नई दिल्ली: टिकरी सीमा पर किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान हिरासत में लिए गए कार्यकर्ता उमर खालिद और शरजील इमाम के पोस्टर दिखाई देने के एक दिन बाद कई यूनियनों ने दोहराया है कि आंदोलन केवल किसानों की मांगों पर केंद्रित है,
बुधवार को, भारतीय किसान यूनियन एकता (उग्राहां) के किसानों के एक वर्ग ने ख़ालिद, इमाम, सुधा भारद्वाज और गौतम नवलखा जैसे हिरासत में लिए गए कई कार्यकर्ताओं के पोस्टर लगाकर अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस मनाया. इन किसानों की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई, जिसके बाद कुछ लोगों ने कहा कि किसानों का आंदोलन ‘हाइजैक’ हो चुका है.
एक संबोधन में, बीकेयू एकता के प्रदेश अध्यक्ष जोगिंदर सिंह उग्राहां ने मांग की कि सभी सामाजिक कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों को, जो इस समय जेल में हैं, रिहा किया जाना चाहिए.
हालांकि, अन्य किसान यूनियनों के प्रतिनिधियों ने दिप्रिंट को बताया कि विरोध तीन कृषि बिलों पर केंद्रित होना चाहिए, और पोस्टर का आंदोलन से कोई लेना-देना नहीं था.
किसान नेता गुरनाम सिंह चढुनी ने दिप्रिंट को बताया, ‘यह किसी भी संगठन या नेता के लिए एक व्यक्तिगत मुद्दा हो सकता है, लेकिन यह हमारे आंदोलन की मांग नहीं है और इसे पूरे किसान आंदोलन से नहीं जोड़ा जाना चाहिए.’
उन्होंने कहा कि किसान नेताओं की समिति की बैठक में ऐसी कोई मांग प्रस्तावित या पारित नहीं की गई. ‘अगर एक संगठन अपनी क्षमता में कुछ करता है, तो उसे पूरे आंदोलन के साथ नहीं जोड़ा जाना चाहिए.’
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‘व्यक्तिगत मांगों पर टिप्पणी नहीं कर सकते’
संयुक्त किसान मोर्चा के प्रवक्ता अभिमन्यु कोहाड़ के अनुसार यह आंदोलन मुख्य रूप से किसानों के मुद्दों पर केंद्रित है और वे व्यक्तियों और विशेष समूहों द्वारा की जा रही मांगों पर टिप्पणी नहीं कर सकते हैं.
कोहाड़ ने दिप्रिंट से कहा, ‘हमारी केवल चार मांगें हैं: कृषि बिलों को वापस लिया जाना चाहिए, एमएसपी की गारंटी को लागू किया जाना चाहिए, प्रस्तावित बिजली संशोधन विधेयक 2020 को रद्द किया जाना चाहिए और पराली जलाने को रोकने के नाम पर किसानों का शोषण समाप्त होना चाहिए. सभी किसान जो दिल्ली में विरोध करने के लिए आए हैं, उनकी केवल मुद्दों से संबंधित मांगें हैं.’
This image is not from Shaheen Bagh.
This image is from on going farmers' protest where now the demand is to release the accused of Delhi riots and also the accused for alleged links with Naxals related to Bhima Koregaon violence. pic.twitter.com/bPfGV4cN4g
— Anshul Saxena (@AskAnshul) December 10, 2020
कई यूनियन नेताओं ने भी किसानों के मंच के ‘दुरुपयोग’ की निंदा की.
राष्ट्रीय किसान महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष अक्षय नरवाल ने कहा, ‘किसानों का उमर खालिद या किसी और से कोई लेना-देना नहीं है. कभी-कभी निर्दोष किसानों को पोस्टर सौंप दिए जाते हैं और उन्हें इसका एहसास भी नहीं होता है कि इसका क्या मतलब है. किसे गिरफ्तार किया जाना है या किसे छोड़ा जाना है, इससे हमारा और हमारे आन्दोलन का कोई लेना-देना नहीं है.’
वहीं कुछ का मानना था कि यह सरकार द्वारा आन्दोलन के मुख्य मुद्दों से ध्यान हटाने की एक चाल है.
भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के महासचिव युधवीर सिंह सेहरावत ने दिप्रिंट को बताया, ‘हम अलगाववादी या देशद्रोही नहीं हैं. यह किसानों के वास्तविक मुद्दों से ध्यान हटाने का एक और प्रयास है. यह एक ऐसा माहौल बनाना है जहां किसान एक-दूसरे के खिलाफ हो जाएं. लेकिन हम ऐसी हरकतों का समर्थन नहीं करते हैं.’
खाप प्रतिनिधि धर्मेन्द्र सांगवान ने कहा भी कहां की हरियाणा से आए खापों के सभी सदस्य इसका समर्थन नहीं करते हैं. ‘हम किसी भी राष्ट्र-विरोधी का समर्थन नहीं करते हैं और यहां केवल किसानों से संबंधित मुद्दों को उठाने के लिए हैं, हम किसी अन्य मुद्दों के लिए दिल्ली नहीं आए.’
कांग्रेस नेता भूपेंद्र चौधरी, जो भारतीय किसान यूनियन हरियाणा के सदस्य भी हैं, ने कहा कि वे बुधवार को हुई पोस्टर वाली घटना का समर्थन नहीं करते हैं.
उन्होंने कहा, ‘जो लोग हमें राष्ट्र-विरोधी कह रहे हैं, उन्हें पता होना चाहिए कि हरियाणा का हर दसवां जवान रक्षा या अर्धसैनिक बलों में है. यह आंदोलन पूरी तरह से किसानों के लिए समर्पित है.’
सामाजिक कार्यकर्ताओं के रिहाई की मांग
हालांकि, कथित तौर पर विवादास्पद कार्यक्रम का आयोजन करने वाले भारतीय किसान यूनियन एकता के महासचिव सुखदेव सिंह ने कहा कि इन कार्यकर्ताओं को रिहा करने की मांग नवंबर में कई किसान संगठनों द्वारा सरकार के साथ आधिकारिक संचार का हिस्सा थी.
सिंह के अनुसार, 13 नवंबर को, 30 किसान संगठनों ने छह मांगों के साथ कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को लिखा था – जिनमें से एक किसान नेताओं, बुद्धिजीवियों, कवियों, वकीलों, लेखकों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के खिलाफ मामलों की वापसी थी, और झूठे मामलों में जेल जाने वालों की रिहाई की बात की गयी थी .
सिंह ने दावा किया कि पत्र पर भारतीय किसान यूनियन के प्रमुख किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने हस्ताक्षर किए थे. दिप्रिंट ने पुष्टि के लिए फोन कॉल के माध्यम से बलबीर सिंह राजेवाल तक पहुंचने की कोशिश की, लेकिन इस खबर के छपने तक उनसे कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है.
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