scorecardresearch
Friday, 22 November, 2024
होमदेशमोदी सरकार के बातचीत के प्रस्ताव को किसानों ने किया स्वीकार, 29 दिसंबर को बैठक के लिए तैयार

मोदी सरकार के बातचीत के प्रस्ताव को किसानों ने किया स्वीकार, 29 दिसंबर को बैठक के लिए तैयार

मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए संयुक्त किसान मोर्चा ने अपनी चिट्ठी में लिखा कि हमें अफसोस है कि सरकार ने पिछली बैठकों के तथ्यों को छिपाकर जनता को गुमराह करने की कोशिश की है.

Text Size:

नई दिल्ली: दिल्ली से सटे सीमा पर महीने भर से ज्यादा से मोदी सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसान सरकार से बातचीत करने को तैयार हो गए हैं. संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि सभी किसान संगठनों से बातचीत कर ये प्रस्ताव रखा गया है कि किसानों के प्रतिनिधियों और भारत सरकार के बीच अगली बैठक 29 दिसंबर 2020 को सुबह 11 बजे आयोजित की जाए.

किसान संगठनों और मोदी सरकार के बीच अब तक औपचारिक तौर पर छह दौर की वार्ता हो चुकी है लेकिन कोई भी नतीजा नहीं निकल सका है. कुछ दिनों पहले सरकार ने फिर से किसानों को अपनी मांगों के साथ बैठक करने का प्रस्ताव रखा था. इसी प्रस्ताव पर संयुक्त मोर्चा की बैठक में सरकार से बातचीत करने पर आम राय बनी है.

घंटों चली बैठक के बाद 40 किसान संगठन ने ये फैसला लिया.

स्वराज इंडिया के प्रमुख योगेंद्र यादव ने संयुक्त मोर्चा की बैठक के एजेंडा के बारे में कहा, ‘बैठक का एजेंडा ये हो और इस क्रम में हो- तीन कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए अपनाई जाने वाली क्रियाविधि, सभी किसानों और कृषि वस्तुओं के लिए स्वामीनाथन कमीशन द्वारा सुझाए लाभदायक एमएसपी पर खरीद की कानूनी गांरटी देने की प्रक्रिया और प्रावधान.’

उन्होंने कहा, ‘राष्ट्रीय राजधानी और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग अध्यादेश 2020 में ऐसे संशोधन जो अध्यादेश के दंड प्रावधानों से किसानों को बाहर करने के लिए जरूरी हैं, किसानों के हितों की रक्षा के लिए विद्युत संशोधन विधेयक 2020 के मसौदे में जरूरी बदलाव किए जाएं.’

क्रांतिकारी किसान संघ के अध्यक्ष दर्शन पाल ने कहा कि पंजाब और हरियाणा के सभी टोल प्लाजा खुले रहेंगे.

उन्होंने कहा, ’30 दिसंबर को हम सिंघु बॉर्डर से ट्रेक्टर मार्च निकालेंगे.’

कृषि कानूनों के विरोध में किसानों ने भारत बंद भी किया है और 23 दिसंबर को किसान दिवस के दिन भी रिले भूख हड़ताल कर अपना विरोध जताया है. किसान संगठनों के नेताओं का कहना है कि जब तक सरकार कृषि कानूनों को रद्द नहीं करती वो प्रदर्शन खत्म नहीं करने वाले हैं.

शुक्रवार को प्रधानमंत्री मोदी ने भी किसानों से वर्चुअल संबोधन में कहा था कि सरकार हर मुद्दे पर बातचीत को तैयार है.


यह भी पढ़ें: विदेश नीति के हितों को ध्यान में रखते हुए AMU में मुसलमानों को लेकर मोदी का रवैया भाजपा की राजनीति से अलग दिखा


‘सरकार ने जनता को गुमराह करने की कोशिश की’

केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए संयुक्त किसान मोर्चा ने अपनी चिट्ठी में लिखा कि हमें अफसोस है कि सरकार ने पिछली बैठकों के तथ्यों को छिपाकर जनता को गुमराह करने की कोशिश की है.

मोर्चा की तरफ से लिखी चिट्ठी में कहा गया, ‘हमने हर वार्ता में हमेशा तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग की. सरकार ने इसे तोड़ मरोड़ कर ऐसे पेश किया मानो हमने इन कानूनों में संशोधनों की मांग की थी.’

संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा, ‘हम फिर दोहराना चाहते हैं कि किसान संगठन खुले मन से वार्ता करने के लिए हमेशा तैयार है और रहेंगे.’

बीते एक महीने से भी ज्यादा से किसान दिल्ली के सीमाई इलाकों पर प्रदर्शन कर रहे हैं. किसानों ने सिंघु, टिकरी, गाजीपुर बॉर्डर को प्रदर्शन स्थल बनाया हुआ है. देशभर के किसान लगातार इस आंदोलन से जुड़ रहे हैं.


यह भी पढ़ें: योगा चटाई, BBQ ग्रिल्स- 2020 में दिल्ली के लोगों ने मास्क के अलावा क्या खरीदा


 

share & View comments