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Tuesday, 19 November, 2024
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51 वर्ष बाद हुआ बिहार विधानसभा के स्पीकर का चुनाव, NDA के विजय सिन्हा ने मारी बाजी

विधानसभा अध्यक्ष चुनाव में महागठबंधन प्रत्याशी अवध बिहारी चौधरी को 114 वोट पड़े जबकि एनडीए के प्रत्याशी विजय कुमार सिन्हा के पक्ष में 126 वोट पड़े. सिन्हा चौथी बार जीत कर विधानसभा पहुंचे हैं.

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नई दिल्ली/ पटना: भाजपा विधायक विजय कुमार सिन्हा भारी मतों से बिहार विधानसभा के अध्यक्ष निर्वाचित किए गए हैं. विधानसभा में भारी हंगामें के बाद पड़े मतों में विजय सिन्हा के पक्ष में 126 वोट पड़े जबकि महागठबंधन के उम्मीदवार अवध बिहारी चौधरी को 114 विधायकों ने ही समर्थन मिल सका. सिन्हा लखीसराय विधानसभा क्षेत्र से चौथी पर जीत कर विधानसभा पहुंचे हैं. महागठबंधन के उम्मीदवार अवध बिहारी चौधरी पांचवी वार विधानसभा पहुंचे हैं लेकिन अध्यक्ष पद के चुनाव में उन्हें हार मिली है.

सुबह से विधानसभा अध्यक्ष को लेकर चल रहे चुनाव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर भी काफी हंगामा हुआ. कहा गया कि नीतीश कुमार विधायक नहीं हैं इसलिए उन्हें सदन से बाहर भेजा जाना चाहिए. इस दौरान नेता विपक्ष और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने भी नीतीश कुमार की सदन में मौजूदगी को लेकर आपत्ति जताई. यही नहीं इस दौरान अशौक चौधरी और मुकेश सहनी की भी उपस्थिति पर आपत्ति जताई गई.

नीतीश के समर्थन में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके प्रोटेम स्पीकर जीतन राम मांझी ने कहा कि नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री है, इसलिए वह सदन में मौजूद रह सकते हैं. मांझी ने यह भी कहा,’ नीतीश कुमार स्पीकर पद के लिए हो रहे चुनाव में हिस्सा नहीं लेंगे लेकिन वह सदन में मौजूद रहेंगे. यहां यह बताना जरूरी है कि नीतीश कुमार विधानसभा के सदस्य नहीं हैं वह बिहार विधान परिषद के सदस्य हैं.

51 साल बाद एक से अधिक प्रत्याशी

बिहार विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव इसबार एतिहासिक बताया जा रहा है. बता दें कि 51 साल बाद इस पद के लिए एक से अधिक प्रत्याशी मैदान में है. आमतौर पर सत्तापक्ष के पास बहुमत होता था इसकी वजह से उसके प्रत्याशी को ही सर्वसम्मति से स्पीकर चुन लिया जाता रहा था.

बिहार विधानसभा अध्यक्ष पद के चुनाव में इतनी गहमा-गहमी 1969 में देखी गई थी तब सत्ता पक्ष में कांग्रेस पार्टी सबसे बड़ी के रूप में उभरी थी और हरिहर सिंह मुख्यमंत्री बने थे. तब सत्तापक्ष  ने रामनारायण मंडल को प्रत्याशी मनोनीत किया था.मतदान में राम नारायण मंडल को अध्यक्ष बनाये जाने के पक्ष में 155, जबकि विपक्ष में 149 वोट पड़े थे.


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विजय सिन्हा का करियर

विजय कुमार सिन्हा वर्ष 1980 में बाढ़ नगर में भाजपा से जुड़े और 1992 में पटना महानगर भाजपा के अधीन लोकनायक मंडल के अध्यक्ष बने.

वर्ष 2002 में भाजपा युवा मोर्चा के प्रदेश सचिव, 2004 में प्रदेश कार्यसमिति सदस्य बने और फिर पीछे मुड़ कर नहीं देखा. मार्च 2005 में पहली बार विधायक निर्वाचित हुए लेकिन अक्टूबर 2005 के चुनाव में 80 मतों से हार गए. साल 2010 में फिर जीत हासिल की, 2015 के बाद 2020 में भी वे लखीसराय से चुनाव जीते.

साल 2013 व 2015 में प्रदेश भाजपा प्रवक्ता सहित कई अहम सांगठनिक पदों पर भी रहे हैं.

साल 2017 में 29 जुलाई को एनडीए सरकार में श्रम संसाधन विभाग का मंत्री बनाए गए और बतौर मंत्री बेगूसराय के प्रभारी रहे.

कांटे की टक्कर दी अवध बिहारी ने

विधानसभा अध्यक्ष चुनाव में महागठबंधन प्रत्याशी अवध बिहारी चौधरी सीवान से पांचवी बार चुनकर सदन में पहुंचे हैं. वह विजय सिन्हा के लिए कड़ी चुनौती माने जा रहे थे. चौधरी ने पूर्व सांसद और भाजपा प्रत्याशी ओमप्रकाश यादव को हराया है. उन्होंने सबसे पहले 1985 में चंद्रशेखर की अध्यक्षता वाली जनता पार्टी से जीत हासिल की थी. वर्ष 1990 और 1995 में वे जनता दल के टिकट पर जीते और लालू सरकार में मंत्री भी बने. वर्ष 2000 में राजद प्रत्याशी के रूप में जीते.

1990 से 2005 तक लालू और राबड़ी सरकार में मंत्री रहे. वर्ष 2005 का चुनाव हारे और वर्ष 2014 में लोकसभा चुनाव से पूर्व वे जदयू में चले गए और 2017 में फिर राजद में वापसी की. तब उन्हें राजद के प्रदेश संसदीय बोर्ड का चेयरमैन बनाया गया. वे अभी भी इस पद पर हैं.

लालू बिहार में राजग विधायकों को मंत्री पद का प्रलोभन दे रहे हैं: सुशील मोदी

विधानसभा अध्यक्ष चुनाव के बीच भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने मंगलवार को आरोप लगाया कि राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद बिहार में नीतीश कुमार सरकार को अपदस्थ करने की कोशिश के तहत राजग विधायकों के दल बदल कराने का प्रयास कर रहे है. पूर्व उपमुख्यमंत्री ने ट्वीट के जरिए यह सनसनीखेज आरोप लगाया और एक मोबाइल नंबर साझा करते हुए दावा किया कि चारा घोटाले में सजा काट रहे होने के बावजूद प्रसाद इस नंबर से बात कर सकते हैं.

मोदी ने ट्वीट किया, ‘लालू राजग विधायकों को रांची से टेलीफोन कॉल कर रहे हैं और मंत्री पद का वादा कर रहे हैं.’

उन्होंने कहा, ‘मैंने जब फोन किया तो सीधे लालू ने फोन उठाया. मैंने कहा कि जेल से इस प्रकार के गंदे खेल मत खेलिए, आपको सफलता नहीं मिलेगी.’

(भाषा के इनपुट्स के साथ)


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