नई दिल्ली: केंद्रीय श्रमिक संगठनों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल के चलते केरल, पुडुच्चेरी, ओडिशा, असम और तेलंगाना में बृहस्पतिवार को पूर्ण बंदी रही. अन्य राज्यों में भी आम जनजीवन प्रभावित रहा.
श्रमिक संगठनों के दावों के अनुसार इस हड़ताल में करीब 25 करोड़ श्रमिक शामिल रहे.
कृषि और श्रम क्षेत्र में केंद्र के नए कानूनों और उसकी कुछ अन्य नीतियों के विरोध में 10 केंद्रीय श्रमिक संगठनों ने एक दिन की हड़ताल का आह्वान किया था. कर्मचारियों से जुड़े कई अन्य मुद्दे और विभिन्न मांगों को भी इसमें जोड़ा गया था.
कई अन्य स्वतंत्र श्रमिक संगठनों ने भी इस हड़ताल को अपना समर्थन दिया है.
श्रमिक संगठनों ने एक संयुक्त बयान में कहा, ‘केरल, पुडुच्चेरी, ओडिशा, असम और तेलंगाना में हड़ताल के दौरान पूर्ण बंद रहा. तमिलनाडु के 13 जिलों में पूर्ण बंद की स्थिति रही, जबकि अन्य जिलों में औद्योगिक हड़ताल जारी रही. पंजाब एवं हरियाणा में राज्य परिवहन निगम की बसों का भी चक्का जाम रहा.’
बयान के मुताबिक झारखंड और छत्तीसगढ़ में बाल्को समेत अन्य जगहों पर पूर्ण हड़ताल रही.
पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा में आम जनजीवन प्रभावित रहा. पश्चिम बंगाल में छिटपुट झड़पों की खबर है.
हड़ताल में भाग लेने वाले 10 केंद्रीय श्रमिक संगठन इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (इंटक), ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक), हिंद मजदूर सभा (एचएमएस), सेंटर ऑफ इंडिया ट्रेड यूनियंस (सीटू), ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर (एआईयूटीयूसी), ट्रेड यूनियन को-ऑर्डिनेशन सेंटर (टीयूसीसी), सेल्फ-एंप्यॉलयड वीमेंस एसोसिएशंस (सेवा), ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस (एआईसीसीटीयू), लेबर प्रोग्रेसिव फेडरेशन (एलपीएफ) और युनाइटेड ट्रेड यूनियन कांग्रेस (यूटीयूसी) हैं.
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से सम्बद्ध भारतीय मजदूर संघ को छोड़कर अन्य केंद्रीय श्रमिक संगठनों की हड़ताल में भागीदारी रही.
हिंद मजदूर सभा के महासचिव हरभजन सिंह सिद्धू ने पीटीआई-भाषा से कहा कि बृहस्पतिवार की राष्ट्रव्यापी हड़ताल में करीब 25 करोड़ श्रमिकों के शामिल होने का अनुमान है.
उन्होंने कहा कि रक्षा, रेलवे, कोयला श्रमिकों समेत अन्य निजी क्षेत्र के श्रमिक संगठनों का भी इस हड़ताल को समर्थन मिला है.
किसान संगठनों के संयुक्त मंच अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) ने भी इस आम हड़ताल को अपना समर्थन दिया है.
घरेलू सहायक, निर्माण श्रमिक, बीड़ी मजदूर, रेहड़ी-पटरी वालों, कृषि मजदूर, ग्रामीण और शहरी इलाकों में स्वरोजगार करने वालों ने भी ‘चक्का जाम’ में शामिल हुए.
कई राज्यों में ऑटोरिक्शा और टैक्सी ड्राइवर भी हड़ताल में शामिल रहे.