नई दिल्ली: पिछले हफ्ते यूपी उपचुनावों में मिली हार से विचलित न होते हुए कांग्रेस नेताओं का कहना है कि पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव अकेले अपने दम पर लड़ेगी और किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं बनेगी.
दस नवंबर को सूबे की जिन सात सीटों पर उपचुनाव हुए उनमें से कांग्रेस छह पर लड़ी लेकिन एक भी सीट नहीं जीत पाई. चार सीटों पर तो उसकी ज़मानत भी ज़ब्त हो गई. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) छह सीटों पर विजयी रही, जबकि एक सीट- मल्हानी- समाजवादी पार्टी (एसपी) की झोली में गई.
बाद में उसी हफ्ते, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और एसपी प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि 2022 के प्रदेश चुनावों के लिए, छोटे दलों के साथ गठबंधन के लिए उनके दरवाज़े खुले हैं. लेकिन बड़ी पार्टियों के साथ हाथ मिलाने की संभावना नहीं है.
यादव ने एक प्रेस वार्ता में कहा, ‘छोटी पार्टियों के साथ समायोजन किया जाएगा, लेकिन बड़े दलों के साथ कोई गठबंधन नहीं होगा. उन्होंने खुलकर किसी पार्टी का नाम नहीं लिया, लेकिन उनके बयान को कांग्रेस और मायावती की अगुवाई वाली, बहुजन समाज पार्टी की ओर इशारा माना जा रहा है.’
लेकिन, यूपी में कांग्रेस के कई पदाधिकारियों ने कहा कि यादव के बयान से कोई फर्क़ नहीं पड़ेगा, चूंकि पार्टी पहले ही तय कर चुकी है, कि विधान सभा चुनावों में वो अकेले उतरेगी.
‘हम लड़ाई में टक्कर दे रहे हैं’
उप-चुनावों के प्रदर्शन पर बात करते हुए, यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा कि पार्टी को भले ही कोई सीट न मिली हो, लेकिन उसका वोट शेयर बढ़ा है.
लल्लू ने दिप्रिंट को बताया, ‘हम दो सीटों पर दूसरे नंबर पर रहे, जहां बीएसपी तीसरे स्थान पर रही. इसलिए हम टक्कर दे रहे हैं, और विधानसभा चुनावों में हम इसमें और सुधार करेंगे.’
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पार्टी ने जिन छह सीटों पर चुनाव लड़ा, उनमें से दो- बांगरमाऊ और घाटमपुर- पर वो दूसरे नंबर पर आई. चार अन्य पर उसने अपनी ज़मानत गंवा दी.
लल्लू ने यादव के बयान पर कुछ भी कहने से मना कर दिया, लेकिन यूपी कांग्रेस महासचिव राकेश सचान ने कहा, कि पार्टी 2022 के विधान सभा चुनाव अकेले लड़ने जा रही है.
सचान ने कहा, ‘गठबंधन के लिए हमारी किसी पार्टी के पास जाने की योजना नहीं है. हम 2022 के विधान सभा चुनाव, प्रियंका गांधी जी के नेतृत्व में अकेले लड़ेंगे.’
उन्होंने ये भी कहा, ‘नतीजों से पता चलता है कि कुछ हद तक, लोगों में कांग्रेस के प्रति नर्मी पैदा हो रही है. एक बार प्रियंका जी प्रचार के लिए मैदान में उतर जाएंगी, तो यूपी के लोग दिल खोलकर, हमारे साथ आ जाएंगे.’
पार्टी की महासचिव और यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी वादरा ने, उपचुनावों से पहले किसी भी सीट पर चुनाव प्रचार नहीं किया. ये तब था जब बीजेपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने, हर चुनाव क्षेत्र में बीजेपी उम्मीदवारों के लिए प्रचार किया था.
प्रियंका दिसंबर 2019 के बाद से, लखनऊ में पार्टी के प्रदेश मुख्यालय पर नहीं गईं हैं, और उसके बाद से केवल दो बार प्रदेश के दौरे पर गईं हैं- एक बार फरवरी में नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ प्रदर्शन में घायल हुए कार्यकर्ताओं को देखने आज़मगढ़ गईं, और दूसरी बार अक्तूबर में, कथित गैंगरेप और हत्या की शिकार महिला के परिवार से मिलने हाथरस गईं थीं.
प्रदेश कांग्रेस के एक दूसरे महासचिव बदरुद्दीन क़ुरैशी ने कहा, ‘उनके (यादव के) बयान का कोई मतलब नहीं है. हम गठबंधन के लिए किसी छोटी या बड़ी पार्टी के संपर्क में नहीं हैं. वैसे भी हम चुनाव अकेले ही लड़ेंगे’.
कांग्रेस के पास फिलहाल 403 सदस्यीय यूपी विधान सभा में सात विधायक हैं. एसपी के पास 49 हैं, जबकि बीएसपी के पास 18 सदस्य हैं.
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