भोपाल: उनकी ज़बान नहीं फिसली थी जब शिवराज सिंह चौहान ने, मध्यप्रदेश में 28 सीटों के महत्वपूर्ण उप-चुनावों में, अपने धुआंधार प्रचार में कई बार ख़ुद को ‘अस्थाई मुख्यमंत्री’ कहा था.
केवल 107 विधायकों और उनमें भी, कुछ की निष्ठा पर सवाल के साथ, चौहान का सार्वजनिक इक़रार 230 सदस्यीय सदन के गणित की ओर साफ इशारा था.
2005 से 2018 के बीच पिछले तीन कार्यकालों में, जब ये वरिष्ठ नेता प्रांत के मुखिया थे, तो सदन में बीजेपी को पूर्ण बहुमत हासिल था.
ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थकों की बग़ावत और बाद में उनके इस्तीफों ने, कांग्रेस की संख्या घटाकर 87 कर दी थी, लेकिन चार निर्दलीय, एक एसपी, और दो बीएसपी सदस्यों का समर्थन हासिल करने के बाद भी, सत्ताधारी बीजेपी बिल्कुल भी ढीली नहीं पड़ी. सात ग़ैर-बीजेपी ग़ैर-कांग्रेसी विधायकों ने, अपनी ढुलमुल निष्ठा साफ ज़ाहिर की थी. बीएसपी का सदन में एक और सदस्य बढ़ने जा रहा है.
मंगलवार के नतीजों के बाद सत्तासीन बीजेपी राहत की सांस ले सकेगी. शाम 4 बजे तक पार्टी 28 में से 20 सीटों पर आगे चल रही है, और इसकी संख्या आराम से बहुमत के आंकड़े को पार कर जाएगी.
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जीत के नुकसान
हालांकि, ज़्यादातर सिंधिया समर्थकों की जीत के नतीजे में, चौहान को अपनी कैबिनेट और पार्टी दोनों में, एक नए प्रेशर ग्रुप से निपटने का अवांछनीय काम करना होगा. अधिकांश पूर्व कांग्रेसी नेता बीजेपी से ज़्यादा, सिंधिया के वफादार बने रहेंगे.
ये नतीजे उन बीजेपी विधायकों की उम्मीदों पर भी विराम लगा देंगे, जो मंत्री पदों पर नज़र गड़ाए हुए थे. शिवराज कैबिनेट के सिर्फ दो सदस्यों के हारने की संभावना है.
सिंधिया समर्थकों के लिए वोट मांगते हुए, चौहान अकसर इस बात को मानते थे, कि उन्हीं की वजह से बीजेपी सत्ता में वापसी कर पाई. पूर्व पार्टी विरोधियों के लिए प्रचार करने के वास्ते, अपने पार्टी काडर को राज़ी करने में भी, वो इसी दलील का इस्तेमाल करते थे. चुनावी लड़ाई जीतने के बाद, चौहान को अब शासन पर ध्यान केंद्रित करना होगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व, और सिंधिया तथा केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर जैसे नेताओं के प्रयासों को, जीत का श्रेय देते हुए चौहान ने संवाददाता से कहा, ‘उन्होंने ‘नंगा’, ‘भूखा’, ‘कमीना’ और ‘आइटम’ जैसे शब्द इस्तेमाल किए… मतदाता ऐसी भाषा पसंद नहीं करते’. उन्होंने आगे कहा, ‘मोदीजी राष्ट्र के लिए भगवान का उपहार हैं’.
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कहा कि उप-चुनावों में विकास एक मुख्य मुद्दा था और मतदाताओं ने कांग्रेस को सज़ा दी, क्योंकि अपने 15 महीने के शासन काल के लिए, कांग्रेस के पास दिखाने को कुछ नहीं था. पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ के ‘आइटम’ कमेंट को याद दिलाते हुए, शर्मा ने दावा किया कि विपक्षी दल को ‘एक दलित महिला’ इमरती देवी को अपमानित करने की, भारी क़ीमत चुकानी पड़ी है.
प्रदेश कांग्रेस कमेटी प्रमुख कमल नाथ ने कहा, कि उनकी पार्टी जनादेश का सम्मान करेगी.
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