नई दिल्ली: आर्थिक मुश्किलों का हवाला देकर ख़ुदकशी करने वाली लेडी श्रीराम कॉलेज (एलएसआर) की छात्रा की मौत से अंदर तक हिल गए उसके अपने संस्थान और सेंट स्टीफंस कॉलेज के छात्रों ने मिलकर ज़रूरतमंद छात्रों के लिए धन जुटाने की मुहिम शुरू की है, जिसमें वो अपने संस्थानों से कोई सहायता नहीं ले रहे हैं.
इन कॉलेज छात्रों ने कहा कि ऐश्वर्य की मौत ने उनकी ‘आंखें खोल दी हैं’ और ऐसे दूसरे बहुत से छात्र हो सकते हैं, जो आर्थिक परेशानियों से दोचार होंगे.
पैसा जुटाने की ये मुहिम 9 नवंबर को शुरू की गई, जब छात्रों ने एक ऑनलाइन प्लेटफार्म बनाया, जिसके ज़रिए लोग पैसा दान कर सकते हैं. जिसे दोनों कॉलेजों में ज़रूरतमंदों के बीच बांटा जाएगा. इन प्लेटफॉर्म्स को सिर्फ छात्र संभाल रहे हैं, जिसका कॉलेज प्रशासन से कोई लेना-देना नहीं है.
पैसा जुटाने के अलावा, सहायता के तौर पर स्टीफंस और एलएसआर के छात्र इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज़ और डेटा पैक्स भी इकठ्ठा कर रहे हैं, क्योंकि कोविड-19 की वजह से क्लासेज़ ऑनलाइन हो गई हैं.
दूसरे वर्ष की गणित की छात्रा ऐश्वर्य ने दो नवंबर को तेलंगाना में रंगा रेड्डी ज़िले के अपने घर में ख़ुदकुशी कर ली थी. ऐश्वर्य, जिसके पिता एक मिकेनिक और मां टेलर थीं, महामारी के दौरान ऑनलाइन क्लासेज़ करने के लिए एक लैपटॉप ख़रीदना चाहती थी. अपने पीछे छोड़े एक सुसाइड नोट में उसने लिखा, ‘मैं अपने परिवार पर बोझ नहीं बनना चाहती.’
अपनी मौत से दो महीने पहले, ऐश्वर्य ने एलएसआर छात्र संघ का एक सर्वे फॉर्म भरा था, जिसमें उसने ऑनलाइन क्लासेज़ में शरीक होने में मुश्किलों के बारे में लिखा था. उसने बताया था कि उसके घर पर न तो स्थिर इंटरनेट कनेक्शन था और न ही उसके पास कोई लैपटॉप या ठीक से काम कर रहा मोबाइल फोन था.
ऐश्वर्य ने ये भी कहा था लंबी क्लास की वजह से उसे अतिरिक्त डेटा पैक्स ख़रीदने पड़ते थे, चूंकि उसकी कलास 5-8 घंटे चलती थीं, जबकि अपने मोबाइल डेटा पैक से वो एक दिन में तीन घंटे से कम की क्लास ही कर पाती थी.
सर्वे के नतीजों से ये भी पता चला, कि एलएसआर की 30 प्रतिशत छात्राओं के पास अपना लैपटॉप नहीं था, जबकि 40 प्रतिशत छात्राएं उचित इंटरनेट कनेक्शन के बिना ऑनलाइन क्लासेज़ ले रहीं थीं.
एलएसआर में पैसा जुटाने की मुहिम
एलएसआर से पैसा जुटाने की मुहिम चार छात्राओं ने शुरू की, जिनमें से एक ऐश्वर्य की सहपाठी थी. इनका लक्ष्य 5 लाख रुपए जमा करना है.
छात्राओं ने कहा,‘हम छात्राओं का समूह एलएसआर कॉलेज से है और हम उन छात्रों के लिए पैसा जुटा रहे हैं, जिन्हें आर्थिक मदद की ज़रूरत है, जिससे कि वो ऑलनाइन क्लासेज़ ले सकें. हमारा मानना है कि शिक्षा हर किसी का हक़ है, और किसी को इस तरह मरना नहीं चाहिए. इस फंड से अंडरग्रेजुएट छात्रों की मदद होगी और जमा किया हुआ पैसा उन छात्रों में बराबर रूप से बांटा जाएगा, जिन्हें इंटरनेट के इस्तेमाल कि लिए डेटा पैक्स और दूसरे साधनों की ज़रूरत है.
