नई दिल्ली: साल की शुरू में नरेंद्र मोदी सरकार की तरफ से पारित तीन नए विवादास्पद कृषि कानूनों को लेकर बड़े पैमाने पर किसान यूनियनों के विरोध-प्रदर्शनों का सामना कर रही सत्तारूढ़ भाजपा ने हालात पर काबू पाने की दिशा में ठोस पहल करने और जागरूकता फैलाने का फैसला किया है.
कानूनों के संसद में पारित होने और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हस्ताक्षर होने से पहले ही पंजाब में इसे लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया था और अब तो यह हफ्तों से आंदोलनकारी किसानों के राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डालने में तब्दील हो चुका है.
भाजपा सूत्रों के मुताबिक पार्टी मौजूदा विरोध-प्रदर्शनों के कारण अपने खिलाफ बन रही ‘किसान विरोधी’ छवि को लेकर चिंतित है और इसे ‘सुधारने’ के लिए ऐसे उपायों का सहारा ले रही है.
अपना नाम उजागर न करने की शर्त पर भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘सीएए के बाद यह दूसरी मौका है जब सरकार को इस तरह के प्रदर्शनों का सामना करना पड़ रहा है, और उसने यह सुनिश्चित करने के लिए कुछ कदम भी उठाए हैं कि हालात नियंत्रण से बाहर न होने पाएं. प्रधानमंत्री मोदी और अन्य मंत्री कृषि कानूनों के लाभ गिना रहे हैं और आने वाले कुछ दिनों में यह काम और तेज होगा.’
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योजना
भाजपा किसानों को कानूनों के फायदों से अवगत कराने के लिए उनसे जुड़ने के कार्यक्रम शुरू कर रही है और इसके लिए 700 से अधिक प्रेस कांफ्रेंस आयोजित की जाएंगी. शुक्रवार 11 दिसंबर से इसकी शुरुआत भी हो गई है.
इसके बाद 14 से 16 दिसंबर के बीच देशभर में 100-150 प्रमुख स्थानों पर किसान सम्मेलन आयोजित करने की भी योजना बनाई जा रही है.
भाजपा किसान मोर्चा के अध्यक्ष राजकुमार चाहर ने दिप्रिंट को बताया कि ‘प्रमुख स्थानों’ में एपीएमसी मंडियां, डेयरी, और सहकारी समितियां शामिल की जाएंगी ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि यह संदेश अधिकतम किसानों तक पहुंचे.
चाहर ने कहा, ‘इसके अलावा, किसान मोर्चा एक जागरूकता अभियान भी चलाएगा. हम किसानों को तीनों कृषि कानूनों के प्रावधान अच्छी तरह समझाना चाहते हैं, क्योंकि अभी कुछ तत्व उन्हें गुमराह कर रहे हैं. हम एकदम खुले मन से किसानों के साथ चर्चा के लिए तैयार हैं और हमारी सरकार ने यह बात पहले ही स्पष्ट कर दी है.’
भाजपा के एक दूसरे वरिष्ठ नेता, जो नाम उजागर नहीं करना चाहते थे, ने कहा कि पार्टी नेताओं को जिला स्तर पर प्रेस कांफ्रेंस आयोजित करने और किसानों के बीच पैठ बनाने को कहा गया है.
उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री मोदी से लेकर कृषि मंत्री तक हर स्तर पर हमने स्पष्ट किया है कि ये सुधार किसानों के हित ध्यान में रखकर किए गए हैं. जैसा झूठ फैलाया जा रहा है, उसके विपरीत मौजूदा कानूनों से एमएसपी जैसा कुछ भी हटाया नहीं गया है. इसलिए विचार यह है कि कानूनों के बारे में जागरूकता फैलाई जाए और किसानों को बताया जाए कि उनके लिए वास्तव में इसका क्या मतलब है.
पार्टी विशेष रूप से ग्रामीण स्तर पर इन कार्यक्रमों का आयोजन करेगी. चाहर ने कहा, ‘हम पर्चे और पुस्तिकाएं बांटेंगे और साथ ही किसानों से सीधे जुड़ने के लिए ‘किसान चौपाल’ का आयोजन करेंगे.’
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Feku mandli kuch bhi kar le ye majority ke zor pe laya gaya raat k andhere main laya gaya kanoon hai aisa kanoon agar accha ho toh bhi jana hi chahiye agar demo dekhna hai toh
Demoneytisatation
GST
Lock down …. Sab failed only bol bacchan.
Kale chor pe bharosha kar lo but do maha thug or kamino pe kbhi Na karoon.