नई दिल्ली: मोदी सरकार 65,000 करोड़ रुपए के अतिरिक्त आवंटन का, जो उसने आत्मनिर्भर 3.0 पैकेज में फर्टिलाइज़र सब्सीडी के लिए रखा था, तक़रीबन तीन-चौथाई हिस्सा फर्टिलाइज़र कंपनियों की बरसों से लंबित बक़ाया राशि का, भुगतान करने में ख़र्च कर सकती है.
एक अनुमान के मुताबिक़ ये बक़ाया राशि लगभग 49,000 करोड़ रुपए है. बाक़ी रक़म का इस्तेमाल चालू वित्त वर्ष की, अतिरिक्त आवश्यकताओं को पूरा करने में किया जाएगा.
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, कि कंपनियों की बक़ाया रक़म का भुगतान करने से, कंपनियों और किसानों दोनों का फायदा होगा, चूंकि किसानों को अपनी बढ़ी हुई ज़रूरतें पूरी करने के लिए, फर्टिलाइज़र निश्चित रूप से मिल जाएगा.
उन्होंने आगे कहा कि अतिरिक्त आवंटन का इस्तेमाल, पिछले बक़ाया का भुगतान करने, और चालू वित्त वर्ष की बढ़ी हुई ज़रूरतों को पूरा करने में किया जाएगा.
सरकारी सूत्रों के अनुसार, बजट में फर्टिलाइज़र सब्सीडी के लिए, उस वित्त वर्ष के लिए जितनी ज़रूरत होती है, आमतौर पर उससे 10,000 करोड़ से 15,000 करोड़ रुपए तक, कम आवंटित किए जाते हैं.
पिछले कुछ वर्षों में, बजट आवंटन को देखने पर पता चलता है, कि बजट में फर्टिलाइज़र सब्सीडी आवंटन, 70,000 करोड़ रुपए से 80,000 करोड़ रुपए के बीच रहा है, जबकि आवश्यकता 80,000 करोड़ से 90,000 के बीच रही है.
इसका मतलब है कि साल दर साल, बक़ाया राशि के कुछ हिस्से का भुगतान नहीं हुआ, और वो अगले साल के लिए टलती रही.
1 अप्रैल 2020 को ये बक़ाया राशि 49,000 करोड़ रुपए थी, जबकि 1 अप्रैल 2019 को ये लगभग 34,000 करोड़ रुपए थी. अतिरिक्त आवंटन का मतलब है कि 1 अप्रैल 2021 को ये राशि, शून्य या बहुत मामूली रह जाएगी, जिससे सरकार अगला वित्त वर्ष नए सिरे से शुरू कर सकती है.
सरकारी अधिकारी ने आगे कहा, ‘अगर फर्टिलाइज़र सब्सीडी का समय पर भुगतान नहीं होता, तो किसानों के लिए फर्टिलाइज़र्स की उपलब्धता पर इसका असर पड़ता है’. उनका कहना था, ‘सब्सीडी के भुगतान में पांच-छह महीने की देरी, कंपनियों के लिए कार्यशील पूंजी की समस्या पैदा कर सकती है, जिससे उन्हें मजबूरन उधार लेना पड़ सकता है’.
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सब्सीडी से होगी 14 करोड़ किसानों की सहायता
फर्टिलाइज़र कंपनियों द्वारा लाभार्थियों को होने वाली वास्तविक बिक्री के आधार पर ही, उन्हें सरकार की ओर से भुगतान किया जाता है. उत्पादन की वास्तविक लागत, और सरकार द्वारा निर्धारित अधिकतम फुटकर मूल्य के अंतर से ही सब्सीडी निर्धारित होती है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले हफ्ते घोषणा की थी, कि सरकार चालू वित्त वर्ष में फर्टिलाइज़र सब्सीडी के लिए, 65,000 करोड़ रुपए की अतिरिक्त राशि मुहैया कराएगी. ये राशि सरकार के 71,309 करोड़ रुपए के शुरूआती आवंटन के अतिरिक्त होगी, जिससे फर्टिलाइज़र सब्सीडी का कुल आवंटन, 1.36 लाख करोड़ रुपए से अधिक हो जाएगा.
घोषणा के दौरान सरकार ने कहा था, कि चालू वित्त वर्ष में फर्टिलाइज़र्स का इस्तेमाल, 17.8 प्रतिशत बढ़कर 673 लाख मीट्रिक टन हो गया, जो 2019-20 में 571 लाख मीट्रिक टन था. इसका कारण अनुकूल मॉनसून और उसके नतीजे में बोए हुए क्षेत्र में इज़ाफा था.
आत्म निर्भर पैकेज पेश करते हुए, सरकार ने अपने प्रेज़ेंटेशन में कहा था, ‘सस्ती दरों पर फर्टिलाइज़र्स की सप्लाई बढ़ने से, 14 करोड़ किसानों को फायदा पहुंचेगा. 65,000 करोड़ रुपए अतिरिक्त मुहैया कराए जा रहे हैं, ताकि आने वाली फसल के मौसम में, किसानों को समय से फर्टिलाइज़र्स की सप्लाई सुनिश्चित की जा सके’.
इंडस्ट्री ने क़दम का स्वागत किया
फसल पैटर्न्स में बदलाव से भी फर्टिलाइज़र्स का इस्तेमाल बढ़ा है, चूंकि कुछ किसान अब धान जैसी फसलों पर शिफ्ट हो गए हैं, जिनमें ज़्यादा फर्टिलाइज़र लगता है.
अतिरिक्त आवंटन के लिए, सरकार को संसद की मंज़ूरी लेनी होगी, और इसे अनुदानों की अगली अनुपूरक मांग में शामिल किया जाएगा.
इंडस्ट्री ने अतिरिक्त आवंटन का स्वागत किया है.
फर्टिलाइज़र एसोसिएशन ऑफ इंडिया के महानिदेशक सतीश चंदर ने कहा, ‘हम सरकार के भारी हैं. इससे किसानों को फर्टिलाइज़र्स की बाधारहित सप्लाई करने में सहायता मिलेगी. इससे फर्टिलाइज़र कंपनियों की बक़ाया राशि भी अदा हो जाएगी. अगले साल हम नए सिरे से शुरू करेंगे’.
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