्मार्ट शूटर, जिनका आधुनिक फायर-कंट्रोल सिस्टम, असॉल्ट रायफलों को स्मार्ट हथियारों में बदल देता है, भारत में एक मैन्युफैक्चरिंग प्लांट स्थापित करने की सोच रही है और उसकी नज़र उस सौदे के अलावा और समझौतों पर है, जो उसने पहले ही भारतीय नौसेना से कर लिया है.
पिछले महीने नौसेना ने एक अनिर्दिष्ट संख्या में, ‘स्मैश 2000 प्लस’ सिस्टम्स का ऑर्डर दिया था, जिन्हें कुछ अन्य देशों के अलावा, इज़राइली और अमेरिकी विशेष बल, पहले से ही इस्तेमाल कर रहे हैं. सेना और सीमा सुरक्षा बल ड्रोन-विरोधी ऑपरेशंस के लिए, इसका मूल्यांकन कर रहे हैं. इस सिस्टम के अंदर निशाना लगाने का एक एल्गॉरिथम होता है, जो पहली बार में ही ड्रोन समेत, एक साथ कई निशानों का पता लगाकर, उन्हें हिट कर सकता है.
स्मार्ट शूटर के वाइस-प्रेसीडेंट (बिज़नेस डेवलपमेंट) एब्रहम मैज़र ने दिप्रिंट को बताया, ‘हमें अपने रक्षा मंत्रालय से अनुमति मिल गई है और हम भारत के साथ सहयोग करने के इच्छुक हैं’.
वाइस-प्रेसीडेंट (रिसर्च एंड डेवलपमेंट) शैरोन एलोनी, ने ये भी कहा कि फिलहाल स्मार्ट शूटर अपनी तमाम रिसर्च, मार्केटिंग और उत्पादन, इज़राइल स्थित अपनी इकाई से करती है लेकिन कंपनी इस सिस्टम को कुछ और जगहों पर बनाने की भी सोच रही है और उनमें से एक विकल्प भारत है.
दिप्रिंट को दिए एक बयान में कंपनी ने कहा कि ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के तहत, वो भारत की सभी ज़रूरतों और नियमों का पालन करने के लिए प्रतिबद्ध है.
मैज़र ने ज़ोर देकर कहा कि स्मार्ट शूटर, सिस्टम की तमाम बौद्धिक संपदा और तकनीकी जानकारी की मालिक है और इसलिए उसे भारत में स्थानांतरित करने में कोई दिक्कत नहीं आएगी.
उन्होंने कहा, ‘ये सब संख्या पर निर्भर करता है, हम जो निवेश करने जा रहे हैं उसे संख्या ही उचित ठहराएगी’.
नौसेना के ऑर्डर के लिए, कंपनी ने भारत की एक रक्षा कंपनी डेफसिस के साथ समझौता किया है, जो सिस्टम्स की देखरेख का काम करेगी.
मैज़र ने कहा, ‘हमने एक स्थानीय कंपनी के साथ सहयोग किया है. हम साथ मिलकर योजना बना रहे हैं कि इसे भारत में कैसे बनाएंगे’.
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क्या है स्मैश 2000 प्लस?
मैज़र ने कहा कि आधुनिक लड़ाई का मैदान, अब ज़्यादा जटिल हो रहा है लेकिन स्मैश सिस्टम के साथ सैनिक को सिर्फ ये तय करना होता है कि उसे किसको शूट करना है.
एलोनी ने कहा कि इस सिस्टम को किसी भी असॉल्ट रायफल पर फिट किया जा सकता है और अधिकतर मामलों में, इसमें किसी बदलाव की ज़रूरत नहीं पड़ती. उन्होंने कहा कि ये सिस्टम ‘एक शॉट, एक हिट’ या फर्स्ट-राउंड हिट पर फोकस करता है.
एलोनी ने कहा, ‘सिस्टम यूज़र को बताता है कि कब शूट करना है’. उन्होंने ये भी कहा कि कंपनी ने पहले ज़मीनी निशानों पर काम किया और फिर उसके बाद ड्रोन्स जैसे हवाई निशानों पर काम किया.
मैज़र ने कहा कि दुनियाभर में हथियारों को अचूक बनाने के पीछे रिसर्च एवं विकास का बहुत काम हुआ है लेकिन असॉल्ट रायफल्स को लेकर कुछ ज़्यादा काम नहीं हुआ है जिन्हें एक अच्छे निशाने के लिए अभी भी बर्स्ट में फायर करना पड़ता है.
उन्होंने कहा, ‘स्मैश 2000 इस चीज़ को बदल देगा कि लड़ाई में सैनिक किस तरह काम करते हैं’.
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