अवयाराज सिंह, जो एलएसआर में राजनीति शास्त्र की दूसरे वर्ष की छात्रा हैं और इस पहल को शुरू करने वाली चार छात्राओं में से एक हैं ने दिप्रिंट से कहा कि ऐश्वर्य की मौत ने, ‘हर किसी को अंदर तक हिला दिया.’
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उन्होंने कहा कि इस घटना ने छात्राओं में ग़ुस्सा भी पैदा किया, क्योंकि कुछ समय से हॉस्टल्स ख़ाली कराए जाने, और कॉलेज फीस को लेकर सामने आ रही समस्याओं पर चर्चा हो रही थी.
उन्होंने कहा,‘मैं उसे नहीं जानती थी, लेकिन हम एक ही बैच में थे’. सिंह और उनकी तीन दोस्त (खुशी, शिवानी, और मेघना प्रकाश), दोस्तों, परिवार के लोगों, पूर्व छात्रों और एलएसआर के अन्य छात्रों से पैसे जमा कर रही हैं.
सोमवार को शुरू हुई धन जुटाने की इस मुहिम में, अभी तक दो लाख रुपए जमा हो चुके हैं.
सिंह ने दिप्रिंट को बताया कि ये पैसा, 23 नवंबर तक इकठ्ठा किया जाएगा, जिसके बाद वो एक फॉर्म बांटेंगी. ताकि ये पता चल सके कि पैसे की सबसे ज़्यादा जरूरत किसे है. फिर ज़रूरत की प्राथमिकता के हिसाब से पैसा बांटा जाएगा. उन्होंने ये भी कहा कि वो छात्र संघ से सहयोग करेंगी, चूंकि उसके पास पिछले सर्वेक्षण का डेटा मौजूद है.
उन्होंने ये भी कहा कि अगर कॉलेज प्रशासन, ख़ासकर कोविड के दौरान, छात्रों में पैसे की कमी को लेकर ज़्यादा सक्रिय होता, और छात्रवृत्तियों, मोबाइल एक्सेस, ऑनलाइन कनेक्टिविटी, और हॉस्टल उपलब्धता के मामले में, इस साल को अलग तरह से देखता, तो छात्रों को फंड्स जुटाने की ज़रूरत न पड़ती.
सेंट स्टीफंस के छात्रों की पहल
इन छात्रों ने पहल करते हुए एक गूगल फॉर्म भेजा, जिसे डोनर और लाभार्थी दोनों भर सकते हैं. ये पैसा किसी भी छात्र के पास नहीं रहता, बल्कि डोनर के पास से सीधे लाभार्थी को जाता है, चूंकि वो सीधे डोनर को बैंक डिटेल्स भेज देते हैं.
लाभार्थियों को सत्यापित करने के लिए, छात्र उन्हें सीधे कॉल करके, उनके कॉलेज आईडी कार्ड्स, फीस की रसीद, और आय प्रमाण पत्र देखते हैं. अगर उनके पास आय प्रमाणपत्र नहीं हैं, तो उनके बीपीएल कार्ड्स देखे जाते हैं.
कॉलेज की एक बीए दूसरे वर्ष की छात्रा ने, नाम न बताने की शर्त पर कहा, कि ऐश्वर्य की मौत ने बहुतों की ‘आंखें खोल दीं’, जिसकी वजह से उन्होंने पैसा जुटाना शुरू किया.
छात्रा ने कहा, ‘शुरू में, हम केवल 10-12 थे जो डोनर्स और लाभार्थियों के बीच समन्वय कर रहे थे. लेकिन (पैसे के ज़रूरतमंद) लाभार्थियों और डोनर्स की संख्या बढ़ने के साथ ही, हमने भी वॉलंटियर्स की संख्या बढ़ा दी. फिलहाल हम में से 25-30 छात्र हैं, जो इस पूरी पहल को समन्वित कर रहे हैं’.
