अपने राजनीतिक सहयोगी के लिए कांग्रेस एक बार फिर बोझ साबित हुई है. उसने ज्यादा सीटें मांगी और खराब प्रदर्शन कर महागठबंधन की स्थिति को खराब किया. अब कांग्रेस सिर्फ ऐसे ब्रांड की तरह है जो अपने रिप्यूटेशन के नाम पर ही जी रही है, लोगों को उसमें कोई रूचि नहीं है. अब समय आ गया है कि राजद, सपा और एनसीपी जैसी पार्टियां कांग्रेस के साथ सीट शेयरिंग के मामले में समझदारी दिखाएं.