छात्रों ने गुमनाम रहने का फैसला किया, चूंकि उनका कहना था कि कॉलेज, ‘छात्रों के पैसा जुटाने को लेकर नाक चढ़ा रहा था’.
इस साल मार्च में, जब कॉलेज कर्मचारियों के वेतनों में कटौती हुई, तो बहुत से छात्रों ने उनके लिए पैसा जमा किया, जिसे कॉलेज ने पसंद नहीं किया. सेंट स्टीफंस ने तो एक प्रेस विज्ञप्ति भी जारी की, जिसमें कहा गया: ‘दान के अधिकारिक अनुरोध केवल प्रिंसिपल की ओर से, कॉलेज वेबसाइट के ज़रिए किए जाएंगे, और उनके अधिकृत करने पर, सेंट स्टीफंस कॉलेज की भूतपूर्व छात्र परिषद द्वारा किए जाएंगे’.
लेकिन ये क़दम कॉलेज छात्रों को, पैसा जुटाने की मुहिम शुरू करने से नहीं रोक पाया.
एलएसआर की पहलक़दमी की तरह, ये छात्र भी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज़ और डेटा पैक्स के लिए, एनजीओज़ को साथ जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं. मुहिम में शामिल एक और छात्र ने कहा, कि जो लोग इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज़ दान करना चाहते हैं, उनके लिए वो एक अलग गूगल फॉर्म लॉन्च करने जा रहे हैं.
पहली छात्रा ने दिप्रिंट को बताया, कि अभी तक 60 से अधिक लोग, डोनेट करने के लिए संपर्क कर चुके हैं, जबकि 150 से अधिक छात्र मदद के लिए आगे आए हैं.
छात्रा ने आगे कहा, ‘हमारे पास दिल्ली यूनिवर्सिटी के बाहर से भी, लोगों की ओर से पैसे के अनुरोध आ रहे हैं. लेकिन हमारी मुख्य प्राथमिकता डीयू के छात्र हैं. इसमें मुख्य रूप से वो छात्र हैं, जो अपना ग्रेजुएशन या मास्टर्स कर रहे हैं’.
उसने ये भी कहा कि वज़ीफे बांटने में, यूनिवर्सिटी काफी ढीली रही है, जिसकी वजह से छात्रों में मायूसी पैदा हुई है.
उसने आगे कहा, ‘जब आप ऐश्वर्य की मौत जैसे मामले सुनते हैं, तो बहुत दुख होता है, चूंकि उसे रोका जा सकता था. मैं जानती हूं कि बहुत सारे छात्र किस पृष्ठभूमि से आते हैं. उनकी आर्थिक परेशानियों और वज़ीफा मिलने में देरी का, उनकी मानसिक स्थिति पर असर पड़ता है’.
बीए तृतीय वर्ष की छात्रा एविता रॉड्रिग्स ने दिप्रिंट से कहा, कि ये अब सिर्फ ऐश्वर्य का मामला नहीं है.
रॉड्रिग्स ने आगे कहा,‘ऐश्वर्य की ख़ुदकुशी की ख़बर सुनकर, मैं हिल गई, लेकिन मेरे अंदर स्स्टम को लेकर ग़ुस्सा भी पैदा हुआ, चूंकि ये ऐसी चीज़ थी जिसे रोका जा सकता था. 200 से अधिक छात्रों का हमसे संपर्क करना, दिखाता है कि ये कोई व्यक्तिगत मामला नहीं है’.
सेंट स्टीफंस छात्र संघ की पूर्व महासचिव टेरेसा वेटोली, जो बीए प्रोग्राम के तीसरे वर्ष में हैं, ने कहा कि जब उन्होंने पहली बार ऐश्वर्य की मौत के बारे में सुना, तो उन्हें बहुत धक्का लगा था.
वेटोली ने आगे कहा, ‘मुझे लगा कि ये कोई अकेला केस नहीं है. बहुत से छात्रों ने सिर्फ कॉलेज फीस अदा करने के लिए ऊंची ब्याज दरों पर क़र्ज़ लिए हुए थे’.
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